दिल्ली, नरेला औद्योगिक एरिया में 1 नवम्बर 2022 को सुबह प्लास्टिक की फैक्ट्री में आग लगने से 2 मजदूरों की मौत हो गई है। 2 दर्जन मजदूर बुरी तरह से जख्मी है। पहली व दूसरी मंजिल पर लगी आग के समय 300 मजदूर काम कर रहे थे। कुछ लोगों को बिल्डिंग का शीशा तोडक़र बाहर निकाला गया। करीब दो घंटे बाद भी आग नहीं बुझ सकी। ऐसे में मरने वालों की संख्या बढऩे की संभावना जताई जा रही है।
2022 में यानी इस साल कोई अकेली घटना नहीं है। अभी तक दिल्ली में 6 फैक्ट्री में आग लग चुकी है। – 13 मई 2022 को मुडंका में आग लगने से 27 लोगों की मौत हो चुकी है तथा दर्जनों घायल हुए थे। – 19 मई 2022 को बवाना औद्योगिक क्षेत्र में आग लगने से एक मजदूर की मौत व 4 जख्मी हुए थे। – 10 मई 2022 को स्पीकर बनाने वाली फैक्ट्री वजीरपुर दिल्ली में आग लगी थी। – 22 जुलाई 2022 को लारेंस रोड दिल्ली जूता फैक्ट्री में आग लगी थी। – 23 सितम्बर 2022 को प्लास्टिक फैक्ट्री नरेला में आग लगी थी। इन घटनाओं में मजदूरों की हो रहीं मौतों का जिम्मेदार कौन है? अभी तक किसी पर कठोर कार्रवाई होती नहीं दिख रहा है। शासन प्रशासन व सरकार के नाक नीचे अवैध फैक्ट्री में धड़ल्ले से मुनाफे की खातिर सुरक्षा को ताक पर रख फैक्ट्री मालिक मजदूरों से काम करा रहे हैं।
मोदी सरकार द्वारा 4 मजदूर विरोधी लेबर कोड जो मजदूरों के खिलाफ है उसमें फैक्ट्री में सुरक्षा का कानून को और लचीला बना दिया गया है।
अब फैक्ट्री मालिक खुद, सुरक्षा करेगा कि मानकों का पालन हो रहा है, का सर्टीफिकेट देंगे। कोई भी सुरक्षा मानकों को जांच करने के लिए अधिकारी फैक्ट्री में नहीं जायेगा। इस तरह की लापरवाही में पहले सजा व जुर्माना का प्रावधान था, उसको भी लचीला बना दिया गया है। इन्हीं सब वजहों से रोज हो रही है मजदूरों की मौत की संख्या बढ़ती जा रही है।