जहांगीरपुरी दंगा भाजपा की मजबूरी

जहांगीरपुरी दंगा भाजपा की मजबूरी
April 29 18:33 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
सन 2013 में भाजपा एवं संघ द्वारा यूपी के मुजफ्फर नगर में कराये गये सफल दंगों के बाद ये लोग तमाम कोशिशों के बावजूद उस तरह का कोई बड़ा दंगा कराने में कामयाब नहीं हो पाये। सन 2020 में बड़ा प्रयास करने के बावजूद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा तो तीन दिन का ही करा पाये लेकिन अपनी फजीहत कहीं ज्यादा करा ली। बीते दिनों पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले भी संघ-भाजपा ने दंगे कराने के प्रयास तो बहुत किये थे, लेकिन मुसलमान इनके चक्रव्यूह में नहीं फसे। गुडग़ांव में तो नमाजी मुसलमानों के साथ कंधों से कंधा मिलाकर खड़े होने वाले हिन्दूओं ने भी संघियों के ऐजेंडे को फेल कर दिया था।

दिल्ली में अब स्थानीय निकाय के चुनाव सिर पर हैं। कायदे से तो चुनावों की घोषणा अब तक हो जानी चाहिये थी लेकिन भाजपा ने अपना सूपड़ा साफ होते देख, तिकड़मबाज़ी द्वारा चुनाव को टाल दिया है। हालांकि बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी; चुनाव तो देर-सवेर कराने ही होंगे। भाजपा के सामने बड़ा सवाल यह है कि वह वोट मांगे तो किस बात पर मांगे? काम इन्होंने कोई किया नहीं, जी भर कर दिल्ली की जनता को लूटा है, ऐसे में ले-दे कर भाजपा के पास केवल एक ही ‘गुरुमंत्र’—हिंदू-मुस्लिम है। धर्म की अफीम चटा कर ये लोग बहुसंख्य जनता को यह समझाना चाहते हैं कि उनके तमाम दुखों एवं समस्याओं का एक मात्र कारण ये अल्पसंख्यक मुसलमान और ईसाई हैं।

अपनी अफीम का असर और अधिक बढ़ाने के लिये देश की 80 प्रतिशत जनता को बताया जाता है कि उन्हें 20 प्रतिशत लोगों से खतरा है। इस तथाकथित खतरे से बचने के लिये उन्हें लामबंद होकर मुसलमानों को ही खत्म कर देना चाहिये। अपने इस एजेंडे को सफल बनाने के लिये संघ/भाजपा ने पूरे ज़ोर से प्रोपेगेंडा का अभियान तो चला ही रखा है, इसके साथ-साथ नौजवानों को सीधे लड़ाई में झोंकने के षडय़ंत्र भी लगातार रचे जा रहे हैं। इन षडय़ंत्रों की कामयाबी का पूरा जिम्मा, तड़ीपार से बने केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह को दिया गया है।

वे इस तरह के कई षडय़ंत्र पहले भी पूरे कर चुके हैं। अब तो उनके पास पूरा पुलिस बल भी है। जो पुलिस बल दंगे रोकने के लिये होता है उसका इस्तेमाल, अमितशाह दंगों को कामयाब बनाने के लिये करते हैं। इसके लिये उन्होंने पहले से ही सोची-समझी रणनीति के तहत राकेश आस्थाना जैसे दागी अफसर को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त कर दिया था। बेशक यह नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई गाइड लाइन के विरुद्ध थी।

हनुमान जयंती पर जिस शोभा यात्रा के चलते जहांगीरपुरी में दंगा हुआ वह पुरी तरह से भाजपा द्वारा प्रायोजित था। सुप्रीम कोर्ट का बड़ा स्पष्ट निर्देश है कि इस तरह की शोभा यात्राओं की पुलिस द्वारा बाकायदा वीडियोग्राफी कराई जायेगी। इसके बावजूद पुलिस ने अपनी ओर से कोई वीडियोगाफी नहीं कराई। राकेश आस्थाना की नियुक्ति पर अपनी गाइड लाइनों की धज्जियां उड़ती देखने वाली सुप्रीम कोर्ट आज अपनी वीडियोग्राफी वाले निर्देश की भी धज्जियां उड़ते देख कर भी खामोश हैं।

इंडिया टुडे एवं आज तक द्वारा जारी की गई वीडियोग्राफी में बड़ा स्पष्ट दर्शाया जा रहा है कि किस प्रकार से भगवाधारी गुंडों ने जम कर जहांगीरपुरी में गुंडागर्दी मचाई। उक्त वीडियो के अनुसार यहां दिन भर में तीन शोभा यात्रायें निकाली गई। इन तथाकथित यात्राओं में 12-30 साल तक के लोग अधिक थे। इन तमाम लोगों के हाथों में डंडे, हॉकी, तलवारें आदि तो लहराते देखे जा रहे थे, कुछ के हाथ में पिस्टल अथवा कट्टे आदि भी देखे गये थे। इस दौरान ये लोग बहुत ही जहरीले एवं अश्लील नारे लगा कर मुसलमानों को भडक़ाने का प्रयास करते रहे। सारा दिन इलाके में घूमने से जब कोई प्रतिक्रिया अथवा झगड़ा नहीं हुआ तो ये लोग शाम को अजान के वक्त इलाके की मस्जिद पर जा चढ़े। विदित है कि आज कल मुसलमानों के रोजे चल रहे हैं और अजान के बाद नमाज अदा कर ये लोग खाना खाकर अपना रोजा खोलते हैं। ऐन उसी वक्त ये भगवाधारी गुंडे मस्जिद पर जा चढ़े, जाहिर है कि ऐसे में प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ तो होना ही था और जो हुआ उसके लिये मुसलमानों को पूरी तरह से दोषी ठहरा कर उन पर कानून का हंटर चलने लगा।

गौरतलब है कि इस तरह की शोभा यात्राओं के लिये बाकायदा पुलिस से स्वीकृति लेना अनिवार्य होता है। स्वीकृति देते वक्त पुलिस द्वारा यात्रा का मार्ग तय कर दिया जाता है, जिसका पालन कराना पुलिस का दायित्व होता है। अमितशाह के इशारों पर नाचने वाली पुलिस ने यहां अपने किसी भी दायित्व को नहीं निभाया। वह केवल गुंडों को संरक्षण देने के लिये उनके साथ-साथ चलती जरूर रही लेकिन दंगा रोकने की न तो उनसे अपेक्षा थी और न ही उन्होंने ऐसा कुछ किया। हां, सब कुछ हो चुकने के बाद लकीर पीटने एवं पीडि़त मुसलमानों पर शिकंजा कसने के लिये भारी संख्या में अमितशाह का पुलिस बलों मौके पर जरूर पहुंच गया।

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Mazdoor Morcha
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