सरकारी जमीनों से नहीं हठेंगेंं ‘अपनों’ के कब्जे : खट्टर

सरकारी जमीनों से नहीं हठेंगेंं ‘अपनों’ के कब्जे : खट्टर
February 05 14:45 2024

चुनावी मौसम में खैरात लगी बंटने
फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) गरीबों को दिए जाने वाली सुविधाओं को मुफ़्त की रेवडिय़ां बताने वाली भाजपा चुनाव आते ही थूक के चाटने की तर्ज पर खुद भी ऐसी ही रेवडिय़ां बांटने पर उतर आई है। जिस मुख्यमंत्री खट्टर के इशारे पर खोरी के हज़ारों घर अवैध कब्जा बता कर ध्वस्त कर दिए गए थे वही, पूरे प्रदेश मेें कब्जाई गई सरकारी जमीनों का मालिकाना हक बांट रहा है। सरकारी संपत्ति लुटाने की इस योजना का श्रेय लेने के लिए इसका नाम मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना रखा गया है।

वन नेशन वन इलेक्शन का ढिढोरा पीटने वाली प्रधानमंत्री मोदी की इच्छा पर लोकसभा चुनाव के साथ ही हरियाणा के विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी है। बीते नौ साल से हिंदू-मुस्लिम, 35 बिरादरी कर सत्ता भोग कर रहे सीएम खट्टर और उनकी सरकार के पास विकास के नाम पर जनता को दिखाने के लिए कुछ नहीं है। ऐसे में वह वोटरों को लुभाने के लिए बेशकीमती सरकारी जमीनें ही रेवडिय़ों की तरह बांट रहे हैं। इस संबंध में सीएम के आदेश पर मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बीते दिनों प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभाग, बोर्ड, निगम और शहरी निकायों के प्रशासनिक सचिवों के साथ बैठक की। उन्होंने सरकारी जमीन पर बीते बीस वर्ष से काबिज लोगों को मालिकाना हक नहीं दिए जाने के कारण सीएम खट्टर के सख्त नाराज़ होने की बात कही।

मुख्यमंत्री खट्टर के आदेश पर पूरे प्रदेश में जून-जुलाई 2021 में सरकारी जमीनों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने का अभियान चलाया गया था। इधर अभियान चलाया जा रहा था और उधर खट्टर ने एक जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री शहरी निकाय स्वामित्व योजना भी गुपचुप तरीके से लागू कर दी। योजना के तहत सरकारी जमीन पर बीस या उससे अधिक सयम से कब्जा कर मकान-दुकान बना कर रह रहे लोगों को उस जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। काबिज व्यक्ति को मालिकाना हक लेने के लिए कलेक्ट्रेट रेट से आधे दाम पर जमीन दिए जाने का भी प्रावधान किया गया। यह भी सुविधा दी गई कि यदि आवेदक अलॉटी या सब अलॉटी नहीं है तो एकमुश्त तीस हजार रुपये नियमित शुल्क भर कर जमीन का मालिकाना हक पाने का अधिकारी हो जाएगा। इस योजना का आम जनता में प्रचार नहीं किया गया, समझा जा सकता है कि इसका लाभ सबसे ज्यादा सत्ता पक्ष और उससे जुड़े हुए लोगों को ही दिया जाना था।

योजना लागू होने के दो सप्ताह बाद 14 जुलाई 2021 को खोरी गांव में दशकों से रह रहे लोगों के हज़ारों मकान ध्वस्त कर दिए गए। इन गरीब परिवारों को इस योजना का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया। सिर्फ खोरी गांव ही नहीं प्रदेश में अनेक जगहों पर भी इसी तरह अभियान चला कर सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराया गया।

योजना का सीमित प्रचार होने के कारण करीब ढाई साल में केवल एक हज़ार लोगों ने ही मालिकाना हक पाने के लिए आवेदन किया। इनमें से 99 को मालिकाना हक़ दे भी दिया गया। चुनाव नज़दीक आते ही अब खट्टर को अपनी ये योजना याद आई और बाकी 901 लोगों को उनका हक नहीं दिए जाने पर सख्त नाराजग़ी जताई। सीएम ने सख्त आदेश दिए हैं कि बाकी सभी लोगों को 15 दिन के भीतर मालिकाना हक़ दिलाया जाए।

राजनीतिक जानकार खट्टर की इस जल्दबाजी को आसन्न चुनाव से जोडक़र देख रहे हैं। उनके मुताबिक यह योजना भी सिर्फ दिखाने के लिए ही आम जनता के लिए है, सच्चाई ये है कि सरकार इसकी आड़ में संघी-भाजपाई भूमाफिया व कार्यकर्ताओं को सरकारी जमीन पर कब्जा करने की छूट दे रही है।

सरकारी जमीन पर पिछले बीस साल से कब्जा है या नहीं ये तय सरकारी अधिकारी ही करेंगे। यह सच किसी से छिपा नहीं है कि ये सरकारी अधिकारी मंत्री, सांसद, विधायक के इशारों पर ही काम करते हैं। यदि इस योजना के तहत किए गए एक हज़ार आवेदनों की जांच की जाए तो सभी के संबंध भाजपा और सत्तापक्ष से पाए जाएंगे।

राजनीतिक जानकार यह भी कहते हैं कि चुनाव से पहले सरकारी ज़मीन की रेवड़ी बांटी तो अपनों को जाएगी लेकिन ढिंढोरा ऐसे पीटा जाएगा जैसे खट्टर ने एक हज़ार परिवारों को घर-दुकान की सौग़ात दी और जनता को इस तरह की झूठी कल्याणकारी योजनाओं के ज़रिए वरग़ला कर वोट हासिल करने की कवायद की जाएगी।

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Mazdoor Morcha
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