फरीदाबाद का नटवरलाल किशनचंद
फरीदाबाद (म.मो.) गरीब मजदूरों की मजबूरी को ढाल बनाकर ब्लैकमेलिंग का धंधा चलाने वाले भविष्य निधि विभाग से रिटायर कर्मी किशनचंद उर्फ केसी चौहान उर्फ किशन चंद कश्यप का भांडा फूट गया है।
एटक ट्रेड यूनियन की यूनिट कारखाना मज़दूर संगठन इंदौर एटक ने इस मामले से पर्दा उठाया है। यूनियन ने पीएफ विभाग के इस नटवरलाल द्वारा उनके नाम से ब्लैकमेलिंग का धंधा चलाने और उनके लेटर हेड का प्रयोग करने का आरोप लगाया है।
सूत्रों के अनुसार किशन चंद पिछले कई वर्ष से कारखाना मज़दूर संगठन इंदौर (एटक) जो कि एटक ट्रेड यूनियन की ही एक यूनिट है, के फर्जी लेटर हेड पर पीएफ दफ्तर फरीदाबाद व केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त दिल्ली को लखानी वरदान ग्रुप की कंपनियों की तरफ 13 करोड़ पीएफ जमा न कराने को लेकर शिकायतें भेज रहा था। इसने कारखाना मज़दूर संगठन इंदौर के फर्जी लेटर हेड पर इस यूनियन के महासचिव मोहन निम्जे के फर्जी हस्ताक्षर करके खुद को इंदौर यूनिट का अधिकृत प्रतिनिधि घोषित किया हुआ था।
ऐसा ही एक पत्र पिछले महीने 11 सितंबर की तारीख डालकर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त, अपर केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त व क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त फरीदाबाद को भेजा था। जिसमें लखानी वरदान ग्रुप की 13 करोड रुपये की पीएफ की रिकवरी के बहाने रिकवरी अधिकारी फरीदाबाद की रिकवरी की वसूली को लेकर की गई थी। यहां पाठकों को बताते चलें कि लखानी वरदान गु्रप की कंपनियां लिक्विडेशन में जा चुकी हैं और अब विभाग कोई भी एक्शन नही ले सकता है।
भविष्य निधि विभाग ने इसके द्वारा लिखे गए पत्रों को इंदौर भेजकर उनकी सत्यता की जांच करवाई तो इसके द्वारा लिखे गए पत्रों को कारखाना मज़दूर संगठन इंदौर एटक ने पूरी तरह से फर्जी बताया। मजदूर मोर्चा ने जब इसकी कुंडली खंगाली व इसके द्वारा किये गए फर्जीवाड़े के अनेक मामले सामने आये। वर्तमान प्रकरण में भी इसकी कहानी ब्लैकमेलिंग की कहानी है।
आज से लगभग 10 वर्ष पहले जब लखानी वरदान ग्रुप उसके मालिकों की करतूतों से डूबने लगा था और अपने श्रमिकों की भविष्य निधि राशि को निगल रहा था उस समय भविष्य निधि विभाग ने अपने कार्यालय में 10 सबसे बड़े डिफॉल्टरों की जो सूची टांगी हुई थी उसमें लखानी वरदान ग्रुप का नाम सबसे ऊपर होता था।
उस समय फरीदाबाद कार्यालय में प्रभारी केएल तनेजा ग्रेड 1 तथा विनीत गुप्ता ग्रेड 2 थे। तनेजा व गुप्ता जो भविष्य निधि संगठन के सबसे ईमानदार अधिकारियों में से एक है, ने एक दिन पीडी लखानी को पकडवा कर कार्यालय में बनाई गई अस्थाई जेल में बंद कर दिया था। उस दिन पीडी लखानी ने तुरंत डेढ़ करोड़ की डीडी देकर तथा बकाया को शीघ्र देने का वादा करके जैसे तैसे अपनी जान छुड़ाई थी। लेकिन उसके बाद वह फरार हो गया। फरार होने पर उसके बेटे मयंक ने लखानी वरदान ग्रुप की कमान संभाल ली। लेकिन अनुभव की कमी के चलते वह विभिन्न सरकारी महकमों से डरा हुआ था। इसकी किशन चंद को भनक लग गई और किसी तरह मयंक लखानी के पास पहुंच कर उसे अपने जाल में ऐसा फंसाया कि आज तक उसके गले पड़ा हुआ है। वर्ष 2013-14 के बाद तो यह एक समय लखानी गु्रप का सबसे ताकतवर आदमी बन गया था। अब वहाँ इसने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। इसने उस समय लखानी वरदान ग्रुप की भविष्य निधि की रिकवरी पर सीजीआई ट्रिब्यूनल से स्टे लगवा दिया। उस समय इंदौर स्थित लखानी ग्रुप के प्लांट में कंपनी का लाखों का जूते चप्पलों का स्टॉक था। जिसे इसने कंपनी के इंदौर के सलाहकार श्यामसुंदर मेहता से मिलकर बेच दिया तथा अधिकांश पैसों को दोनों हजम कर गए। इसके बाद इनकी नजर इंदौर प्लांट की मशीनों की तर$फ गई जिसे उन्होंने चोरी से बेचना शुरू कर दिया लेकिन वहाँ की यूनियन ने इन्हें चोरी करते रंगे हाथों पकड़ लिया। जिसकी सूचना कंपनी की एक कर्मचारी ने फरीदाबाद में दे दी तो मशीनें चोरी होने से बच गई्र। इस चोरी के बाद वहां की यूनियन के नेताओं ने इसे इंदौर के कंचन तिलक होटल में पकड़ लिया जहां पर यह मेहता के साथ दारु पी रहा था तथा इसकी पिटाई कर दी होटल स्टाफ ने जैसे-तैसे इनको बचाया। इसके बाद यह इंदौर नहीं गया लेकिन उसी समय यह इंदौर से वहां की यूनियन का लेटर हेड चुरा लाया, जिसका प्रयोग वह अपना धंधा चलाने के लिए करता आ रहा था।
उसके बाद यह नटवर लाल फरीदाबाद में लखानी वरदान ग्रुप की कंपनियों से स्क्रैप के नाम पर अच्छे भले कीमती सामान को कबाड़ में बेच कर लाखों रुपये हजम कर गया। इसके इन कारनामों से तंग आकर मयंक लखानी ने इसे वर्ष 2015 में कंपनी से बाहर कर दिया। अपनी इस पोल खुलने व बेआबरू होकर बाहर होने से आहत होकर अब यह लखानी का दुश्मन बन गया था।
इसने कारखाना मज़दूर संगठन इंदौर एटक के चुराए हुए लेटर हेड का इस्तेमाल लखानी वरदान ग्रुप की शिकायत करने के लिए शुरू कर दिया। भविष्य निधि विभाग के दिल्ली मुख्यालय तक के अधिकारी इसका इतिहास जानते हैं इसलिए उन्होंने इस को ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
फरीदाबाद के रिकवरी ऑफिसर से इसकी खुन्नस प्राइम इंडिया पॉलीमैक्स सेक्टर 24 फरीदाबाद कंपनी द्वारा की गई पीएफ की धांधली को लेकर भी है जिसमें यह मामले को रफा-दफा करवाना चाहता था, लेकिन सहायक भविष्य निधि आयुक्त ने इसकी बात नही मानी। इसलिए अब यह रिकवरी अधिकारी की शिकायतों पर उतर आया । अब जो फर्जी लेटर हेड पर शिकायत की हैं शिवा हार्डवेयर का मामला उठाया है जो कुछ नहीं है बल्कि इसके द्वारा सीधे सीधे ब्लैक मेलिंग के लिए है। रिकवरी ऑफिसर जो सहायक भविष्य निधि आयुक्त ही होता है, ने एक कंपनी बीएचपी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड प्लाट नम्बर 7 सेक्टर 4 फरीदाबाद की रिकवरी के 44 लाख रुपये शिवा हार्डवेयर सेक्टर 24 फरीदाबाद जिसने बीएचपी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी को खरीदा था, के बैंक खाते से मंगवा लिए। इस पर ऐतराज जताते हुए शिवा हार्डवेयर ने कार्यालय को सूचित किया कि जो राशि भविष्य निधि विभाग ने बैंक से वसूली है वह सीसी अकाउंट की है। यह बात बैंक ने भी इस कार्यालय को लिखी तो सक्षम अधिकारी ने यह राशि वापस कर दी। लेकिन शिवा हार्डवेयर से बीएचपी इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी के एमडी का बैंक खाता लेकर रिकवरी अधिकारी ने उससे वसूली कर ली, जबकि इसने बी एचपीइंफ्रास्ट्रक्चर कम्पनी से रिकवरी रुकवाने का ठेका ले रखा था।
इसी वसूली की आड़ लेकर रिकवरी अधिकारी की शिकायत की है। क्योंकि ये ब्लेकमेलर चाहता था कि रिकवरी अधिकारी इस रिकवरी को सीजीआई ट्रिब्यूनल से स्टे आने तक रिकवरी न करे। लेकिन रिकवरी अधिकारी ने इसकी धमकी में न आकर 44 लाख रुपये वसूल लिए और इस प्रकार इसकी दलाली मारी गई ।