रवीश कुमार सहयोगी की नजर में

रवीश कुमार सहयोगी की नजर में
January 31 02:05 2023

सुशील महापात्र
जब 2008 में एनडीटीवी जॉइन किया तब रवीश कुमार जी को नहीं जानता था। मेरी दुनिया ही अलग थी। मैं अपने काम में इतना व्यस्त रहता था कि रवीश जी से न ही ज्यादा मुलाकात होती थी न बातचीत। उस समय रवीश जी एंकर नहीं बने थे। इसीलिए मेरा ज्यादा नाता नहीं था। मैं गेस्ट कोआर्डिनेशन में काम करता था तो सिर्फ उन एंकरों से ज्यादा बात होती थी जो शो करते थे और उन्हें guests की जरूरत होती थी। उस समय हम सब firsr फ्लोर में बैठते थे लेकिन जब सेकंड फ्लोर आता था तब रवीश जी को कंप्यूटर में कुछ लिखते हुए देखता था लेकिन कभी इनके बारे में जानकारी लेने की कोशिश ही नहीं की।

प्राइम टाइम पहले से ही शुरू हो गया था लेकिन दूसरे एंकर करते थे। एक दिन अचानक मैनेजमेंट ने निर्णय लिया कि रवीश जी ही प्राइम टाइम करेंगे 2011-12 की बात है। ऐसे में न्यूज़ रूम में घूम रहा था तो पीछे से एक आवाज़ आई “Who is Sushil mohapatra”। पीछे मुडक़र देखा तो रवीश जी ही थे। उनके पास गया और बोला कि मैं सुशील महापात्र हूँ। बताएं क्या काम है? रवीश जी कहने लगे कि अब तो मैं प्राइम टाइम करूंगा और आप तो गेस्ट करेंगे। मैं मन में सोचने लगा कौन यह नया एंकर आ गया है ?

पता नहीं कितना परेशान करेंगे? मैंने बोला ठीक है सर। फिर रवीश जी बोलने लगे देखो भाई आप अच्छा गेस्ट लाएंगे तो शो भी अच्छा बनेगा इसीलिए आप पर बहुत कुछ निर्भर करता है। फिर प्राइम टाइम शुरू हुई। उस समय रवीश जी एंकर थे और मैं गेस्ट करता था। हमारे पास कोई रिसर्चर भी नहीं था। सुबह से हमलोग लगे रहते थे पता नहीं कितनी बार टॉपिक चेंज होता था और कितनी बार गेस्ट कैंसिल करना पड़ता था। जैसे ही टॉपिक चेंज हो जाता था रवीश जी फ़ोन करते थे और धीरे से कहते थे अच्छा सुनो, गुस्सा मत करना टॉपिक चेंज करना पड़ेगा फिर कहते थे मैं खुद गेस्ट से बात कर लूंगा, मैसेज कर दूंगा। तुम टेंशन मत लो। करते भी थे। मैं भी सोचता था भाई यह तो अलग तरह की एंकर हैं। इतने प्यार से बात कैसे कर रहे हैं ? कोई दूसरा तो ऐसा नहीं करता है बल्कि सिर्फ इंस्ट्रक्शन देते हैं। मुझे लगा रवीश जी बहुत चालू हैं शायद काम निकालने के लिए ऐसे काम कर रहे हैं। मैं इतना जल्दी किसी से विश्वास नहीं करता हूँ यह मेरा नेचर ही है। धीरे धीरे काम करते गए। एक दिन शो में में बहुत शानदार गेस्ट ले आया, शो खत्म होते ही रवीश जी को फोन किया तो उनका नंबर बिजी आ रहा था। तुरंत कॉल बैक किये और बोले कि तुम आज शानदार गेस्ट लाये थे ,तुम्हारा तारीफAunindyo Chakravarty जी से कर रहा था। Aunin जी तब मैनेजिंग एडिटर थे। मुझे लगा ऐसे कैसे हो सकता है। शायद रवीश जी मुझे खुश करने के लिए बोल रहे हैं। मैं विश्वास ही नहीं किया। यह मेरी गलती नहीं थी ।

गेस्ट कोऑर्डिनेटर का काम thanksless job है। अगर आप अच्छा गेस्ट लाते हैं तो एंकरों की तारीफ होती है अगर गेस्ट खराब आया तो गेस्ट कोऑर्डिनेटर ही जिम्मेदार है। यह बात मेरे दिमाग में ह्यद्गह्ल हो गया था। इसीलिए रवीश जी के बातों पर मैं विश्वास नहीं किया। अगले दिन आफिस गया तो Aunin जी ने कहा कि धन्यवाद सुशील आप ने बढिय़ा गेस्ट लाये थे। मैने पूछा आप को कैसे पता चला तो Aunin जी ने कहा कि रवीश जी फोन किये थे और आप की तारीफ कर रहे थे। तब मैंने सोचने लगा कि यह एंकर तो अच्छा है। रवीश जी के प्रति 2-4 प्रतिशत विश्वास बढ़ गया लेकिन मैं पूरी तरह उन्हें विश्वास नहीं करता था जैसे मैंने बताया मेरा नेचर ही ऐसा है। किसी को पूरी तरह भरोसा करने के लिए मैं बहुत समय लेता हूँ। हर तरफ देखता हूँ, परखता हूँ।

रवीश जी प्राइम टाइम की एंकर बन गए। एक महीने के अंदर TRP के मामले में शो नंबर 2 पर पहुंच गया फिर कभी नंबर 1 कभी नंबर 2। तब हर गुरुवार को TRP का मेल आता था तब हम देखते थे कि किस किस टॉपिक पर कितना TRP आ रहा है। आज जो लोग रवीश जी पत्रकारिता पर सवाल उठा रहे हैं वो 2014 के पहले के शो देख लेना चाहिए। उस समय भी हमारे शो में UPA सरकार की आलोचना होती थी जैसे आज NDA की हो रही है। उस समय बीजेपी के कई प्रवक्ता हमारे शो में आने के लिए फोन करते थे। पूरी तैयारी के साथ कागज लेकर स्टूडियो में आते थे। नाम लेना नहीं चाहता हूं। उसमें से कई प्रवक्ता तो मंत्री भी बने। 2014 के बाद बहुत कुछ बदल गया। जैसे शो में NDA की आलोचना होने लगी बीजेपी वाले नाराज़ होने लगे। प्रवक्ता शो में आना बंद कर दिए। जो बीजेपी के नेता 2014 से पहले शो में आने के लिए फोन करते थे वो 2014 के बाद धीरे धीरे आना बंद कर दिए और एक दिन पूरी तरह बंद कर दिए। मुझे तो लगता है यह बहुत अच्छा हुआ। जैसे ही बीजेपी के प्रवक्ता आना बंद कर दिए हम लोगों ने शो में गेस्ट बुलाना भी बंद कर दिया। हम चाहते तो दूसरे चैनलों की तरह चेयर खाली रख के शो कर सकते थे लेकिन हमारी मकसद ही ऐसा नहीं था।

एक पार्टी को छोडक़र शो करना ठीक नहीं था। यह हमारे असूलों के खिलाफ था। फिर हम रिसर्च based शो करने लगे। धीरे धीरे शानदार शो सब किये। नौकरी सीरीज से लेकर बैंक सीरीज यूनिवर्सिटी सीरीज। हज़ारों बच्चों को नौकरी भी मिली। कोरोना के समय में घर से काम किये लेकिन वो एक अलग अनुभव था। आफिस आने जाने में जो समय बर्बाद होता था उस समय को हमने शो के लिए इस्तेमाल किये। पिछले तीन साल के शो सब आप देख लीजिए। एक से बढक़र एक डॉक्यूमेंट किया हुआ शो है। हमारे पास man power बहुत कम था लेकिन हमलोगों ने ईमानदारी के साथ काम किया। ऐसा शो दूसरे एंकर एक हफ्ते में नहीं कर पाएंगे लेकिन हम लोगों ने एक दिन कर देते थे इसे आप को पता चल रहा होगा कि कितना मेहनत करना पड़ता था। हमारी छोटी सी टीम है लेकिन सभी लोग काम के प्रति बहुत ईमानदार हैं।

पिछले 11 सालों से रवीश जी और मैं प्राइम टाइम के लिए काम किये। कई नए लोग जॉइन किये छोडक़र भी चले गए। सब ने बखूबी अपना ड्यूटी निभाया। लेकिन हम दोनों रह गए। मैंने कई बार सोचा कि छोड़ देना चाहिए। आगे बढ़ जाना चाहिए लेकिन रवीश जी को छोडक़र जा नहीं पाया। जो लोग रवीश जी को करीब से नहीं जानते हैं वो गाली देते हैं लेकिन मैं उन्हें करीब से जनता हूँ मैं जानता हूँ कितना ईमानदार हैं। ऐसा नहीं कि मेरा उनके साथ बहस नहीं होता था। आज भी होता है। कभी कभी तो बहुत होता था लेकिन पांच मिनट के अंदर सब सुलझ जाता था। बाद में वो बिना गलती करते हुए भी मुझे कई बार पहले sory बोलते थे। उन्हें पता था मैं थोड़ा जि़द्दी हूँ, इमोशनल हूँ। यही सब बात उनके साथ काम करने के लिए मुझे प्रेरणा देती थी। मेरे लिए पैसा सब कुछ नहीं है ना ही मैंने बहुत पैसा कमाया हूँ लेकिन एक अच्छा सहयोगी मिलना बहुत बड़ी बात है।

प्राइम टाइम में काम करते हुए मैंने रिपोर्टिंग किया। मेरी ज्यादातर रिपोर्ट प्राइम टाइम में ही चलती थी। मेरा हिंदी कितना महान है आप सब जानते हैं लेकिन ऐसा नहीं कि मेरे खराब रिपोर्ट भी चलता था। मैं हमेशा रिपोर्ट के लिए बहुत मेहनत करता था। एक एक स्टोरी के लिए कई दिनों तक शूट करता था। मुझे पता था रिपोर्ट खराब होगी तो रवीश जी चलाएंगे नहीं। यह सब मामले में हम सब प्रोफेशनल थे।
जब रवीश जी मेरी स्टोरी को छोटा कर देते थे तो मैं गुस्सा करता था लेकिन वो अपने बातों पर अड्डे रहते थे फिर मैं गुस्से में रहता था तो फिर मुझे प्यार से समझते थे फिर कुछ ही देर में मेरा गुस्सा ठंडा हो जाता था। मैं अपनी रिपोर्ट के लिए दो बार रामनाथ गोयनका, एक बार रेड इंक और एक बार जर्नलिज्म फ़ॉर पीस अवार्ड जीता। यह मेरे जैसे non-hindi स्पीकिंग पत्रकार के लिए बड़ी बात है। मेरे लिए तो और गर्व की बात है कि मैं रामनाथ गोरनक अवार्ड हिंदी जर्नलिज्म में जीता यह सब संभव सिर्फ एनडीटीवी और प्राइम टाइम के वजह हो पाया। मुझे कभी किसी ने नहीं कहा कि मेरी हिंदी अच्छी नहीं है तो मेरी रिपोर्ट नहीं चलेगी। न रवीश जी ने कोई और।।बल्कि रवीश जी तो यह भी कहते हैं हमेशा ऐसे ही बोलते रहना बस मात्रा ठीक कर लो। मुझे तो मेरे मैनेजिंग एडिटर सुनील जी कहते हैं आप हमेशा ऐसा ही रिपोर्टिंग करो। बदलो मत। ऐसा जगह कहीं नहीं मिलेगा।

जहां आप को हर ईमानदारी के लिए आज़ादी है। यहां आप को designation नहीं आप क्या deserve करते हैं देखा जाता है। गेस्ट कोऑर्डिनेटर से मैं कब करंट अफेयर्स का एडिटर बन गया पता नहीं चला। मैंने कभी रवीश जी को नहीं कहा कि मैं इतना काम करता हूँ तो मेरा श्चह्म्शद्वशह्लद्बशठ्ठ कर दीजिये न किसी और से कहा। रवीश जी अपना रेस्पोंसबिलिटी समझते थे। एनडीटीवी अपना रेस्पोंसबिलिटी समझता है। यहां आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं तो आप को उसका रिवॉर्ड मिलता है।ऐसा चैनल मिलना मुश्किल है और रवीश जी जैसा कोई दूसरा साथी मिलना संभव नहीं है। रवीश जी के बारे में और काम के बारे में क्या लिखूं। विस्तार से लिखूंगा तो बहुत समय लगेगा।

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Mazdoor Morcha
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