वेतन का खर्च बचा कर अय्याशी करती खट्टर सरकार

वेतन का खर्च बचा कर अय्याशी करती खट्टर सरकार
October 08 15:48 2022

चंडीगढ़ (म.मो.) राज्य सरकार के काम-काज को सुचारू ढंग से चलाने के लिये बीसियों वर्ष पूर्व 4 लाख 45 हजार 346 पद स्वीकृत किये गये थे। समय के साथ-साथ राज्य में आबादी एवं काम-काज में बढोतरी के चलते इन पदों में भी बढोतरी होनी चाहिये थी। पदों को बढाना तो दूर रहा, इनमें से 1 लाख 82 हजार 497 पद रिक्त पड़े हैं। देश में काम करने वाले दक्ष लोगों की कोई कमी न होने के बावजूद सरकार ने इन पदों को केवल इस लिये खाली रखा हुआ है ताकि वेतन पर होने वाला खर्च बचाया जा सके और बचे हुए धन से सरकार की अय्याशियां चलती रहे।

कहने की जरूरत नहीं कि जिस मशीन में से आधे पूर्जे ही गायब कर दिये जाये तो वह मशीन कैसे चल पायेगी? कोई भी सरकार अपने विभागों का सर्जन और उनमें कर्मचारियों की बहाली इसलिये नहीं करती कि लोगों को रोजगार मिल जाये। विभागों का सर्जन व कर्मचारियों की बहाली तो केवल इस लिये की जाती है कि सरकर रूपी मशीनरी बिना लडख़ड़ाये सही ढंग से चल पाये। रोजगार तो एक प्रकार का बाई प्रोडक्ट है जो स्वत: निकल आता है। परन्तु इस सरकार को अपनी मशीन को चलाये रखने की कोई चिन्ता नहीं।

गतांक में राज्य के कुछ प्रमुख विभागों-शिक्षा, चिकित्सा, ईएसआई चिकित्सा आदि का विवरण प्रस्तुत किया गया था। इस बार प्रमुख विभाग पुलिस है। इसमें कुल स्वीकृत पदों की संख्या 78306 है, जिसमें से 53328 पद भरे हुए हैं, यानी कि शेष 24959 रिक्त पड़े हैं। विदित है कि नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिये बनाये गये इतने महत्वपूर्ण महकमे में जब इतनी बड़ी संख्या रिक्त पदों की होगी तो उनके भरोसे नागरिक कितने सुरक्षित रह पायेंगे? हां, राजनेताओं एवं प्रभावशाली सम्पन्न लोगों ने जरूर अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिये पुलिस बल के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा रखा है। दूसरी ओर काम के बढ़ते बोझ की वजह से पुलिसकर्मी तरह-तरह की शारीरिक व मानसिक बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं।

खेती-बाड़ी राज्य की अर्थ व्यवस्था की रीढ है। राज्य की बहुसंख्या इससे जुड़ी हुई है। कोरोना के दौरान जब जीडीपी शुन्य से भी नीचे चली गई थी तो खेती-बाड़ी ही एक मात्र धंधा ऐसा था जिसमें जीडीपी को काफी हद तक बचा कर रखा। इसके लिये बने कृषि विभाग में स्वीकृत पदों की संख्या मात्र 4950 है जिसमें से 2663 पद रिक्त पड़े हैं। इसी प्रकार कृषि से जुड़े सिंचाई विभाग में कुल 18996 स्वीकृत पदों के स्थान पर केवल 9039 पद भरे हुए हैं, शेष 9951 पद खाली हैं। इससे सिद्ध होता है कि कृषि एवं सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण विभागों के प्रति सरकार कितनी उदासीन है।

राज्य की कमाई का एक महत्वपूर्ण विभाग है परिवहन। इस के लिये सरकार ने 24371 पद स्वीकृत कर रखें हैं जो विभाग की बसों को नियमित एवं सुचारू ढंग से चला कर प्रति दिन सरकार को करोड़ों रुपये कमा कर दे सकें। लेकिन निकम्मी व लापरवाह सरकार ने इन पदों में से 8579 पद रिक्त रखे हुए हैं। अब समझ लीजिये कि परिवहन विभाग सरकार को क्या कमा कर देगा?

लोकल ऑडिट विभाग, बेशक छोटा सा ही है लेकिन है बहुत महत्वपूर्ण। इसका काम सरकार के विभिन्न विभागों के बही-खातों पर नजर रखनी होती है। इसके लिये कुल 652 पद स्वीकृत हैं और इनमें से भी 342 पद खाली पड़े हैं। अब समझ लीजिये कि सरकार के किस विभाग में कहां-कहां कितना-कितना घोटाला व गबन हो रहा है, कोई पूछने वाला नहीं , किसी की कोई जिम्मेवारी नहीं। कर दाता का धन लुट रहा है तो लूटता रहे खट्टर साहब ने तो वेतन के करोड़ों रुपये बचा ही लिये। अंग्रेजी में कहावत है ‘पैनी वाइज, पाऊंड फुलिश’ यानी दमड़ी बचानी है चाहे रुपया खर्च हो जाये।

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Mazdoor Morcha
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