नेशन हट पर राजनीतिक- प्रशासनिक दबाव: भूमाफिया ने कसा शिकंजा

नेशन हट पर राजनीतिक- प्रशासनिक  दबाव: भूमाफिया ने कसा शिकंजा
March 03 07:20 2020

विवेक कुमार की

ग्राउंड जीरो रिपोर्ट

फरीदाबाद में एक तरफ जहाँ बजरिया अदालत और सरकार अवैध बस्तियों को तोडऩे की कवायदें चल रही हैं वहीँ दूसरी तरफ सरकारी संस्थानों में बैठे बाबुओं के साथ मिलकर भूमाफिया सार्वजनिक जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं। इसी प्रकार का एक प्रयास नेशन हट, एनआईटी पांच, फरीदाबाद में चल रहा है।

नीलम चौक से रेलवे स्टेशन की तरफ जाने वाली सड़क पर चौक से करीब पांच सौ मीटर आगे जाने के बाद दाहिनी ओर नेशन हट की यह बसावट बनी हुई है। कुछ प्लाटों में छोटे कारखाने लगे हुए हैं जिनमे डाई, समरसीवर इत्यादि जैसे पदार्थ बनाये जा रहे हैं। यहाँ रहने वाले स्थानीय निवासी अपने इलाके में एक खाली पड़ी जमीन (पार्क)  पर सरकारी अमले की छत्रछाया में भूमाफियाओं के कब्जा करने के प्रयास से काफी परेशान दिखे। मजदूर मोर्चा ने मामले की जमीनी पड़ताल की।

70 वर्षीय देवेंदर सिंह वर्ष 1962 से नेशन हट में रह रहे हैं और यहाँ के सबसे पुराने लोगों में एक हैं। देवेन्द्र सिंह ने बताया, 362 गज के ये प्लाट टाउन प्लानिंग के तहत नीलाम हुए और उस समय यह फरीदाबाद के सबसे बेहतरीन बसावटों में से एक था। परन्तु प्रशासन की उदासीनता के कारण आज यह जगह देखने लायक भी नहीं रही। इतना ही नहीं नेशन हट के पीछे रेलवे लाइन के किनारे झुग्गी बस्तियां बसा दी गई हैं और ये बिना सरकारी लोगों की मिली भगत के संभव नहीं। ऐसी ही मिली भगत का शिकार अब नेशन हट के इलाके में बना एक पार्क भी होता नजर आ रहा है।

नेशन हट प्लाट नंबर 123 और 124 के बीच में 362 गज का प्लॉट खाली पड़ा है। फिलहाल इस प्लाट में स्थानीय लोगों के निजी वाहन और ट्रक खड़े हैं जो पिछले कुछ वर्षों से खड़े किये जाने लगे हैं। पार्क के रख-रखाव के अभाव में स्थानीय लोग इस प्लाट को बतौर पार्किंग इस्तेमाल कर रहे हैं, फिलहाल। पर अब ऐसा क्या हो गया जो निवासी इसे वापस पार्क बनवाना चाहते हैं?

सुखदेव सिंह जो वर्ष 1986 से नेशन हट में रह रहे हैं ने बताया कि जब हम यहाँ आये तो यह प्लाट एक पूरा  पार्क था जिसमे हमारे बच्चे खेलते थे। पर जब पास बसी झुग्गी वालों ने इस पार्क की चारदीवारी को तोड़-तोड़ कर अपने घर बनाने में इस्तेमाल कर लिया तो सबने इसमें ट्रक और गाडिय़ाँ खड़ी करनी शुरू कर दी। यहाँ लगे झूले, जो लोहे के थे उसे बेच कर शराबियों ने शराब पी डाली।

अब समस्या है कि पिछले कुछ माह से इस प्लाट पर कभी कोई आता है तो कभी कोई, और अपना दावा करता है कि यह जो जमीन बतौर पार्किंग आप इस्तेमाल कर रहे हो उसे हमने खरीद लिया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब यह जमीन सार्वजनिक पार्क है तो कोई इसे निजी तौर पर कैसे खरीद सकता है? और इसे बेच कौन रहा है। दावा करने वालों से जब भी कागजात मांगे जाते हैं तो वे नदारद हो जाते हैं।

क्या जिम्मेवार प्रशासनिक इकाई से इस बाबत कोई सूचना या जानकारी लेने का प्रयास किया गया। निवासियों ने बताया की इलाके के सभी लोग मिल कर एमसीएफ और रीहैबीलीटेशन विभाग के कई चक्कर काट चुके हैं। पहले तो कहीं से कोई जानकारी ही प्राप्त नहीं हुई। विभाग के कर्मचारी धक्के खिलाते रहे पर जब निवासी एकजुट होकर डटे रहे तो धीरे-धीरे जानकारियाँ मिलनी शुरू हुईं।

सुखदेव सिंह ने बताया की कई महीनो से इस  ्रकार के दावेदार आने लगे थे  र एक दिन अचानक एक दबंग दावेदार आया जिसके साथ  ुलिस भी मौजूद थी और हम सबको धमकाते हुए बोला कि जमीन मेरी है मैंने खरीद ली है। तुम लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, मेरी  हुँच बहुत ऊ र तक है।

निवासियों ने बताया कि नेशन हट की रजिस्ट्री कभी भी बंद नहीं हुई और यहाँ रहने वाले लोग एक दूसरे को हमेशा से जानते हैं। ये जो लोग कब्जा करना चाहते हैं और जमीन अपनी होने का दावा कर रहे हैं, इन लोगों को पिछले  चास सालों में हमने कभी नहीं देखा है। अचानक जिस तरह गुन्डे प्रवृति के लोग अब आने लगे हैं उससे हमे पूरा यकीन है कि यह लोग भूमाफिया हैं और जमीन पर अवैध कब्जा करना चाहते हैं।

नेशन हट के ही निवासी 34 वर्षीय रवि जो एक मल्टीनेशनल में कार्यरत हैं ने बताया की एमसीएफ से जानकारी लेने के क्रम में अभी तक कोई खास जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। हाँ, एमसीएफ ने इतना किया कि पुलिस को यह कह कर मौके पर जाने से रोक दिया कि मामला एमसीएफ का है तो बिना उसके संज्ञान के पुलिस का अधिकार नहीं है जो जमीन के मामले में दखल दे। इसके बावजूद पुलिस के फोन स्थानीय लोगों को आते रहे जिसमें लगभग धमकाने के लहजे का इस्तेमाल होता रहा और थाने बुलाया जाता रहा।

अंत में निगम कमिश्नर यश गर्ग के पास जाने के बाद से कुछ मामला शांत हुआ है। निगम के पास वापस जाने  पर कमिश्नर यश गर्ग ने संज्ञान लेते हुए आश्वासन दिया कि विभाग इस जमीन के रिकॉर्ड की जांच करेगा तब तक निवासी निश्चिंत हो कर रह सकते हैं। फिलहाल निगम के पास सम्बंधित मामले की पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं है।

अपनी शिकायत यहाँ के निवासियों ने लिखित रूप से जिला उपायुक्त, निगम आयुक्त, पुलिस आयुक्त के साथ-साथ सम्बंधित थाना एसएचओ एवं स्थानीय पार्षद को भी दी है। अपने स्तर पर पार्क की जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े झूले और बेंच भी खोद कर निकालने की कोशिशें स्थानीय निवासियों द्वारा की जाने लगी हैं ताकि प्रशासन पार्क होने के सबूत भी देख सके।

अब सवाल है कि इतना सब हो कैसे रहा है? अपनी पड़ताल में मजदूर मोर्चा ने पाया कि दावा करने वालों के पास एक जीपीए है जिसे किसी जानकी देवी नामक अत्यंत बुजुर्ग महिला के नाम पर बनाया गया है और जो अभी तक कहीं सामने नहीं आया। इसके बदले में रमेश शर्मा और पम्मी नामक महिला का एक वसीयतनामा दिखाया गया, जिसके अनुसार ये दोनों खुद को उक्त प्लाट, जिसे 124ए का मनगढंत नंबर दे दिया गया है, का मालिक बता रहे हैं। इतना ही नहीं अपने वसीयतनामे में ये खुद को 24 अप्रेल वर्ष 2019 से मालिक काबिज दिखा रहे हैं। जबकि न तो ये मालिक हैं न ही काबिज।

एमसीएफ में बात करने के  प्रयास पर अधिकारी टाल मटोल कर एक-दूसरे पर बात डालते रहे, वहीँ रीहैबीलीटेशन विभाग के सम्बंधित अधिकारी से भी कोई जवाब नहीं मिल सका। जबकि एमसीएफ से प्राप्त नक्शे में भी यह प्लाट पार्क ही दिखाये गये हैं। जिन लोगों ने जमीन पर दावा किया है उनसे संपर्क करने और उनका पक्ष जानने का प्रयास जारी है। वसीयत लिखने वाले भी वसीयत तो धड़ल्ले से लिख रहे हैं लेकिन अपनी मल्कियत का कोई दस्तावेज पेश नहीं कर रहे हैं क्योंकि ऐसा कोई दस्तावेज है ही नहीं।

यद्यपि इस प्रकरण में किसी बड़े राजनैतिक व्यक्ति का नाम खुल कर नहीं आया लेकिन जो पुलिस आसानी से किसी की फरियाद तक सुनने को तैयार नहीं, वह जिस तत्परता से इस जगह पर अवैध कब्जा कराने के लिए भूमाफिया के साथ चक्कर काट रही है उससे सिद्ध होता है कि अवश्य ही पुलिस के ऊपर कोई भारी राजनीतिक दबाव एवं आर्थिक प्रलोभन काम कर रहा है।

फिलहाल मामला निगम कमिश्नर के आश्वासन से कुछ ठंडा पड़ा है और नेशनहट के निवासियों को आयुक्त से उम्मीद बंधी हैं कि बेशक इस स्थान पर उनकी पार्किंग की सुविधा समाप्त हो जाये पर जैसे पार्क हमेशा से था वैसा पार्क वापस बना कर इस स्थान को अवैध भूमाफियाओं के कब्जे से बचाया जाए।

ऐसे में “जेम्स क्यू विल्सन” की “ब्रोकन विंडो थ्योरी” सटीक बैठती है कि यदि आपकी खिड़की टूटी है तो आपका घर असुरक्षित रहेगा ही। यानी की जब पार्क को प्रशासन ने बेहाल और गंदा छोड़ कूढे का ढेर बनने दिया तो जाहिर है कोई न कोई किसी न किसी दिन उस पर कब्जा भी करेगा ही।

 

 

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Mazdoor Morcha
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