ईएसआई कार्पोरेशन मेडिकल कमिश्रर

ईएसआई कार्पोरेशन मेडिकल कमिश्रर
July 26 03:37 2022

दीपक शर्मा को नहीं सुहातीं उन्नत मेडिकल सेवायें
फरीदाबाद (म.मो.) सरकारी सिस्टम ने कई बार नालायक व हरामखोर लोग तिकड़मबाजी के बल पर इतने उच्च पदों पर पहुंच जाते हैं जिसके कि वे लायक नहीं होते। ऐसे ही लोगो में से एक हैं डॉक्टर दीपक शर्मा एमबीबीएस। अपनी शैक्षणिक योग्यता के बल पर वे केवल किसी डिस्पेंसरी में बैठ कर मरीज़ देखने के लायक भर ही हैं। ईएसआई कॉर्पोरेशन में वे भर्ती भी इसी काम के लिये हुए थे, परन्तु सरकारी सिस्टम में जुगाड़बाज़ी के बल पर आज वे कार्पोरेशन के मेडिकल कमिश्नर बन बैठे हैं।

कॉर्पोरेशन काडर के अफसरों में यह सर्वोच्च पद है। इसके ऊपर केवल डायरेक्टर जनरल का पद होता है जिस पर दो-तीन साल के लिये कोई आईएएस अफसर नियुक्त होता है। बाहर से आनेवाले आईएएस अफसर को मेडिकल कमिश्रर पद पर बैठे लोग हर तरह से मिसगाईड करने का प्रयास करते हैं। इस पद पर आने वाला जो अफसर अधिक चौकन्ना एवं समझदार न हो तो उसे ये लोग अपने मुताबिक घुमाते रहते हैं। डीजी को घुमाने में माहिर पहले कटारिया नामक एक एमसी होता था जिसे डीजी ने पहचान कर खुड्डे लाइन लगा दिया था। परन्तु अब उसकी जगह उससे भी शातिर दीपक शर्मा बतौर एमसी आ बैठा है।

इस तरह के अयोग्य लोग जिन्होंने कभी डिस्पेंसरी से ऊपर के मेडिकल सिस्टम को देखा तक नहीं होता वे अति उच्चस्तरीय मेडिकल संस्थानों के सर्वेसर्वा जब बन जाते हैं तो इनके दिमाग खराब हो जाते हैं। ये लोग, जो सिस्टम के लिये पूर्णतया अनुपयोगी होते हैं, अपने आप को उपयोगी सिद्ध करने के लिये कुछ भी उलटे-पुलटे काम करते रहते हैं। ऐसे ही नालायक लोगों के गिरोह में फरीदाबाद के मेडिकल कॉलेज को खुलने से रोकने के भरसक प्रयास किये थे। परन्तु आज इस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के उत्कृष्ट परिणामों से जहां एक ओर केन्द्रीय श्रम मंत्री, श्रम सचिव तथा डीजी के अतिरिक्त मुख्यालय में बैठे अनेकों अफसर अति प्रसन्न एवं गर्वित हैं वहीं हरियाणा सरकार भी इसकी ओर ललचाई नज़रो  से देखती रहती है।

इसके बावजूद दीपक शर्मा जैसी निकृष्ट प्रवृत्ति का भी एक गिरोह मुख्यालय में सक्रिय है। इसका पूरा प्रयास रहता है कि किस प्रकार इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को उजाड़ा जाय। ‘मज़दूर मोर्चा’ के 19-25 जून के अंक में ‘डॉक्टर दीपक शर्मा जैसे निकृष्ट एवं हरामखोर जहां इंचार्ज होते हैं वहां बिस्तर खाली ही रहते हैं’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में बताया गया था कि इस दीपक शर्मा ने किस प्रकार अच्छे-भले बसई दारापुर अस्पताल का बेड़ागर्क किया था। शत प्रतिशत ऑक्यूपेंसी वाले अस्पताल को 50 प्रतिशत पर ला खड़ा किया था। अब इनका लक्ष्य देश भर के तमाम, उत्कृष्ट सेवायें देने वाले अस्पतालों का सत्यानाश करना है।

अपने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये इस अज्ञानी ने कॉर्पोरेशन की तबादला नीति, जो कि साधारण डॉक्टरों (जीडीएमओ) के लिये बनाई गई थी, उसमें मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की फेकल्टी को भी लपेट लिया है। इसके तहत ये साहब एनसीआर में तैनात उन तमाम प्रोफेसरों आदि को इस क्षेत्र से बाहर कहीं दूर-दराज़ तैनात कर देना चाहते हैं।

ऐसा करके शायद दीपक शर्मा उन तमाम अति विद्वान एवं वरिष्ठ डॉक्टरों को यह अहसास कराना चाहते हैं कि साधारण एमबीबीएस होने के बावजूद वे तमाम प्रोफेसरों को धूल चटाने में सक्षम हैं।

इस तबादला नीति के तहत उत्तर भारत में तैनात दक्षिण भारत में तथा दक्षिण वाले उत्तर में आयेंगे। जाहिर है कि ऐसे में न मरीज़ डॉक्टर की भाषा समझेगा न डॉ. मरीज की।

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Mazdoor Morcha
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