उन्हें कोई कैसे आज़ाद कराये जन्हें अपने गुलाम होने की खबर नहीं?
लॉकडाउन में बाल बढ़ कर गर्दन से नीचे आ गए और खुद को आईने में देखने के बाद मुझे लगने लगा था कि मैं जामवंत के खानदान से सम्बंधित हूँ, ऐसा लगने के पीछे सिर्फ लॉकडाउन नहीं रामायण का असर भी है| खैर सलून खोलने की आज्ञा मिली और जामवंत रुपी बालों को किसी एक्सपर्ट से कटाने के लिए मैं कनाट प्लेस स्थित लुक्स यूनिसेक्स नामक सैलून में गया|
बहुत सधे हुए हाथों से शोनाली ने बाल काटते हुए नजाकत भरे अंदाज़ में पूछा:-
“सर, वुड यू लाइक तो हैव वाटर? मैंने कहा कॉफ़ी, ओह सर आई एम् रियली वैरी सॉरी बीकॉज, अपार्ट फ्रॉम वाटर वी आर नॉट अलाऊ टू ऑफ़र यू ऐनीथिंग ड्यू टू कोरोना|”
बातचीत के दौरान 23 वर्षीय शोनाली ने बताया कि उनकी सैलेरी 25 प्रतिशत तक कम हो गई है, इतना ही नहीं अब सिर्फ पचास प्रतिशत स्टाफ ही काम कर रहा है और बाकियों को घर का रास्ता दिखा दिया गया है| इतना कहने के साथ ही शोनाली ने अपनी अंगरेजी की आड़ में छुपी अनपढ़ता के चेहरे से पर्दा उठाते हुए कहा कि सर मालिक लोग भी अब कहाँ से देंगे?
शोनाली से जानने की कोशिश में ज्ञात हुआ कि बाल काटने के दाम में कुछ बढ़ोतरी के साथ अन्य सेवाओं में भी दाम बढ़ेंगे, और जो डिस्काउंट पहले मिला करते थे कस्टमर को वो अब नहीं मिलेगा| जब यह सब हो रहा है तो मालिक का क्या नुकसान हुआ शोनाली? उन्होंने कहा क्यों सर उनकी कमाई भी तो कम हुई न? हाँ तो मुनाफा कम होना नुकसान कैसे हो गया?
मैंने शोनाली से कुछ तर्क किये, लॉकडाउन में सैलून नहीं खुला तो बिजली, और अन्य खर्चे बचे, फिर आधा स्टाफ निकाल दिया और तुम्हारी तनख्वाह से भी 25% काट लिए| इसका अर्थ है कि जो नुकसान मालिक को हुआ वह सब तो उसने तुम्हारी तनख्वाह की कटौती से भी पूरा किया ही| अब आते हैं उन सर्विसेज पर जो तुम लोग ऑफर करते थे, कॉफ़ी तुम नहीं पिला रहे, डिस्काउंट भी नहीं दे रहे, सर्विसेज के दाम भी बढ़ा दिए और यहाँ तक कि कोरोना के नाम पर एसी भी नहीं चला रहे तो मालिक के नुकसानन की भरपाई तो तुम और मैं ही कर रहे हैं न? जोर के ठहाके के साथ शोनाली बोली “ओह शिट आई डिड नॉट रीअलाईस दैट”|
शोनाली जैसे युवा जो अंडरस्टैंडिंग सरकार के और मालिकों के फैसलों के साथ दिखा रहे हैं उसके कारणों में मुख्य है कि शिक्षा व्यवस्था के बाद अब आईटी सेल की मीम व्यवस्था ने इनके समझने की शक्ति को कुंद कर दिया है| साथ ही अपनी गर्दन बची हुई है इसलिए सारी हरियाली दिख रही है वरना यदि इसी शोनाली कि खुद की नौकरी गई होती तो शायद ये अंडरस्टैंडिंग काफूर हो जाती|
बाल कटाने के 590 रुपये जो पहले 450 थे, देने के बाद शोनाली को पचास रुपये कि टिप भी दी और सोचा कि बाल कटवाए हैं या अपना कटवाया है? इसका जवाब कई लोग अलग-अलग अंदाज़ में देंगे| पर हाँ शोनाली का जो कटा है उससे कहीं बड़े अनुपात में इस देश का कट रहा है|