फुटपाथ व साइकिल ट्रैक के नाम पर होगी अलग से लूट

फुटपाथ व साइकिल ट्रैक के नाम पर होगी अलग से लूट
December 01 00:37 2021

फरीदाबाद (म.मो.) जब भी कोई सड़क बनाई जाती है उसके दोनों ओर पैदल चलने वालों के लिये फुटपाथ और साइकिल सवारों के लिये साइकिल ट्रैक बनाया जाता है। इसके अलावा सड़के के दोनों ओर पर्याप्त खुली जगह भी रखी जाती है जिसका इस्तेमाल भविष्य में सड़क को चौड़ाने के लिये किया जा सकता है।

बीते लगभग पांच वर्षों से स्मार्ट सिटी के नाम पर हजारों करोड़ खर्च हो चुका है लेकिन अभी तक भी शहर की कहीं से भी स्मार्टनेस नज़र नहीं आ रही। ले-दे कर शहर की दो सड़कों, पहली बडखल चौक से बाइपास को जाने वाली डेढ किलोमीटर लम्बी जिसके एक ओर सेक्टर 28 दूसरी ओर सेक्टर 19 है, दूसरी ओल्ड चौक से बाइपास को जोडऩे वाली सेक्टर 16 व 19 के विभाजक रोड हैं। ये दोनों ही सड़कें बहुत अच्छी हालत में थीं। लेकिन स्मार्टनेस के नाम पर पैसा डकारने के लिये इन्हें खोद कर दोबारा सिमेंट कंक्रीट से बना कर रंग-रोगन आदि करने के साथ-साथ स्ट्रीट लाइट के पुराने खम्बे उखाड़ कर नये नये खम्बे लगा दिये गये हैं। लेकिन साइकिल ट्रैक की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

फुटपाथ भी जो बनाये गये हैं उन पर भी कब्जे करा दिये गये हैं। इतना ही नहीं इन सड़कों को बनाते वक्त इन बात का कोई ध्यान नहीं रखा गया कि सीवरेज की सफाई आदि का काम कैसे हुआ करेगा? यानी आने वाले समय में यह भी एक समस्या खड़ी होने वाली है।

जानकार बताते हैं कि इन दोनों सड़कों पर 32-32 करोड़ खर्च हो चुका है। अब साइकिल ट्रैक बनाने का खर्च अलग से लगेगा। इन सड़कों सहित अन्य कई काम भी ब्लैकलिस्टेड ठेकेदार गांधी को ही दिया गया है। गांधी के बारे में बताया जाता है कि वह कोई भी काम पूरा नहीं करता और पैसा एडवांस में लेकर डकार जाता है। ब्लैकलिस्ट कर दिये जाने पर वह नये नाम से नई कम्पनी खड़ी कर लेता है। जाहिर है यह सब काम अधिकारियों के मेल-जोल एवं हिस्सा-पत्ती में ही चलता है।

अब समझा जाता है कि शहर की कुछ सड़कों के साथ साइकिल ट्रैक बनाये जायेंगे। इन पर 27 करोड़ खर्च करने का अनुमानित बजट रखा गया है। इस तरह के बनाये जाने वाले ट्रैकों का बुरा हाल होता है।

इस बाबत सुधी पाठकों ने मोर्चा में कई बार पढ़ा होगा कि 25 लाख खर्च करके बाटा मोड़ से बाइपास को जाने वाली सेक्टर 11 व 12 की विभाजक रोड पर ‘हूडा’ द्वारा जो साइकिल ट्रैक बनाया गया था वह अब ढूंढने से भी नहीं मिलता। जाहिर है कि ट्रैक बनाने का मतलब केवल उक्त रकम डकारना ही था। अब यही काम 27 करोड़ रुपये से अन्य साइकिल ट्रैक बनाने पर होगा। जब नेताओं व अधिकारियों का एक मात्र उद्देश्य लुटकमाई करना ही हो तो तमाम प्रोजेक्ट जनता की आंख में धूल झोंकने के लिये ही बनाये जाते हैं।

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Mazdoor Morcha
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