फरीदाबाद (म.मो.) बीते लम्बे समय से चली आ रही सरकारी भर्ती प्रक्रिया को छोडक़र भाजपा सरकार ने बेरोजगार युवकों को बेवकूफ बना कर ठगने की नई नीति तैयार की है। पुरानी प्रक्रिया के अनुसार सरकार अपने विभिन्न विभागों के लिये आवश्यक खाली पदों के लिये इच्छुक लोगों से आवेदन लेकर, उनकी योग्यता की जांच-पड़ताल के बाद उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया करती थी। इसके विपरीत अब सरकार बेरोजगारों का शोषण करने के लिये एक से एक नई नौटंकी पेश कर रही है।
बीते शनीवार-रवीवार यानी पांच व छ: नवम्बर को सीईटी (कॉमन इलिजिब्लिटी टेस्ट)नामक ऐसे ही एक नौटंकी का दृश्य देखने को मिला। इसके लिये हरियाणा के 12 लाख से अधिक युवाओं ने आवेदन किया था। आवेदन की फीस, विभिन्न श्रेणियों के लिये न्यूनतम 250 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक वसूली गई। जानकारों का मानना है कि इस फीस से ही सरकार को 50 करोड़ से अधिक की आमदनी हो गई।
मजे की बात तो यह है कि यह टेस्ट किसी नौकरी विशेष के लिये न होकर केवल इस बात के लिये रखा गया है कि आवेदक राज्य की चपरासी से लेकर क्लर्क स्तर की नौकरियों के आवेदन करने के लायक है या नहीं। अर्थात जो आवेदक इस टेस्ट को पास कर लेंगे केवल वही सरकार द्वारा विज्ञापित विभिन्न ऐसे ही पदों के लिये आवेदन कर सकेंगे। उन पदों के लिये आवेदन करते वक्त आवेदकों को फिर से इतना ही आवेदन शुल्क भरना पड़ेगा। पर्चा लीक होने की स्थिति में, जो कि भाजपा राज्य में एक सामान्य बात है, व परीक्षा एवं आवेदन आदि सब रद्द हो जायेगा और आवेदक को आवेदन शुल्क भी नहीं लौटाया जायेगा।
इतना ही नहीं, इस पर सितम यह कि आवेदकों को सीईटी के लिये 200-250 किलो मीटर दूर परीक्षा केन्द्र दिये गये थे। सर्व विदित है कि राज्य में जर्जर परिवहन व्यवस्था के चलते सामान्य स्थितियों में भी यात्रा करना सरल नहीं है। ऐसे में जब 10-12 लाख आवेदक राज्य के एक सिरे से दूसरे सिरे तक की दौर लगाने को मजबूर हुए तो सारी परिवहन व्यवस्था को लकवा मार गया। इसके चलते डेढ़ से दो लाख आवेदक समय पर परीक्षा केन्द्रों तक पहुंच ही न पाये। कुछ मामलों में तो यह भी पाया गया कि प्रवेश पत्र में दिया गया केन्द्र ही गलत था। इस यात्रा पर जो किराया भाड़ा आदि खर्च हुआ, वह अलग से। उचित सुरक्षा व्यवस्था न होने के चलते महिला आवेदकों के साथ घर के एक आदमी को भी जाना पड़ा। दूसरा सितम यह कि इस टेस्ट की मान्यता केवल तीन साल तक ही रहेगी। इस बीच यदि आवेदक को कहीं नौकरी नहीं मिलती तो उसे दोबारा, तिबारा यही टेस्ट पास करना होगा।
इससे पहले ऐसा ही टेस्ट स्कूल शिक्षक भर्ती के लिये भी रखा गया था। लाखों प्रशिक्षित युवाओं ने उस टेस्ट को पास किया लेकिन कहीं भी नौकरी नहीं मिली। इन शिक्षक आवेदकों को गोल-गोल घुमाये रखने के लिये इस टेस्ट की मान्यता अवधि केवल एक साल रखी गई थी। लाखों बेरोजगार नौकरी की आस में हर साल यह टेस्ट पास करते रहे। जनता द्वारा हंगामा करने के बाद इस टेस्ट की मान्यता तीन साल कर दी गई थी।
विदित है कि हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों में करीब चार लाख स्वीकृत पद हैं जिनमें से आधे पद कई वर्षों से खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने की बजाय भाजपा की खट्टर सरकार तरह-तरह की नौटंकियां करके बेरोजगारों के साथ क्रूर मजाक तो कर ही रही है, जनता को भी आवश्यक सरकारी सेवाओं से वंचित रख रही है।