फरीदाबाद (म.मो.) नगर निगम द्वारा हजारों करोड़ का बजट डकारना प्रार्याप्त नहीं लगा तो सरकार ने इस शहर में स्मार्ट सिटी के नाम पर अलग से हजारों करोड़ रुपया झोंक दिया। उसके बावजूद शहर की दुर्दशा न केवल बढती जा रही है बल्कि घातक भी होती जा रही है।
दिनांक 15 दिसम्बर को शहर की एक घातक सडक़ से इस संवाददाता को भी दो-चार होना पड़ा। उस रात करीब साढे आठ बजे जब यह संवाददाता अपनी कार से बाटा मोड़ से कचहरी को जाने वाली सडक़ पर जाते हुए टाउन पार्क के लिये बायीं और मुड़ा तो कंक्रीट की बनी सडक़ के बीचों-बीच बने एक गड्ढे में उनकी कार ऐसी गई कि उनका सिर जाकर कार की छत में लगा, ट्यूबलेस टायर बुरी तरह से कट गया और रिम बुरी तरह से मुड़ गया। इस संवाददाता ने जैसे-तैसे अपनी गाड़ी घर पहुंचाई।
अगली सुबह गड्ढे को देखने के लिये यह संवाददाता स्वयं अपने मित्र के साथ पहुंचा तो पाया कि मात्र 6 इंच गहरे व चार फुट लम्बे गड्ढे के किनारे इतने तीखे थे कि उन्होंने ही टायर में घुस कर उसको काट दिया। इसके तीखापन का कारण सिमेंट कंक्रीट की वह पड़त थी जिसके नीचे से रोड़ी आदि बरसात के पानी से बह कर निकल गई होगी। वैसे तो इस मोड़ पर दो-तीन छोटे-छोटे गड्ढे पहले से ही चले आ रहे हैं लेकिन यह गड्ढा उन्हीं का विस्तार स्वरूप है। यदि समय रहते उन गड्ढों की मुरम्मत कर दी गई होती तो उनका विस्तार न होता और न ही यह दुर्घटना होती।
इस शहर में इस तरह की दुर्घटनाएं होना कोई नई बात नहीं है। इस लम्बे-चौड़े शहर की तमाम गड्ढों भरी सडक़ों पर न जाने कितने लोग हर रोज़ दुर्घटनाग्रस्त होते हैं, जिनका कोई लेखा-जोखा रखने की व्यवस्था नहीं है। इन दुर्घटनाओं में शारीरिक क्षति के अलावा वाहनों को भी काफी क्षति पहुंचती है। मौजूदा मामले में ही कार का एक टायर व रिंम तो क्षतिग्रस्त हो गये, साथ में चिमटे कमानी आदि की भी मरम्मत पर भी खर्च आयेगा। नागरिकों को यह सब क्षति तब उठानी पड़ रही है जब वे दुनियां भर का टैक्स केन्द्र सरकार, राज्य सरकार व नगर निगम को देते हैं। इतने टैक्स अदा करने के बाद नागरिकों का इतना हक तो बनता ही है कि वे सडक़ों पर बिना दुर्घटनाग्रस्त हुए आवागमन कर सकें।