मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: सेक्टर 28 को वीआईपी सेक्टर बनाने में केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर और उनके पुत्र सीनियर डिप्टी मेयर ने कोई कसर नहीं रखी लेकिन एक फैक्ट्री ने इस सेक्टर की शान पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संयोग से यह फैक्ट्री भी सेक्टर 28 में ही है। इस फैक्ट्री की कारगुजारी को नगर निगम से लेकर तमाम विभागों का खुला संरक्षण मिला हुआ है।
मथुरा रोड से नीचे उतरकर मेट्रो स्टेशन सेक्टर 28 के बगल से जो सडक़ पुलिस लाइन की तरफ जाती है, वह इस समय शाही एक्सपोर्ट्स कंपनी की वजह से प्रदूषित पानी का तालाब बन गई है। हालांकि यह समस्या नई नहीं है लेकिन इन दिनों जब से बारिश हुई इसने विकराल रूप धारण कर लिया है।
सडक़ है या तालाब
इस सडक़ को सीमेंट की सडक़ बनाने के लिए इन दिनों एक तरफ से खोद दिया गया है। सडक़ बनाने का काम पुलिस लाइन वाले छोर से शुरू भी हो चुका है। लेकिन पिछले हफ्ते बारिश ने इस सडक़ को शाही एक्सपोर्टस के गेट पर पानी-पानी कर दिया। बारिश का पानी खैर दो दिन में सूख जाता है लेकिन यह सडक़ तालाब में उस वक्त बदल गई जब इसमें शाही एक्सपोर्ट्स ने अपना प्रदूषित पानी भी छोड़ दिया। इस कंपनी में चूंकि कपड़े तैयार होते हैं तो यहां नियमों का उल्लंघन कर डाइंग का काम भी होता है। कपड़ों की डाइंग के लिए उनमें तमाम तरह के घातक केमिकल्स भी मिलाए जाते हैं। चूंकि डाइंग का सारा काम पानी में होता है तो वह पानी सरकारी सीवर यानी नगर निगम के गटर में डाला जाता है। लेकिन यह पानी कई बार ओवरफ्लो होकर शाही कंपनी के सामने ही सीवर से निकलकर सडक़ पर फैल जाता है।
जेई हुड्डा की हमदर्दी
11 मार्च को नगर निगम के जेई सुरेंद्र हुड्डा शाही कंपनी के सामने इस जगह पर मुआयना करते पाए गए। संयोग से यह संवाददाता भी वहां पहुंच गया। सुरेंद्र हुड्डा से सवाल किया गया कि क्या नगर निगम ने सडक़ पर प्रदूषित पानी छोडऩे के लिए शाही कंपनी का कोई चालान काटा या नोटिस दिया। इस सवाल पर जेई हुड्डा नाराज हो गया। उसने शाही कंपनी का बेशर्मी से पक्ष लेते हुए कहा कि इसमें इन बेचारों की क्या गलती है…ये लोग अपना पानी कहां ले जाएं…उससे अगला सवाल किया गया कि सीवर में शाही कंपनी के भारी मात्रा में पानी छोडऩे से सेक्टर 28 हाउसिंग बोर्ड के घरों में पानी बैक मारता है। …सेक्टर 28 के लोग इस बारे में शिकायत भी कर चुके हैं। इस सवाल पर हुड्डा बोला कि ऐसी कोई शिकायत नहीं है…आप तो जबरन इसे मुद्दा बना रहे हो…नगर निगम की जेसीबी दो दिन से यहां लगी हुई है। सीवर लाइन में कोई लक्कड़ फंस गया है इसलिए कंपनी का पानी सडक़ पर आ गया है।
लेकिन इस समाचार के 14 मार्च को लिखे जाने तक शाही कंपनी का प्रदूषित पानी सडक़ पर पहले की तरह हिलोरें मार रहा था। नगर निगम इस कंपनी के पानी का निदान चार दिन से नहीं कर सका जबकि यह ताजा समस्या पिछले हफ्ते हुई बारिश से बनी हुई है।
सेक्टर 28 के निवासी पिछले पंद्रह साल से इस फैक्ट्री के प्रदूषित पानी के खिलाफ प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत भेज चुके हैं लेकिन पता नहीं उन अफसरों को यहां से मंथली मिलती है या क्या वजह है, शाही कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई किसी भी स्तर पर नहीं हुई है। फिलहाल हजारों लोगों को रोजगार देने के बावजूद सेक्टर 28 के लोगों के लिए नरकद्वार बनी हुई है यह कम्पनी।
नरकद्वार कैसे
दरअसल ओल्ड फरीदाबाद को जोडऩे वाली तीन प्रमुख सडक़ों की खुदाई हुई पड़ी है और लगभग सभी पर काम चल रहा है। ओल्ड फरीदाबाद चौराहे से खेड़ी पुल को जाने वाली सडक़ पर काम हो रहा है। इसी तरह बडखल मोड़ से सीधे बाई पास और ग्रेटर फरीदाबाद को जोडऩे वाली सडक़ पर भी काम चल रहा है। इसकी वजह से शहर में जाम के हालात हर वक्त बने रहते हैं। इसलिए दिल्ली से अपनी गाड़ी से आने वाले सेक्टर 28 मेट्रो स्टेशन के कट से ही अंदर गाड़ी मोड़ लेते हैं और सेक्टर के बीच से होते हुए नहर पार, ओल्ड फरीदाबाद या सेक्टरों की ओर निकल जाते हैं। लेकिन शाही फैक्ट्री के पानी ने इस रास्ते को नरकद्वार में बदल दिया है।
इसी तरह सेक्टर 29 में रहने वाले जो मेट्रो से आते जाते हैं, वे भी सेक्टर 28 मेट्रो स्टेशन का ही इस्तेमाल करते हैं। इन लोगों की सुविधा के लिए सेक्टर 28 मेट्रो स्टेशन से सेक्टर 29 तक जाने के लिए ई-रिक्शा वगैरह चलते हैं। लेकिन शाही कंपनी का पानी सडक़ पर आने की वजह से ई-रिक्शा वालों ने इस रूट पर चलना फिलहाल बंद कर दिया है या फिर वे ज्यादा पैसे लेकर सवारियों को आगे पीछे उतार रहे हैं। इस पानी में कई ई-रिक्शा पलट चुके हैं, सवारियां घायल हो चुकी हैं। इसलिए ई-रिक्शा वाले इस रूट पर चलने में आनाकानी भी करते हैं। इस तरह सवारियों और ई-रिक्शा वालों को कमाई के लिहाज से इस रूट पर पानी भरने की वजह से काफी नुकसान हो रहा है।
अंतहीन शोषण का सिलसिला
शाही कंपनी के कर्मचारी जब-तब मैनेजमेंट पर शोषण का आरोप लगाते ही रहते हैं। पिछले दिनों यहां की महिला कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा था कि उन्हें ड्यूटी खत्म होने के बाद भी रुकना पड़ता है। कई महिला कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उनसे दस-दस घंटे काम लिया गया और किसी तरह का कोई ओवरटाइम आदि भी नहीं दिया गया। ये उन महिला कर्मचारियों की बात हो रही है जो लेबर क्लास में नहीं आती हैं। ज्यादातर फैशन डिजाइनर और मर्चेंटाइजर पद पर काम करने वाली महिलाओं को यहां ज्यादा समय देना पड़ता है। कंपनी ने ज्यादातर ठेके पर कर्मचारी रखे हुए हैं। उनका शोषण सबसे ज्यादा होता है। हालांकि इस कंपनी में एक भव्य मंदिर भी इस कंपनी के मालिक ने बनवा रखा है। लेकिन कर्मचारियों के शोषण से मालिक को मंदिर में खड़े होकर भगवान से भी डर नहीं लगता है।