फरीदाबाद (म.मो.) बीते करीब दो साल से, मोठूका गांव स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में डायरेक्टर के पद पर विराजमान डॉक्टर गौतम गोले ने अखबारों में अपने एक बयान के माध्यम से बताया है कि मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल शीघ्र चालू होने वाला है। सरकारी भोंपू की तरह राजनीतिक बयान जारी करते हुए वे कहते हैं कि संस्थान के लिये आवश्यक उपकरणों एवं साजो-सामान की खरीद-प्रक्रिया जारी है। फेकल्टी यानी डॉक्टरों की भर्ती भी जारी है। 30 डॉक्टर तैनात हो चुके हैं-अपने इसी बयान में डॉ. गोले फरमाते हैं कि यदि ‘सब कुछ ठीक रहा तो’ अगले माह तक अस्पताल चालू हो जायेगा और इसी सत्र में 100 छात्रों को एमबीबीएस कोर्स में दाखिला दे दिया जायेगा।
उनके बयान में ‘यदि सब कुछ ठीक रहा’ जैसे शब्दों के मायने बहुत गहरे हैं। यानी भरोसा उन्हें भी नही है कि सब कुछ ठीक रह पायेगा। ‘मज़दूर मोर्चा’ गतांकों में लिख चुका है कि खट्टर सरकार के बस का नहीं है इस चले-चलाये मेडिकल कॉलेज को चलाना। फेकल्टी भर्ती के लिये जिन 106 डॉक्टरों को चयनित किया गया था उन्हें स्वीकृति पत्र देने के लिये गत माह पंचकूला तलब किया गया था। वहां मात्र 90 डॉक्टर ही पहुंचे थे। लेकिन अब मात्र 30 डॉक्टरों ने ही तैनाती पाई है। इसका मतलब यह हुआ कि चयनित डॉक्टरों को खट्टर सरकार की सेवा शर्तें तथा वेतन आदि रास नहीं आया। ‘मज़दूर मोर्चा’ ने उसी वक्त यह भी लिख दिया था कि केवल वही डॉक्टर खट्टर की नौकरी में आयेंगे जिन्हें कहीं और ठौर नहीं। यानी सब जगह से रिजेक्टेड माल ही इस कॉलेज में लगेगा।
जून का महीना निकलने जा रहा है और अभी तक आवश्यक उपकरणों एवं साजो-सामान की प्रक्रिया चल रही है। इस तरह की सरकारी प्रक्रिया जिस तरह से चलाई जाती है उसे जानने वाले बखूबी समझते हैं कि यह कब तक पूरी होगी? यही सब बातें डॉक्टर गोले भी अच्छी तरह समझते हैं। उन्हें भी इस संस्थान का भविष्य कुछ बेहतर नज़र नहीं आ रहा। इसी लिये उन्होंने ‘यदि सब कुछ ठीक रहा’ शब्दों का इस्तेमाल किया है। खट्टर की नौकरी कर रहे हैं, वेतन आदि सब ठीक-ठाक मिल रहा है तो वही भाषा बोलना उनके लिये हितकारी होगा जो सरकार को पसंद हो।
सुधी पाठकों को फिर से याद दिला दें कि अप्रैल 2021 में खट्टर महोदय ने इस संस्थान को दो दिन में चला देने का एलान किया था और इसके जवाब में ‘मोर्चा’ ने लिख था कि दो दिन तो क्या वे दो साल में भी चला दें तो बहुत बड़ी बात होगी।