राजनीति में पत्रकारों के घालमेल का दिखने लगा अंजाम, कलम बिकने लगी तो पत्रकारिता का काम तमाम

राजनीति में पत्रकारों के घालमेल का दिखने लगा अंजाम, कलम बिकने लगी तो पत्रकारिता का काम तमाम
July 25 18:49 2022

रवीश कुमार
आज कहानी घूम रही है ज़ी न्यूज़ के ऐंकर रोहित रंजन के गिरफ्तारी के प्रयास की। कमाल यह है कि ज़ी न्यूज़ ने राहुल गांधी के मामले में फेक वीडियो चलाने की सारी जि़म्मेदारी अपने ही दो कर्मचारियों पर डाल दी है और उनके खिलाफ थाने में शिकायत कर दी है। अब तय करना मुश्किल हो रहा है कि प्रेस की आज़ादी पर हमला छत्तीसगढ़ की पुलिस कर रही है या ज़ी न्यूज़ कर रहा है या ज़ी न्यूज़ के वे दो कर्मचारी कर रहे हैं जिन पर ज़ी न्यूज़ ने मिलीभगत कर वीडियो में छेड़छाड़ के आरोप लगाए है। सीधे गिरफ्तारी पर आने से पहले देखते चलते हैं कि यह कहानी कहां से शुरू होती है और कहां कहां घूमती जाती है।

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड जाते हैं. उनके दफ्तर में तोडफ़ोड़ होती है जिसका आरोप एसएफआई पर लगता है, हालांकि एसएफआई ने इसका खंडन किया है कि उसके कार्यकर्ताओं ने हमला नहीं किया। हिन्दू की खबर में लिखा है कि इस हमले के आरोप में स्स्नढ्ढ के 24 कार्यकर्ता जेल में हैं। 25 जून को हुई इस घटना पर वायनाड में पत्रकार राहुल गांधी से सवाल करते हैं तो जवाब में राहुल गांधी कहते हैं कि जिन बच्चों ने ऐसा किया, उन्हें समझ नहीं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं. उन्हें माफ कर देना चाहिए.

ख़ुद ज़ी न्यूज़ ने माना है कि यह लापरवाही जानबूझ कर की गई है, उसे भूलवश या मानवीय चूक की आशंका नहीं है बल्कि गंभीर अपराध की आशंका है। ज़ी मीडिया कोरपोरेशन ने नोएडा पुलिस को अर्जी दी है कि उसके दो पत्रकार नरिंद्र सिंह और विकास कुमार झा के खिलाफ मामला दर्ज हो और जांच हो। द प्रिंट ने लिखा है कि वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि ज़ी न्यूज़ ने शो के प्रोड्यूसर के खिलाफ जो शिकायत दर्ज कराई है, उसके आधार पर मामला दर्ज हुआ है। नोएडा पुलिस ज़ी न्यूज़ के पत्रकार रोहित रंजन के घर गई क्योंकि न्यूज़ चैनल ने ही मांग की है कि उसके कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे। उसी समय छत्तीसगढ़ की पुलिस भी गिरफ्तार करने पहुंची थी। ज़ी न्यूज़ की शिकायत की खबर की हमारे सहयोगी मुकेश सिंह सेंगर ने भी पुष्टि की है।

शिकायत पत्र में ज़ी न्यूज़ की तरफ से लिखा है कि हम कुछ तथ्य बताना चहते हैं, जिससे बहुत ही गंभीर अपराध करने का शक पैदा होता है। नरिंद्र सिंह और  विकास कुमार झा, सीनियर प्रोड्यूसर और प्रशिक्षु प्रोड्यूसर के तौर पर संपादकीय टीम से जुड़े थे। 1 जुलाई को दोनों ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से एक वीडियो प्राप्त किया जिसमें राहुल गांधी का बयान था। जिसमें मिस्टर गांधी ने वायनाड में उनके दफ्तर में हुए हमले की निंदा की थी लेकिन नजऱ से चूक जाने के कारण यह बयान हमारे डीएनए शो में ग़लत संदर्भ में चल गया, जिसके कारण कांग्रेस पार्टी ने कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन किया. कंपनी ने इस मामले की आंतरिक जांच कराई है और इस ग़लती के लिए जिम्मेदार नरिंद्र सिंह और विकास कुमार झा को नौकरी से निकाल दिया है। मौजूदा हालात में कंपनी ठोस रुप से मानती है और शक करती है कि विकास कुमार झा और नरिंद्र सिंह की तरफ जो लापरवाही हुई है, वह जानबूझ कर हुई है। इसमें दोनों की मिलीभगत है. इस आलोक में आपसे गुज़ारिश है कि आप विकास कुमार झा और नरिंद्र सिंह के खिलाफ स्नढ्ढक्र ….दर्ज करें और इस मामले की जांच करें।
कांग्रेस ने इस वीडियो को लेकर आपत्ति जताई, ज़ी न्यूज़ के खिलाफ मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और अलग-अलग जगहों पर……..दर्ज की है। यह भी सही है कि इस घटना को लेकर ज़ी न्यूज़ ने प्रमुखता से माफी मांगी है। डीएनए में भी माफी मांगी गई है और दूसरे कार्यक्रम में भी और ट्विटर पर भी। मेरे ख्याल से इतना काफी था.कांग्रेस को रोहित रंजन की गिरफ्तारी की जि़द छोड़ देनी चाहिए, हां अब अगर ज़ी न्यूज़ को लगता है कि इस मामले में किसी की मिलीभगत थी, लापरवाही नहीं थी, गंभीर अपराध का शक है तब तो मामला कांग्रेस के बस के बाहर का हो जाता है। इसलिए अभी इस मामले को पत्रकारिता पर हमला की तरह देखने से बचना चाहिए। अगर हमला है तो ऐंकर रोहित रंजन सबसे पहले ज़ी न्यूज़ से ही पूछें कि क्या नरिंद्र सिंह और विकास कुमार झा के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराकर सही किया है?

क्या वाकई राहुल गांधी के वीडियो को इस तरह चलाने की जवाबदेही में ऐंकर या किसी और वरिष्ट का कोई रोल नहीं था? रोहित रंजन ही बता सकते हैं कि विकास कुमार झा और नरिंद्र सिंह ने मिलिभगत कर क्या किया और उनका यह काम पत्रकारिता पर हमला था या नहीं? यह हमला किसके फायदे के लिए किया गया? राहुल गांधी के वीडियो को डाक्टर किया गया यानी इधर उधर का जोड़ जाड़ दिया गया, इसके लिए फेक वीडियो का भी इस्तेमाल हो रहा है।

लेकिन यह मामला राजनीतिक रुप से खत्म नहीं हो रहा है। ज़ी न्यूज़ के कार्यक्रम के क्लिप को लेकर बीजेपी के सांसद और पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ और कई अन्य लोगों ने ट्विट किया या वायरल किया।

आज के हिन्दू अखबार के पहले पन्ने पर यह खबर है कि कांग्रेस ने बीजेपी सांसद ने इस ट्वीट को डिलिट करने के लिए कहा है, तब भी नहीं किया है। यही नहीं कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने बीजेपी अध्यक्ष को पत्र लिखा है कि उनके सांसद फेक वीडियो फैलाते हैं। कायदे से राज्यवर्धन राठौड़ को यह ट्विट ज़ी की माफी के बाद ही डिलिट कर देना चाहिए था क्योंकि राज्यवर्धन राठौड़ बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। पार्टी के जिम्मेदार पद पर हैं।

हमने पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ का ट्विटर हैंडल चेक किया, आप भी देख सकते हैं, राज्यवर्धन राठौड़ के 17 लाख फोलोअर हैं। ज़ी न्यूज़ के माफी के बाद आज भी उनके हैंडल से यह झूठ प्रसारित हो रहा है कि राहुल गांधी ने उदयपुर के हत्यारों को बच्चा समझ कर माफ कर दिया है, जबकि राहुल ने घटना के तुरंत बाद निंदा की थी और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।

राज्यवर्धन राठौड़ ने 2 जुलाई को सुबह दस बजे यह ट्विट किया इसमें ज़ी न्यूज़ के कार्यक्रम के क्लिप का इस्तमाल किया गया है और क्लिप के ऊपर लिखा है “उदयपुर हो या वायनाड़, जेएनयू में “अफजल हम शर्मिंदा हैं” और “भारत तेरे टुकड़े होंगे” गैंग के साथ खड़ी रहने वाली कांग्रेस का चरित्र वही रहता है। जेहादी आतंक की विषबेल का बीज किसने बोया, किसने सींचा, खुद सोचिए।” इसी के साथ भाजपा सांसद ने ज़ी न्यूज़ का वीडियो क्लिप भी शेयर किया है जिसे लेकर ज़ी न्यूज़ माफी मांग चुका है। राज्यवर्धन राठौड़ ने ज़ी न्यूज़ के ऐंकर के बयान को अपने ट्विट में शामिल नहीं किया है। 3 जुलाई को राज्यवर्धन राठौड़ ट्विट करते हैं कि “माफी तो @RahulGandhi और कांग्रेस के नेताओं को माँगनी होगी, या फिर ये लोग कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहें। जिस प्रकार ये लोग आरएसएस व भाजपा पर आधारहीन आरोप लगाकर जाँच की दिशा और जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं, उसका परिणाम इन्हें भोगना पड़ेगा.” राज्यवर्धन राठौड़ सूचना प्रसारण मंत्री रहे हैं। ज़ी न्यूज़ के क्लिप को शेयर करना उतनी बड़ी गलती नहीं है क्योंकि एक चैनल ने चलाया था लेकिन जब उस चैनल ने ही माफी मांग ली तब क्यों राठौड़ ने ज़ी न्यूज़ का क्लिप डिलिट नहीं किया? तब भी जब ट्विटर कंपनी ने इस ट्विटर के नीचे चेतावनी चिन्ह लगा दिया है।

यहां एक बात कहना ज़रूरी है कि पत्रकारिता के पेशे में हम सभी से मानवीय भूल होती है। मैं खुद कई बार नाम,नंबर को लेकर ग़लती कर जाता हूं। कई बार कानून फैसलों या आर्थिक घटनाओं को समझने में भी कमियां रह जाती हैं। कोई इशारा कर देता है तो अगले कार्यक्रम में सुधार भी कर लेता हूं और मामूली ग़लती होती है तो आगे भी बढ़ जाता हूं।
(इमेज सहारनपुर की घटना इन) जैसे 4 जुलाई के कार्यक्रम में हमने कहा कि सहारनपुर में कई लोगों के खिलाफ 307 की धारा लगाई गई है तो कोर्ट ने पूछा कि जिन्हें चोट लगी है, वो कौन हैं, तो एक वकील ने ध्यान दिलाया कि हत्या के इरादे का संबंध चोट लगी है या नहीं लगी से नहीं हो सकता। उनकी बात सही भी लगी और इससे सीखा भी। तो ऐसी चूक हो जाती है जिसे हम कई बार सुधार करते है.

लेकिन राहुल गांधी बयान दे रहे हैं वायनाड को लेकर, उसे जोड़ा जा रहा है उदयपुर से। खुद ज़ी न्यूज़ ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में गंभीर अपराध की साज़िश का अंदेशा ज़ाहिर किया है। जब चैनल ही पुलिस से जांच की मांग कर रहा है तब ज़ाहिर है यह केवल मानवीय भूल नहीं ह। हम ज़ी न्यूज़ के पत्रकार रोहित रंजन की गिरफ्तारी के मसले पर आएंगे लेकिन जैसा की शुरू में कहा कि इस कहानी को सिलेसिलेवार ढंग से देखते हैं.।

दिवंगत पत्रकार पवन जयसवाल के खिलाफ केस हो गया, प्रशांत कनौजिया और सिद्दीक कप्पन, अतिक उर रहमान और अब पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर को गिरफ्तार किया गया.क्या रोहित रंजन को इनमें से किसी भी पत्रकार की गिरफ्तारी को पत्रकारिता पर हमला नहीं लगा?
आपातकाल नहीं लगा? क्या सभी की या इनमें से किसी एक के भी मामले में रोहित ने निंदा की?

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Mazdoor Morcha
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