निगमायुक्त का ‘सफाई अभियान’ समाप्त, अवैध कब्ज़े व निर्माण जोरों पर

निगमायुक्त का ‘सफाई अभियान’ समाप्त, अवैध कब्ज़े व निर्माण जोरों पर
March 14 15:12 2022

फरीदाबाद (म.मो.)
निगम आयुक्त यशपाल यादव जो पूरे जोश-खरोश से सफाई अभियान के नाम पर शहर से अवैध कब्ज़े व निर्माण हटाने को मैदान में उतरे थे, अब झाग की तरह बैठ गए हैं। बहुत दिन नहीं हुए जब वे शहर की सडक़ों पर घूम-घूम कर कब्जे हटाने व तोड़-फोड़ अभियान का नेतृत्व पूरे फ़िल्मी अंदाज में कर रहे थे। उस समय वे शायद अपने आप को एक हीरो की छवि में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे थे। कायदे से, देखा जाय तो एक आईएएस अधिकारी को सडक़ों पर फ़िल्मी अंदाज़ में घूमने की बजाय अपनी कुर्सी पर बैठ कर ही ऐसे अभियानों की कमांड करनी चाहिये। एक योग्य एवं दक्ष अधिकारी ऐसा ही करता है।

उस अभियान के दौरान अनेकों अवैध रूप से बनी बहुमंजिला इमारतों को जब आयुक्त महोदय खुद गिराने पहुंचे तो लोगों के जबरदस्त विरोध के सामने वे अपना सा मुंह लेकर लौटने को मजबूर हो गए। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बाद में पर्दे के पिछे अच्छी-खासी सौदेबाजियां हुई थी। उनके इस लटकते हुए मुंह को देख कर उन लोगों के हौसले भी बढ़ गए जिन्होंने उनके डर से दुकानों के सामने रखे सामान, दुकानों के आगे बनाए गए शेड आदि को हटा लिया था, उन्होंने फिर से शेड भी लगा लिये हैं और सामान भी आगे बढा कर सडक़ घेर ली है।

मार्केट चाहे एक नम्बर, दो नम्बर, तीन नम्बर या फिर पांच नम्बर की हो सब जगह वही यथा स्थिति बहाल हो चुकी है जिसे ठीक करने का श्रेय उपायुक्त महोदय अपने सिर पर लिये घूम रहे थे। जिन रेहड़ी-फड़ी वालों को बाजारों से भगा कर आयुक्त महोदय फुले नहीं समा रहे थे वे तमाम लोग फिर से अपने उन्हीं पुराने ठिकानो पर आ जमे हैं।
इस बावत ‘मज़दूर मोर्चा’ ने बहुत पहले ही और कई बार यह लिख दिया था कि रेहड़ी फड़ी की दुकानदारी आज एक आवश्यकता बन चुकी है। यह आवश्यकता न केवल रेहड़ी वालों की है बल्कि ग्राहकों की भी है। इन्हें व्यस्त बाजारों से हटाने से पहले इनके लिये आवश्यक एवं उचित स्थान का निर्धारण करना अति आवश्यक है। लेकिन यह बात आयुक्त महोदय के दिमाग में नहीं बैठ पाई। उसी का परिणाम है कि उन्हें रेहड़ी वालों से भी मुंह की खाकर बैठना पड़ा।

सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे व निर्माणों का सिलसिला आज भी शहर के हर भाग में पूरे जोर-शोर के साथ बेखौफ होकर चल रहा है। लगता है कि आयुक्त महोदय का वह तथाकथित सफाई अभियान केवल नगरवासियों को यह बताने के लिये था कि उनके पास तोड़-फोड़ करने के व्यापक अधिकार है। वे जब चाहें जिसका चाहें सत्यानाश करने में समर्थ हैं। उनके इस प्रकोप से बचने के लिये सम्बन्धित लोगों को उनके एजेंटों के माध्यम से सम्पर्क करके सौदे तय कर लेने चाहिये। इसी इशारे को समझते हुए बहुत से पेशेवर बिल्डरों एवं व्यापारियों आदि ने अपने-अपने सौदे निगम वालों से निपटा लिये हैं और धंधे को सफलता पूर्वक चला रहे हैं।

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Mazdoor Morcha
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