नई दिल्ली (मज़दूर मोर्चा) सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज अजय माणिकराव खानविलकर को लोकपाल अध्यक्ष तथा विभिन्न हाई कोर्ट के पूर्व जज लिंगप्पा नारायण स्वामी, जस्टिस संजय यादव और जस्टिस रितुराज अवस्थी को लोकपाल सदस्य तैनात किया है। खानविलकर को यह इनाम मोदी द्वारा इसलिए दिया गया है कि उन्होंने संविधान एवं न्याय को ताक पर रखते हुए मोदी के पक्ष में अनेकों फैसले अपने कार्यकाल में दे डाले थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसला जाकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज करना है जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह द्वारा कराए गए नरसंहार को चुनौती दी गई थी। न केवल याचिका खारिज की थी बल्कि जाकिया का साथ निभा रही सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और ईमानदार पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की गिरफ़्तारी और मुक़दमा चलाने के आदेश जारी कर दिए।
दूसरा बड़ा काम, पीएमएल अधिनियम के तहत ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के जांच करने, गिरफ्तार करने और संपत्ति ज़ब्त करने के अधिकार को सही ठहराते हुए पूरी गुुंडागर्दी करने का लाइसेंस दे दिया। लाइसेंस भी ऐसा कि मुक़दमा चलाए बग़ैर ही किसी को भी बरसों जेल में रखा जा सके।
तीसरा काम, उन्होंने सेंट्रल विस्टा के नाम पर मोदी को मनमानी करने की खुली छूट दी। चौथा काम उन्होंने सूरजकुंड पर्यटन स्थल एवं दो पंच तारा होटलों के बीच बसे खोरी गांव की बीसियों हज़ार की आबादी को उजाड़ दिया ताकि इन होटलों की खूबसूरती बेदाग बनी रहे। देर-सवेर इस जमीन का व्यवसायिक दोहन ही होना है। इसके अलावा और भी अनेक काम इनके खाते में लिखे जा सकते हैं। इसी तरह के कारनामे लोकपाल के सदस्य बनाए गए अन्य जजों ने भी किए होंगे। अब देखना यह है कि जिन्होंने न्यायाधीश रहते हुए सत्तापक्ष की चाटुकारिता में न्याय और संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं, इस पद पर रहकर देश की कितनी ऐसी तैसी और करेंगे।