मोदी की योजना में निजी कम्पनियों का फायदा ही फायदा
फरीदाबाद म मो: नई दिल्ली चुनावों में कच्ची कालोनी को पक्का करने का शोर ऐसा मचा कि नेता से अभिनेता सब इसका श्रेय लेने को दौड़ पड़े। केजरीवाल को मिलते श्रेय को मोदी के लग्गे-भग्गों ने गली-गली पोस्टर लगाकर छीनने का असफल प्रयास किया। धूम धाम से किये इस प्रचार पर उस वक्त किसी को भरोसा नहीं था और आज की तारीख में केंद्र सरकार ने भरोसा न होने के कारणों पर मोहर लगाने का काम शुरू कर दिया है।
पीएम उदय योजना के तहत दिल्ली की कच्ची कालोनियों को पक्का करने का काम डीडीए के तहत होना तय हुआ है। दक्षिणी दिल्ली के गाँव में सुगबुगाहट शुरू हुई और जब योजना जमीन पर आई तो लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा कि सरकार किस चालाकी से उनकी जेब काट रही है। डीडीए ने कच्ची कालोनी की जमीनों की पैमाइश कराने का ठेका निजी एजेंसियों को सौंप दिया जिसके तहत ये निजी कम्पनियाँ प्रति वर्गफीट के हिसाब से तय राशी जमीन के मालिक से लेंगी। इस कार्यक्रम को भी जमीन का सर्वे करने के नाम से शुरू कर मकान मालिकों को बताया जा रहा है कि आपकी जमीन की पैमाइश होगी और पैमाइश के बाद ही आगे का कार्यक्रम तय होगा। इस पैमाइश के लिए पैसा मकान मालिक से ही वसूला जाएगा। 100 गज के प्लाट पर लगभग 1180 रुपये की रकम वसूलने के बाद डीडीए की रसीद की जगह निजी कंपनी की ही रसीद मिल रही है।
जो लोग दिल्ली में कई दशकों से रह रहे हैं उनको भरोसा ही नहीं हो रहा है कि एक सरकारी महकमा किस तरह किसी निजी कंपनी को नकद लेने और अपनी रसीद देने की सुविधा दे सकता है।
सीबीआई से सेवानिवृत हुए घनश्याम सिंह रावत का मानना है कि जब कालोनी के पक्का होने का अभी कोई पुख्ता सन्देश ही हमे नहीं मिला है तो ये सर्वे और इसके नाम पर ली जाने वाली रकम का क्या उद्देश्य है। हो सकता है भविष्य में कालोनी पक्की हो जाये तो क्या इस रकम को सरकार रजिस्ट्री या अन्य किस्म की फीस में एडजस्ट करेगी। और इससे भी बड़ी संभावना है कि कालोनी पक्की ही न हो तो क्या सर्वे के नाम पर दी गई ये रकम हमे वापस मिलेगी, अगर हाँ तो किस रूप में?
इसी प्रकार के ढेरों सवाल लिए कई लोग डीडीए की वेबसाईट पर दिए नम्बरों पर फोन कर पूछ रहे हैं कि जब जमीन को पक्का कर उसपर रजिस्ट्री और भूकर डीडीए ही वसूलेगा तो उसके सर्वे का खर्च आम जनता की जेब से वसूल कर निजी कंपनियों के हवाले करने का क्या अर्थ है?
सवाल कई हैं पर जवाब में सिर्फ इतना सुनने को मिलता है कि जब भारत सरकार ने यही नियम तय कर दिया है तो हम क्या कर सकते हैं, पैसा तो देना पड़ेगा। यानी मोदी जी कालोनी पक्की करें या न करें पर इसमें निजी कंपनियों को मुनाफा पक्का करवाया जाएगा।