राजेश भाटिया खुश न हों, टूटेगा व्यापार मंडल का दफ़्तर भी

राजेश भाटिया खुश न हों, टूटेगा व्यापार मंडल का दफ़्तर भी
October 12 14:07 2025

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नागनाथ पूर्व मंत्री सीमा त्रिखा से बदला लेने के चक्कर में खुद को पंजाबी बिरादरी का अगुवा समझने वाले राजेश भाटिया ने सांपनाथ धनेश अदलखा से दोस्ती कर ली। आस्तीन के सांप की तरह अदलखा ने राजेश भाटिया को डसने की तैयारी कर ली है। यह चर्चाएं राजनीतिक हलकों में हो रही हैं। इसकी वजह बताई जा रही है कि अदलखा ने शहर की पंजाबी बिरादरी का मसीहा बनने के लिए राजेश भाटिया की राजनीतिक-सामाजिक मिट्टी पलीद करने का न केवल प्लान बनाया है बल्कि उसे एक्जीक्यूट करने में लगा है। इसके लिए अदलखा सत्ता का भरपूर दुरुपयोग कर रहा है। अदलखा के साथ रहने वाले एक करीबी ने बताया कि बीते दिनों विधायक जी ने निगम अधिकारियों के साथ बैठक कर निगम की विवादित जमीनों का ब्यौरा लिया। उनका मुख्य फोकस तिकोना पार्क स्थित व्यापार मंडल, फरीदाबाद के दफ्तर पर था।

अधिकारियों ने उन्हेें बताया कि इस दफ्तर का केस डाल रखा है, विपक्षी जगदीश भाटिया-राजेश भाटिया ने कोर्ट से स्टे ले रखा है। इस पर आग बबूला होने वाले अंदाज में अदलखा ने अधिकारियों को डांटते हुए कहा कि मुझे सब मालूम है कि कैसे स्टे होता है और कैसे उसकी पैरवी नहीं की जाती। अगली तारीख में यदि स्टे नहीं टूटा तो समझ लेना तुम्हें मैं अधिकारी बना दूंगा। समझ गए, दोबारा नहीं बोलना पड़े अगली तारीख में स्टे टूट जाना चाहिए बस। इसके बाद अदलखा ने निगम की बाकी संपत्तियों से भी स्टे समाप्त करवाने का हुक्म कह सुनाया। करीबी के अनुसार अदलखा ने मंशा जताई कि इधर स्टे टूटे उधर जेसीबी लेकर ब्यापार मंडल का दफ्तर ध्वस्त कर दिया जाए।

जानकारों के अनुसार सीमा त्रिखा ने तो राजेश भाटिया से केवल दशहरा उत्सव छीन कर बदला लिया था लेकिन अदलखा इससे भी आगे बढ़ कर उनके रसूख की निशानियों को भी मिट्टी में मिलाकर उन्हें जमीन पर लाने के मंसूबे गढ़ रहा है। संघ-भाजपा में कांटे से कांटा निकालने का पाठ पढऩे वाले अदलखा ने पहले सीमा त्रिखा को खत्म करने के लिए उसके दुश्मन राजेश भाटिया को इस्तेमाल किया और सत्ता हासिल कर ली। सीमा की रही सही इज्जत उतारने के लिए दशहरा मैदान का कार्यक्रम भी उनसे छीन कर राजेश भाटिया को दिलाकर ऊपरी तौर पर उसका विश्वासपात्र बन गया।
अब नमक हरामों की तरह सत्ता दिलाने वाले राजेश भाटिया को ही खत्म करने की तैयारी कर रहा है। जानकार कहते हैं कि एनआईटी इलाके में राजेश भाटिया के परिवार का पंजाबी बिरादरी में बहुत रुतबा रहा है। इसी कारण पहले उनके पिता स्व. कुंदनलाल भाटिया और फिर भाई चंदर भाटिया विधायक रहे। इसके अलावा जगदीश भाटिया ब्यापार मंडल के प्रधान रहे और अब राजेश भाटिया यह पद संभाल रहा है। राजनैतिक-सामाजिक रसूख के साथ ही सिद्धपीठ हनुमान मंदिर, तिकोना पार्क स्थित वैष्णों माता मंदिर और एनआईटी के दशहरे पर आधिपत्य होने के कारण धार्मिक प्रतिनिधित्व भी इस परिवार के पास है। यानी बडख़ल विधानसभा चुनाव में भाटिया परिवार का काफी प्रभाव माना जाता है।

संघी-भाजपाई राजनीति का पहला उसूल ही ये है कि जो सत्ता के लिए जोखिम या विरोधी साबित हो उसे खत्म करना। सीमा त्रिखा ने सत्ता में आते ही भाटिया परिवार को जोखिम समझ पर उनके अधिकार छीनने का प्रयास किया लेकिन उनके राजनीतिक गुरु कृष्णपाल गूजर और बिरादरी वालों ने ही अधूरा साथ दिया, नतीजा यह रहा कि राजेश भाटिया विक्टिम कार्ड खेल कर अपना वजूद बचाने में लगा रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में अदलखा ने खट्टर को खुश कर बडख़ल का टिकट खरीदा और सीमा त्रिखा को हाशिए पर पहुंचाया तो समान दुश्मन को खत्म करने के लिए राजेश भाटिया ने खुलकर अदलखा का समर्थन किया था।

राजेश भाटिया को यह नहीं पता था कि वह भ्रष्टाचार के बड़े बड़े रिकॉर्ड बनाने वाले जिस अदलखा का साथ दे रहा है वह अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए उनकी थाली में छेद करेगा। भला तो राजेश भाटिया भी नहीं है वह भी अपना साम्राज्य बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तत्पर रहता है लेकिन लगता है कि इस बार दांव उल्टा हो गया है। उसे नहीं मालूम कि जिस अदलखा को उसने जिताया है वह पीठ पीछे उसके ताबूत में आखिरी कील ठोंकने के लिए पूरे प्रशासनिक अमले को एक्टिवेट कर चुका है।

विधायक की इन हरकतों से दुखी उनके एक करीबी के अनुसार इसे अदलखा का दोगलापन कहें या दोमुंंहापन कि, जिस राजेश भाटिया के सामने होने पर ऐसे तपाक से मिलता है जैसे उससे सगा कोई है ही नहीं। उसके सामने तो अधिकारियों से भी ऐसे कहता है कि वे राजेश भाटिया की बात, उसकी ही बात समझें। पीठ पीछे ब्यापार मंडल का द$फ्तर उजाडऩे के कड़े हुक्म सुनाए जा रहे हैं।
आने वाले दिनों में यदि व्यापार मंडल दफ्तर के विचाराधीन केस का स्टे टूटता है तो माना लिया जाना चाहिए कि नगर निगम का अगला कदम इमारत को ध्वस्त करना होगा। बहुत संभव है कि जब यह कार्रवाई की जा रही हो उस समय अदलखा शहर में न हो और उसका फोन भी स्विच ऑफ हो ताकि बाद में वह राजेश भाटिया को बता सके कि जो कुछ हुआ उसकी जानकारी उसे थी ही नहीं, यदि होती तो तुरंत कार्रवाई रुकवा देता।

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Mazdoor Morcha
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