फरीदाबाद (म.मो.) बीते दिनों शहर भर में सफाई व अतिक्रमण हटाने के लिये निगमायुक्त यशपाल यादव को स्वयं सड़कों पर उछल-कूद मचाते देखा गया था। जो काम जेई, एसडीओ व ज्वाइंट कमिश्नर स्तर का था उसके लिये खुद यशपाल एक फ़िल्मी हीरो की तरह गली-गली व सड़क दर सड़क घूमते रहे थे। लेकिन इसके बावजूद हासिल कुछ खास नज़र नहीं आया। जिन लोगों ने अतिक्रमण व दूकानों के सामने से सामान हटा कर सड़कें खाली कर दी थीं वे फिर से अपनी पुरानी पॉजिशन पर आ गये हैं। तमाम रेहडिय़ां भी वापिस बाजारों में आकर निगमायुक्त को मुंह चिढ़ा रही हैं।
अब दिनांक 13 अप्रैल को निगमायुक्त महोदय ने अपने आधीन तमाम अभियंताओं व ज्वाइंट कमिश्नरों को वही सब काम करने के आदेश दिये जो वे खुद घूम-घूम कर कराने में बुरी तरह असफल रहे हैं। न तो कोई अतिक्रमण हट रहा है और न ही कोई अवैध निर्माण रुक पा रहा है, सारे काले-पीले धंधे ज्यों के त्यों चल रहे हैं। हां, निगम अधिकारियों के वसूली भाव जरूर बढ़ गये हैं। और तो और जिन अवैध कब्जों व निर्माणों की सूची खुद निगमायुक्त ने जारी की थी उनमें से एक भी तो नहीं हटा, सबके सब ज्यों के त्यों कायम हैं।
नीलम से थाना एनआईटी तक वाली सड़क के दोनों ओर की सरकारी ज़मीनों पर लोगों ने अवैध कब्जे व निर्माण कर रखे हैं। और तो और बरसाती नालों तक को भी कब्जा कर पानी का बहाव रोक दिया गया है। इस सड़क का उल्लेख विशेष तौर पर इसलिये किया जा रहा है कि यहां हो रहे सारे अवैध धंधे को बिना किसी खोज बीन के आसानी से देखा जा सकता है जबकि भीतरी गलियों व सड़कों पर हो रहे अवैध निर्माणों को खोजने में थोड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है।
शहर भर के हर गली-मुहल्लों में आवासीय निर्माण का नक्शा पास करा कर भवन निर्माण इस प्रकार किया जा रहा है कि वह आसानी से दुकानों में परिवर्तित हो जाये। इसी तरह खतरनाक ढंग से पांच-पांच मंजिला इमारतों का निर्माण बिना किसी स्वीकृति के धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसके लिये अवैध सीवर व पानी के कनेक्शन भी ले लिये जाते हैं। जाहिर है कि यह सब कारोबार बिना मोटी रिश्वतखोरी के सम्भव नहीं हो सकता। निगमायुक्त यशपाल यादव इतने नाकाबिल तो नहीं हो सकते कि उन्हें इस सारे काले कारोबार का ज्ञान न हो और यदि ज्ञान है तो यह लूट व्यापार उनकी हिस्सा-पत्ती के बगैर सम्भव नहीं।