पार्किंग की नई योजना: स्कूलों व अस्पतालों पर तो रहम करे प्रशासन

पार्किंग की नई योजना: स्कूलों व अस्पतालों पर तो रहम करे प्रशासन
June 19 15:57 2022

फरीदाबाद (म.मो.) घनघोर हो चुकी पार्किंग की समस्या ने जब सडक़ों पर चलना तक दूभर कर दिया तो प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट हो ही गया। नगर निगम व पुलिस द्वारा किये गये संयुक्त सर्वे द्वारा अनेकों स्थान पार्किंग के लिये चिन्हित किये गये हैं। इन स्थानों में नगर निगम के अपने भूखंड तो ठीक हैं लेकिन इसकी आड़ में स्कूलों पर कब्जा करना किसी तरह से भी उचित नहीं है।

विदित है कि ये तमाम स्कूल करीब 70 वर्ष पूर्व यानी कि शहर के निर्माण के समय ही बनाये गये थे। उसके बाद से अब तक आबादी का घनत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इन सरकारी स्कूलों की आवश्यकता कहीं अधिक है। यह बात अलग है कि शासन-प्रशासन ने इन स्कूलों को बुरी तरह से उजाड़ दिया है। इन स्कूलों को ठीक करने की आवश्यकता है न कि इनका इस्तेमाल बदलने की।

ईएसआई मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीछे पार्किंग बनाने का औचित्य सामान्य समझ के परे है। समझ नहीं आता कि वहां कोई क्यों पार्किंग करने आयेगा? इसके अलावा जिस तरह से इस कॉलेज एवं अस्पताल का काम बढ़ रहा है उसे देखते हुए इसे अतिरिक्त ज़मीन की आवश्यकता है। ईएसआई कार्पोरेशन ने इस बाबत राज्य सरकार एवं जि़ला प्रशासन से सम्पर्क किया है। यह तय है कि इस संस्थान को कम से कम पांच एकड़ और ज़मीन की आवश्यकता है।

शासन-प्रशासन ने कभी इस ओर ध्यान देने की जरुरत नहीं समझी कि बीके अस्पताल और ईएसआई मेडिकल कॉलेज को एक दूसरे से जोडऩा बहुत जरूरी है। दोनों के बीच में मात्र डेढ़ दो एकड़ का भूखंड खाली पड़ा है जिसे विधायक सीमा त्रिखा ने अवैध राहुल कॉलोनी के विस्तार हेतु बचा रखा है। इसके विपरीत यदि दोनों संस्थानों को जोड़ दिया जाय तो सैकड़ों मेडिकल विद्यार्थियों को पोस्टमार्टम की ट्रेनिंग के लिये दो किलोमीटर का चक्कर काटकर बीके न जाना पड़े। इसी तरह समय-समय पर डॉक्टरों को भी एक दूसरे से सलाह मशवरे के लिये चक्कर काटकर आना-जाना पड़ता है। हाल ही में बीके अस्पताल तथा मेडिकल कॉलेज के बीच हुए समझौते के अनुसार डीएनबी कोर्स करने वाले डॉक्टर ईएसआई मेडिकल कॉलेज की लायब्रेरी में अध्ययन करने लगातार आया करेंगे।

वैसे भी पार्किंग की आवश्यकता शहर के व्यस्त बाजारों में अधिक है। इसके लिये इन सभी स्थानों पर नगर निगम के अपने भूखंड पर्याप्त हैं। तिकोना पार्क की ऑटो मार्केट में अवैध कब्जों को हटा कर भी काफी स्थान उपलब्ध हो सकता है। यहां पर दर्जनों वाहन स्थाई तौर पर खड़े हैं। पुलिस को अपराध के नजरिये से भी उनकी जांच करके उन्हें वहां से हटवाना चाहिये।

पार्किंग की एक दूसरी समस्या सडक़ों के किनारे बड़े वाहन खड़े करने की है। प्रशासन चाहे कितने भी पार्किंग स्थल बना ले ये वाहन वहां जाने वाले नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर बाटा फ्लाईओवर से हार्डवेयर चौक वाली सडक़ के दोनो ओर माल से लदे एवं खाली बड़े-बड़े ट्रक व ट्राले सडक़ घेरे खड़े रहते हैं। ये कभी भी निर्धारित पार्किंग स्थलों पर जाने वाले नहीं हैं। यह तो केवल एक उदाहरण मात्र है, वाहनों के ऐसे जमावड़े शहर में अनेकों जगह मौजूद हैं। इसी तरह एनएच दो में कई दुकानदारों ने अपने सामने 20-30 दुपहिया वाहन बिक्री के लिये खड़े कर रखे हैं, वे भी किसी पार्किंग में जाने वाले नहीं हैं। इन सब से निपटने के लिये तो पुलिस एवं प्रशासन को कड़े कदम उठाने ही पड़ेंगे।

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Mazdoor Morcha
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