फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बल्लबगढ़ से लेकर बदरपुर बॉर्डर तक का कोई ऐसा चौक-चौराहा नहीं जिस पर ट्रैफिक पुलिस व होमगार्डों की पूरी टोली तैनात न हो। हर टोली का इंचार्ज कोई एएसआई अथवा एसआई होता है। इनके उपर नज़र रखने के लिये ट्रैफिक इंस्पेक्टर, राजमार्ग पर ही स्थित ट्रैफिक थाना तथा अजरोंदा मोड़ पर डीसीपी कार्यालय भी मौजूद है। इतना सब कुछ होते हुए भी पहली मार्च को दिनदहाड़े हुड़दंगी लडक़ों ने विभिन्न तरह की कारों व जीपों पर सवार होकर राजमार्ग पर अच्छा-खासा जुलूस निकाला। कोई लडक़ा बोनट पर बैठा था तो कोई छत में से निकल रहा था तो कोई खिडक़ी में से झूल रहा था। सब लोग खूब जोर-जोर से हल्ला-गुल्ला करते, भय का माहौल बनाते हुए बड़ी बेफिक्री से राजमार्ग पर दौड़ रहे थे। उनकी ये खुलेआम हुड़दंगबाजी बे-रोक-टोक चलती रही। किसी पुलिस वाले ने उन्हें रोकने टोकने की जरूरत नहीं समझी। लोगों ने जब इसके वीडियो बना कर वायरल किये तो ट्रैफिक इंस्पेक्टर, एसएचओ दर्पण सिंह को भी इसका पता चला। पूछने पर वे कहते हैं कि हुड़दंगियों की वीडियो के आधार पर तलाश जारी है।
क्या यह पुलिस के लिये शर्मनाक नहीं है कि जनता वीडियो वायरल करे तो उन्हें पता चलता है कि सडक़ पर हो क्या रहा है? क्या सडक़ों पर तैनात भारी-भरकम अमला केवल वसूली करने के लिये ही पाल रखा है? चलो मान लिया कि वसूली भी एक महत्वपूर्ण काम है, लेकिन इसके साथ-साथ यदि थोड़ी बहुत ड्यूटी भी कर ली जाय तो क्या हर्ज है? सडक़ पर हुई इस हुड़दंगबाजी के पीछे हुड़दंगियों का वह भरोसा है कि पुलिस से क्या डरना, पकड़े गये तो ले-दे कर छूट जायेंगे।
उनका यह भरोसा निराधार भी नहीं है। जनवरी के तीसरे सप्ताह में थाना सेंट्रल के इलाके में इसी तरह के हुड़दंगबाजी करते हुए जब स्कूली लडक़े घूम रहे थे तो भी पुलिस ने उन्हें रोका-टोका नहीं था। उस वक्त भी लोगों द्वारा वीडियो वायरल किये जाने के बाद पुलिस ने कुछ गाडिय़ों की पहचान करके उन्हें तलब तो जरूर किया था लेकिन कार्रवाई के नाम पर निल बटा सन्नाटा ही रहा। समझा जाता है कि पुलिस ने ले-दे कर मामले को निपटा दिया था। पुलिस का इसी तरह का रवैया हर तरह के अपराध करने वालों को प्रेरणा देता है।
यही हुड़दंगी चंडीगढ़ अथवा नई दिल्ली की किसी सडक़ पर 100 मीटर तक तो हुड़दंगबाजी करके दिखायें, तुरन्त शिकंजे में कस दिये जायेंगे। वहां की पुलिस वीडियो वायरल होने का इंतजार एवं भरोसा नहीं करती। वे कम से कम इतना काम करना बखूबी जानते हैं।
घटना के दो दिन बाद एसएचओ टै्रफिक दर्पण से इस बाबत पूछने पर उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी द्वारा लगाये गये सीसीटीवी कैमरों से ऐसी कोई बात सामने नहीं आई।