सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड: दो बधावन भाइयों ने बैंकों को लगाया 34615 करोड़ रुपये का चूना

सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड: दो बधावन भाइयों ने बैंकों को लगाया 34615 करोड़ रुपये का चूना
July 12 03:57 2022

जेपी सिंह

आर्थिक उदारीकरण का सर्वाधिक फायदा बैंकों से फर्जीगिरी करके अरबों खरबों के फ्रॉड करने वालों को हुआ है। सीबीआई ने अब तक के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड का पर्दाफाश किया है। बैंकिंग फ्रॉड के मामले में डीएचएफएल के प्रवर्तकों कपिल वधावन और धीरज वधावन के खिलाफ नया केस रजिस्टर किया है। इस मामले में बैंकों के एक समूह को 34,615 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है। बैंकों के इस समूह की अगुवाई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कर रहा था। सीबीआई को इस मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी जनरल मैनेजर विपिन कुमार शुक्ला ने लिखित शिकायत दी थी। इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था।

डीएचएफएल का यह मामला सीबीआई के पास रजिस्टर्ड अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड है। 34 हजार करोड़ रुपयों से भी ज्यादा के इस घोटाले में सीबीआई ने इस मामले में घोटाला करने वाली कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड और उसके सहयोगियों पर विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्जकर आज देश भर में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान अनेक आपत्तिजनक और महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए हैं। देर शाम तक छापेमारी का दौर जारी था।
सीबीआई को इस मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी जनरल मैनेजर विपिन कुमार शुक्ला ने लिखित शिकायत दी थी इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था। इस शिकायत में कहा गया था कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों और सहयोगियों ने 17 बैंकों के समूह का नेतृत्व कर रहे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 34 हजार 615 करोड़ रुपए का चूना लगाया है इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था। यह चूना साल 2010 से साल 2019 के बीच लगाया गया इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था।

सीबीआई को दी गई शिकायत में कहा गया था कि डीएचएफएल कंपनी काफी पुराने समय से बैंकों से क्रेडिट सुविधाएं लेती रही है। यह कंपनी अनेक क्षेत्रों में काम करती है. इस कंपनी ने 17 बैंकों के समूह से जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बैंक ऑफ महाराट्र आईडीबीआई यूको बैंक इंडियन ओवरसीज बैंक पंजाब एंड सिंध बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों से दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, कोचीन आदि जगहों पर क्रेडिट सुविधा ली। इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था।

आरोप है कि इस कंपनी ने बैंकों से कुल 42 हजार करोड़ से ज्यादा का लोन लिया, लेकिन उसमें से 34615 हजार करोड़ रुपए का लोन वापस नहीं किया साथ ही उनका एक खाता 31 जुलाई 2020 को एनपीए हो गया इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था।

आरोप है कि इस कंपनी ने बैंक से जिस काम का पैसा लिया था उस काम में नहीं लगाया जो फंड बैंकों से लिया जाता था इसके पहले सबसे बड़े घोटाले के तौर पर 22 हजार करोड़ का बैंक घोटाला सामने आया था। वह एक महीने के थोड़े समय के भीतर ही दूसरी कंपनियों में भेज दिया जाता था।

जांच के दौरान यह भी पाया गया कि लोन का पैसा सुधाकर शेट्टी नाम की एक शख्स की कंपनियों में भी भेजा गया साथ ही यह पैसा दूसरी कंपनियों के ज्वाइंट वेंचर में लगाया गया। यह भी पता चला है कि लोन का पैसा 65 से ज्यादा कंपनियों में भेजा गया। इसके लिए बाकायदा अकाउंट बुक में फर्जीवाड़ा किया गया।

सीबीआई ने इस मामले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड उसके निदेशक कपिल वधावन धीरज वधावन एक अन्य व्यक्ति सुधाकर शेट्टी अन्य कंपनियों गुलमर्ग रिलेटेर्स, स्काईलार्क बिल्डकॉन दर्शन डेवलपर्स, टाउनशिप डेवलपर्स समेत कुल 13 लोगों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया।

एफआईआर में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है। बैंक ने आरंभिक बयान में कहा है कि उनका कोई कर्मचारी इस घोटाले में फिलहाल शामिल नहीं पाया गया है। लेकिन सीबीआई को शक है कि इतना बड़ा घोटाला बिना बैंक कर्मियों की मिलीभगत के नहीं हो सकता। लिहाजा उनकी भूमिका की जांच भी की जा रही है। सीबीआई ने इस मामले में आज मुंबई समेत अनेक शहरों की एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की। देर शाम तक चली छापेमारी के दौरान अनेक आपत्तिजनक और महत्वपूर्ण दस्तावेज तथा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए हैं। देर शाम तक छापों का दौर जारी था। इस मामले में कुछ राजनेताओं की भूमिका की जांच भी की जा सकती है । मामले की जांच जारी है ।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उसकी अगुवाई वाले बैंकों के समूह को 40,623.36 करोड़ रुपये का चूना लगाने के लिए डीएचएफएल के पुराने प्रबंधन और प्रवर्तकों के खिलाफ सीबीआई से जांच करने की मांग की थी। 40,623.36 करोड़ रुपये का आंकड़ा 30 जुलाई 2020 के आधार पर था। बैंक ने अपनी शिकायत में ऑडिट फर्म केपीएमजी की जांच के नतीजों का भी जिक्र किया था। केपीएमजी ने पाया था कि उक्त मामले में नियमों व प्रावधानों को ताक पर रखा गया, अकाउंट के साथ छेड़छाड़ की गई, गलत आंकड़े सामने रखे गए ।

अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने बैंक से 11
फरवरी 2022 को मिली शिकायत के आधार पर कार्रवाई की। डीएचएफएल के प्रवर्तक कपिल वधावन और धीरज वधावन पहले से ही तलोजा जेल में हैं। दोनों को यस बैंक के साथ फ्रॉड के मामले में सीबीआई और ईडी के केस के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। दोनों के ऊपर आरोप है कि उन्होंने यस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर के साथ मिलकर यस बैंक के साथ फ्रॉड किया ।

डीएचएफएल का यह मामला सीबीआई के पास रजिस्टर्ड अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड है। सीबीआई ने हाल ही में पता लगाया कि फ्रॉड में एबीजी शिपयार्ड को 22,842 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी ने बैंक से 11 फरवरी, 2022 को मिली शिकायत के आधार पर कार्रवाई की।

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