डेढ़ किलोमीटर लम्बी डीसी आवास की सडक़ का निर्माण कार्य चल रहा है पंचवर्षीय योजना की तरह

डेढ़ किलोमीटर लम्बी डीसी आवास की सडक़ का निर्माण कार्य चल रहा है पंचवर्षीय योजना की तरह
June 08 02:07 2023

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) 9-15 अप्रैल के अंक में ‘मज़दूर मोर्चा’ ने, ‘डीसी की गाड़ी बिगड़ी तो सडक़ बनाने की सुध आई’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। उसे पुन: ज्यों का त्यों प्रकाशित किया जा रहा है।

सेक्टर 15 व 15 ए की विभाजक सडक़ जो 15ए की पुलिस चौकी से शुरु होकर जिमखाना क्लब तक जाती है, का नव निर्माण शीघ्र शुरू होने की बात चली है। करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बी यह सडक़ पूर्णतया: जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह बने खड्डों में आए दिन आम लोगों की गाडिय़ां टूटती रहीं तो सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ा। पिछले दिनों जब डीसी की गाड़ी भी ऐसे किसी खड्डे में जाकर ठुकी तो इस सडक़ को बनाने की सुध आई।

विदित है कि डेढ़ किलोमीटर लम्बी इस सडक़ पर डीसी, कमिश्रर के अलावा सेशन जज, एडीसी व कई अन्य बड़े अधिकारियों के आवास हैं जो नित्य प्रति इस सडक़ से होकर अपने कार्यालयों को जाते हैं। बाकी जनता की बात तो छोडिय़े, जि़ले के इन उच्चतम अधिकारियों के नित्य प्रति आवागमन के बावजूद इस सडक़ पर ध्यान न देना सरकार की काहिली का एक उदाहरण है। इस सडक़ के जर्जर होने का पहला कारण तो इसमें लगा घटिया माल व दूसरा कारण बरसाती पानी का लगातार खड़े रहना है। कहने को तो बरसाती पानी की निकासी के लिये लाइन डाली गई थी लेकिन वह केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह गई लगती है।

अब इस सडक़ को करीब आठ करोड़ की लागत से तारकोल की बजाय सीमेंट से बनाया जायेगा। इतना ही नहीं दो लेन वाली इस सडक़ को चार लेन का बनाने के साथ-साथ फुटपाथ व साइकिल ट्रैक भी बनाने की बात कही जा रही है। बरसाती पानी की निकासी के लिये पहले से बनी जो लाइन गायब हो चुकी है उसे फिर से बनाया जायेगा। इसके द्वारा पानी की निकासी हो पायेगी या नहीं, यह तो समय ही बताएगा। रही बात साइकिल ट्रैक की, तो उसे समझने के लिये करीब तीन साल पहले 18 लाख की लागत से बने उस साइकिल ट्रैक को देखा जा सकता है जो बाटा मोड़ से कचहरी होते हुए बाइपास तक जाता है। आज यह साइकिल ट्रैक कहीं ढूंढने से भी नज़र नहीं आता।

सेक्टरों की योजना बनाने वाले योजनाकर को शायद इतनी समझ नहीं थी कि उसके द्वारा रखी गई सडक़ों की चौड़ाई पर्याप्त नहीं रहेगी। इसलिये अब चौड़ाई बढ़ाने के लिये सडक़ों के किनारे खड़े वृक्षों की बलि चढ़ाई जायेगी, जैसे कि सेक्टर 14 व 17 की विभाजक एवं बाइपास को हाइवे से जोडऩे वाली सडक़ के वृक्ष साफ कर दिये गये हैं। ‘हूडा’ के इन आधुनिक योजनाकारों से वे योजनाकार कहीं अधिक समझदार थे जिन्होंने 1948 में एनआईटी की योजना बनाते समय विभाजक सडक़ों की चौड़ाई 200 फीट व भीतरी सडक़ों की चौड़ाई 100 फीट तक रखी थी। यह बात अलग है जो राजनेताओं में अवैध कब्जे करा कर उन सडक़ों को संकरा कर दिया।

अब पुनर्निर्माण के नाम पर इस महत्वपूर्ण सडक़ को लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इस डेढ़ महीने के दौरान न केवल सडक़ को करीब दो फीट गहरा खोदा गया बल्कि सडक़ के किनारे खड़े पुराने वृक्षों को भी काटना शुरू कर दिया। एक विशेष नियम के अनुसार वृक्ष काटने की स्वीकृति वन विभाग से लेनी होती है। इस मामले में बिना कोई सर्वे एवं वृक्षों को चिह्नित किये बगैर अन्धाधुंध कटाई शुरू कर दी जबकि जि़ला वन अधिकारी का निवास भी इसी सडक़ पर है। कुछ स्थानीय जागरूक नागरिकों के प्रतिरोध पर उपायुक्त एवं वन अधिकारी को इस कटान पर रोक लगानी पड़ी।

कहने को तो सडक़ का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जगह-जगह गड्ढे एवं नालियां आदि दिखाई पड़ रही हैं। परन्तु मौके पर काम करने वाला कोई मज़दूर, मिस्त्री, इंजीनियर आदि नज़र नहीं आया। यह ठीक है कि ढंग से काम करने में समय तो लगता है लेकिन इस लगने वाले समय में काम करता हुआ कोई तो नज़र आये, कोई मशीन तो चलती दिखे, बिना इन सबके तो काम कभी भी पूरा होने वाला नहीं। मौका देखने पर इस संवाददाता ने पाया कि सडक़ का लेवल अभी करीब एक फुट नीचा है। इसे उठाने के लिये सीधे आरएमसी (रेडी मिक्स कंक्रीट) भरा जायेगा अथवा उससे पहले कुछ और डाला जायेगा, कोई बताने वाला नहीं। काम की गति को देखते हुए लगता है कि ये पंचवर्षीय नहीं तो पंचमासी योजना तो जरूर है। जबकि इस काम से जुड़े लोगों का मानना है कि यह सारा काम डेढ़-दो माह से अधिक का नहीं होना चाहिए।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles