लाल खट्टर तिगांव (म.मो.)घोषणावीर मुख्यमंत्री खट्टर बीते रविवार को तिगांव क्षेत्र में आये और करीब 1500 करोड़ की घोषाणाएं जनता के बीच बिखेर गए। ऐसी अनगिनत घोषणाएं बीते सात साल में खट्टर महाशय कर चुके हैं। घोषणा करने में क्या जाता है? 1500 करोड़ की कर लो या 15000 करोड़ की, किसने गिनना है और किसने पूछना है? इस तरह की थोथी घोषणाओं औेर भ्रष्टाचार को सारा जि़ला हर तरह से भुगत रहा है। ग्रेटर फरीदाबाद की जिन सडक़ों व सीवर आदि की घोषणा वे कर रहे हैं इसका पैसा वहां के निवासी वर्षों पहले सरकार को दे चुके हैं।
जनसभा के दौरान प्रशासनिक भ्रष्टाचार का मुद्दा उस समय खुल कर सामने आ गया जब तिगांव के विधायक और रैली के संयोजक राजेश नागर ने मंच से कहा कि खट्टर अपने भ्रष्ट निकम्मे व लापरवाह अधिकारियों को आज ही यहां से अपने साथ ले जायें, ऐसे अधिकारियों की यहां कोई जरूरत नहीं है। जवाब में खट्टर ने कहा कि वे 15 दिन में इसकी जांच करके उन अधिकारियों का यहां से तबादला कर देंगे। यदि आरोप सिद्ध हुए तो उन्हें जेल में ठोक देंगे। यद्यपि विधायक नागर ने दागी अधिकारियों की गिनती तो नहीं बताई थी फिर भी न जाने खट्टर ने कैसे कह दिया कि उन चार अधिकारियों की जांच करेंगे।
सवाल चार भ्रष्ट अधिकारियों का नहीं है, यहां तो सारा प्रशासन ही भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा है। खट्टर जी चार भ्रष्टों की बात करते हैं, इसके बजाय वे यहां के केवल चार ईमानदार अफसरों के नाम ही बता दें। रही बात विधायक नागर की तो यहां मसला दूसरा ही है। इनकी सीधी टक्कर सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर से रहती है। गूजर के न चाहते हुए भी नागर विधायक तो बन गए लेकिन उनका कोई भी प्रशासनिक काम मंत्री जी होने नहीं देते। इसके चलते अफसरों की समस्या यह है कि वे किसकी तो मानें और किसकी न मानें।
जनसभा के मंच पर मोटे अक्षरों में नारा लिखा था, ‘भ्रष्टाचार का काल मुख्यमंत्री मनोहर लाल’ उनकी करनी को देखते हुए यह नारा खट्टर को शोभा नहीं देता। वास्तव में नारा तो यह होना चाहिये था कि भ्रष्टाचार का दलाल मुख्यमंत्री मनोहर लाल अथवा भ्रष्टाचार का ग_र मनोहर लाल खट्टर। सर्वविदित है कि इस क्षेत्र में तैनाती पाने के लिये अधिकारीगण मोटी रिश्वतें अपने राजनीतिक आकाओं को देकर यहां आते हैं और तैनाती बनाये रखने के लिये लगातार साप्ताहिक अथवा मासिक भेंट पूजा चलती रहती है। इसी के चलते, पहले से चले आ रहे भ्रष्टाचार ने अब नई-नई ऊंचाईयां छू ली हैं, पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। खट्टर लाख मासूम बनने का प्रयास करें परन्तु यह जनता है जो सब कुछ जानती है।
स्वास्थ्य सेवाओं की नौटंकी घोषणावीर खट्टर ने जनसभा स्थल से ही जादू का डंडा घुमा कर खेड़ी कलां, पाली व तिगांव की डिस्पेंसरियों में ऑक्सीजन प्लांट भी चालू कर दिये। बीते करीब दो साल से तिगांव में खड़ी हेल्थ सेंटर की जो बिल्डिंग जर्जर होने जा रही थी उसका भी उद्धाटन कर दिया। और तो और बीके अस्पताल परिसर में विदेशी भीख के पैसे से बने 96 बेड के कोरोना वार्ड का भी उद्घाटन कर डाला। उद्घाटन तो कर डाले पर इन दोनों जगह न कोई डॉक्टर है न कोई अन्य स्टाफ।
संदर्भवश सुधी पाठक जान लें कि राज्य भर में अस्पतालों के स्टाफ की स्थिति क्या है?
स्वीकृत पद तैनात रिक्त डॉक्टर – 4881 4063 818 स्टाफ नर्स – 4399 2168 2231 50 % हेल्थ वर्कर – 6539 5190 1348 लैब तकनीकी – 1260 545 715 56 % $फार्मासिस्ट – 1050 680 370 रेडिय़ोग्राफर – 314 95 219 69 % ऑप्थो सहायक – 190 75 115 60 % ऑपरेशन थियेटर में सर्जन को सहायता करने वाले स्टाफ की कोई पोस्ट इस राज्य में नहीं है। और सर्जरी उपकरणों को साफ-सुथरा एवं किटाणु रहित करने वाला भी कोई स्टाफ नहीं है। यह काम झाड़ू-पोछा करने वाले सफाईकर्मियों से कराया जाता है। जाहिर है कि जब वे ओटी में काम करेंगे तो झाड़ू-पोछा तो नहीं ही करेंगे इसके अलावा ओटी में डॉक्टरों के साथ-साथ इन कर्मचारियों की कमाई तो ठीक-ठाक हो ही जाती है स्टेटस भी बढ़ जाता है।
जनहित का दावा करने वाली खट्टर सरकार की हकीकत जानने के लिये दिये गये आंकड़े, इनकी जन विरोधी करतूतों का पुख्ता सबूत हैं। ये तमाम आंकड़े इस वर्ष के बजट में प्रदर्षित किये गये हैं। समझना कठिन नहीं है जहां 50 से लेकर 69 प्रतिशत तक अस्पताल कर्मियों के पद खाली पड़े हों वहां पर इस तरह के उद्घाटनों का मतलब केवल जनता को बेवकूफ बनाने के अलावा कुछ भी नहीं हो सकता।