फरीदाबाद: नंदलाल जे.पी पावर, जीवन नगर गोछी तहसील में बतौर हेल्पर काम करता था| 8 नवम्बर 2015 को मैनेजमेंट ने दबाव देकर उसे बिना ट्रेंनिंग दिए स्किल्ड वर्कर के काम रोलर मशीन में लगा दिया जिसकी वजह से नंदलाल के बाएं हाथ की उंगलियाँ अंगूठे समेत जड़ से कट गयीं| कंपनी मालिक ने नन्दलाल का ईएसआई कार्ड भी नहीं बनाया था और अपनी इसी चोरी को छुपाने के लिए उसने नन्दलाल का इलाज एक निजी अस्पताल में करवा कर मामला रफा-दफा कर दिया|
कंपनी मालिक ने गरीब नंदलाल की अनपढ़ता और अन्य कमज़ोरियों का फायदा उठाते हुए ज्यों ही घाव थोड़ा भरा, इलाज करवाना भी बंद कर नंदलाल को उसके हाल पर छोड़ दिया| इन्क़लाबी मजदूर केंद्र ने पीड़ित की आवाज़ को उठाते हुए अप्रैल 2016 श्रम विभाग में मुकदमा दायर किया| 20 मार्च 2018 को कोर्ट ऑफ़ कमिश्नर कंपनसेशन एक्ट 1923 के तहत कोर्ट ऑफ़ ऑफ़ कमिश्नर ने कंपनी को 2,82,952/- रुपये की रकम नंदलाल को 60 दिनों में अदा करने का फैसला सुनाया|
कंपनी मालिक ने मुआवज़े की रकम का भुगतान करने से इंकार कर दिया और नंदलाल को फिरसे कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ा| श्रम विभाग ने 21 मई 2018 को भुगतान राशि का मामला डीसी फरीदाबाद के पास भेज दिया| वहाँ से नन्दलाल को पता चला कि गोछी तहसील के तहसीलदार वीरेंदर सिंह मुआवजा रिकवरी के असल जिम्मेवार होंगे| नन्दलाल लगातार 5-6 माह से डीसी दफ्तर और तहसीलदार वीरेंदर सिंह के आगे चप्पलें घिस रहा है पर कहीं से न्याय नहीं मिल रहा|
इस सम्बन्ध में इन्क़लाबी मजदूर केंद्र ने नंदलाल की ओर से 18 नवम्बर 2019 को एक शिकायत पत्र डीसी को सौंपा| इसके बावजूद पीड़ित तीन माह तक डीआरओ, सिटी मजिस्ट्रेट और तहसीलदार के चक्कर लगाता रहा पर हुआ कुछ नहीं| थक-हार कर 19 फ़रवरी 2020 में एक आरटीआई भी लगाई पर उसका भी जवाब आज तक डीसी आफ़िस ने नहीं दिया है|
नन्दलाल के परिवार में बूढ़े माँ-बाप के साथ एक तीन वर्ष की दिव्यांग बेटी है जिसकी देखभाल करने में ही उसकी पत्नी का सारा वक़्त बीतता है| रोज़ी कमाने वाला एकमात्र सदस्य नंदलाल ही था और अब वह भी हाथ की सभी उंगलियाँ गँवा कर परिवार समेत भुखमरी के कगार पर बैठा है| उसपर सरकारी बाबुओं की अपने नागरिकों के प्रति ऐसी अनदेखी| यही कोई रिक्शेवाला दायें-बाएं हो तो पुलिसिया गुंडा अपनी जेब से सुआ निकाल उसके पहिये में दे मारता है और तुरंत फैसला कर देता है| पर आज इस गरीब को कोर्ट से आदेश मिलने के बावजूद उस आदेश की पुड़िया बना कर कंपनी मालिक चबा गया|
यह सब कंपनी मालिक कर पाता है, क्योंकि वह जानता है कि जो लोग इन गरीबों के नाम पर नौकरी करने आये हैं वे बस पैसों की नौकरी करते हैं, किसी गरीब को न्याय दिलाने जैसा शब्द उन्होंने सुना ही नहीं हुआ| इन्क़लाबी मजदूर केंद्र ने संजय मौर्या, मुन्ना प्रसाद व् जयप्रकाश नितेश के नेतृत्व में नन्दलाल को न्याय दिलाने के लिए लिए डीसी ऑफिस के सामने पांच अगस्त को धरना प्रदर्शन किया और नन्दलाल की मांगों समेत एक ज्ञापन डीसी दफ्तर में सौंपा| हालांकि पहले ज्ञापन लेने के लिए भी कोई उपलब्ध नहीं था, जिसका कारण सभी अफसरों का किसी डिजिटल मीटिंग में व्यस्त होना बताया गया|
डीसी की अनुपस्थिति में एसडीएम बढ़खल व तहसीलदार गोछी ने एक सप्ताह के भीतर मुआवज़ा दिलाने का आश्वासन दिया है| नंदलाल को कोर्ट से मिले आदेश, जो अधिकारी और खुद कोर्ट न लागू करा सके उनके आश्वासन पर कितना भरोसा किया जा सकता है सब जानते हैं|