फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) घोटालों और हरामखोर अधिकारियों का गढ़ बन चुके नगर निगम की भ्रष्ट कार्यशैली में लगता है निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने भी खुद को ढाल लिया है। संभवत: यही कारण है कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले निगम सचिव जयदीप कुमार को खुड्डे लाइन लगाकर उन्होंने भ्रष्टाचारी ओमबीर, पद्मभूषण, राकेश शर्मा, दिनेश आर्य आदि को संरक्षण प्रदान कर दिया है। निगम की बड़ी कमाई वाली मद विज्ञापन के अनुबंध में हेरफेर कर ठेका कंपनियों को कई सौ करोड़ का लाभ पहुंचाने का खुलासा निगम सचिव जयदीप ने अगस्त 2023 में किया था। उनकी रिपोर्ट आने के साथ ही निगम में तहलका मच गया था, क्योंकि उन्होंने निगम को करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान पहुंचाने के लिए तत्कालीन एक्सईएन ओमबीर, जेई पद्मभूषण, एई राकेश शर्मा, दिनेश आर्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने, मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा और एंटी करप्शन ब्यूरो से कराने की सिफारिश की थी।
उनकी रिपोर्ट में खुद को फंसता देख एसई ओमबीर, पद्मभूषण सहित इस मामले में फंसे सभी भ्रष्ट अधिकारी अपने बचाव में लग गए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि 21 अगस्त 2023 को डायरी नंबर 186 के तहत दर्ज कराई गई निगम सचिव की मूल रिपोर्ट ही गायब हो गई। समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचारियों की पकड़ निगमायुक्त कार्यालय तक है। रिपोर्ट गायब करने के बाद भी भ्रष्टाचारी शांत नहीं बैठे और उनके कारनामों को उजागर कर उन्हें नंगा करने वाले निगम सचिव को खुड्डे लाइन लगवाने की जुगत में लग गए। पद्मभूषण पंजाबी होने के कारण सजातीय सीमा त्रिखा की शरण में ओमबीर को लेकर खुद भी पहुंचा। दोनों अधिकारियों ने विधायक-मंत्री और सत्त्तापक्ष के नेताओं के लिए नियम कानून को ताक पर रख कर अपने द्वारा किए गए कामों की दुहाई देते हुए जान छुड़वाने की गुहार लगाई। विधायक से अभयदान मिला, तो भ्रष्ट अधिकारियों ने निगम सचिव को सबक सिखाने की भी गुहार लगा दी।
निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने जब पद संभाला था तो लगा था कि वो पूर्व निगमायुक्त जीतेंद्र दहिया की तरह नेताओं की जी हुज़ूरी करने वाली नहीं बल्कि खुद निर्णय लेने वाली होंगी। लेकिन वो ईमानदार निगम सचिव जयदीप का साथ देना तो दूर नेताओं के इशारे पर उनके अधिकार ही खत्म करने पर उतारू हो गईं। उन्होंने निगम सचिव का कार्यालय छीन कर अतिरिक्त आयुक्त के लिए सुरक्षित कर दिया। निगम सचिव के लिए अपने लिपकीय कार्यालय में एक छोटा सा कमरा अलॉट कर दिया।
जयदीप वरिष्ठ एचसीएस अधिकारी हैं और उनका नाम आईएएस पदोन्नत होने वाले अधिकारियों की सूची में शामिल है, बावजूद इसके उन्हें जो कमरा दिया गया है उसके आगे न तो उनके नाम की तख्ती लगाई गई है और न ही अटेंडेंट दिया गया है। निगम सूत्रों के अनुसार निगमायुक्त कार्यालय में कमरा इसलिए दिया गया है कि उन पर नजऱ रखी जा सके कि कौन उनसे मिलने आता है। उनसे सिर्फ कार्यालय ही नहीं छीना गया है, कार की सुविधा भी समाप्त कर दी गई है। जिस निगम में कई अधिकारी दो-दो कारों का मजा लूट रहे हैं, वहां निगम सचिव को इससे भी वंचित किया जाना बताता है कि यहां भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को सब मिलकर खुड्डेलाइन लगा देते हैं। इस संबंध में निगमायुक्त से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।