फरीदाबाद (म.मो.) गरीबों की बस्ती संजय कॉलोनी में स्थित बीपी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के छात्रों ने अपनी वैज्ञानिक समझ एवं मेहनत के बल पर एक ऐसा चिप तैयार किया है जिसे सीवर के ढक्कन के लगा देने से उसका टेलिफोनिक कनेक्शन 100 नम्बरों तक से जुड़ जाता है। ढक्कन के टूट जाने अथवा चोरी हो जाने पर उक्त टेलिफोन नम्बरों पर स्वत: सूचना पहुंच जायेगी। इसका अर्थ यह हुआ कि ज्यों ही किसी मैन होल का ढक्कन हटेगा तो नगर निगम को सूचना मिल जायेगी। सूचना पाकर तुरन्त नया ढक्कन लगा दिया जायेगा। बच्चे बड़े ही भोले, नादान व ईमानदार सोच वाले होते हैं। खुले मैन होलों में आये दिन होने वाली दुर्घटनाओं से अभिभूत होकर इन बच्चों ने मान लिया होगा कि नगर निगम वालों को पता ही नहीं चलता होगा कि उनके मैन होल कहां-कहां खुले पड़े हैं। इसलिये उन्होंने यह आविष्कार कर डाला।
दरअसल नगर निगम और बच्चों की सोच में फर्क है। नगर निगम को शहर भर के चप्पे-चप्पे में हो रहे किसी भी काम की पूरी जानकारी रहती है। शहर की किसी भी गली में एक ईंट भी लगती है तो निगम के लुटेरे अधिकारी वहां वसूली करने पहुंच जाते हैं। ऐसे में क्या भला उन्हें खुले मैन होल की जानकारी न हो पाती होगी? खूब हो पाती है, वे सब जानते हैं। दिक्कत केवल यह है कि काम नहीं करना, और वह काम तो बिल्कुल नहीं करना जिससे लूट कमाई न होती हो। अब बच्चों ने यह अविष्कार करके उनके लिये मुसीबत पैदा कर दी है कि वे यह नहीं कह पायेंगे कि उन्हें तो खुले मैन होल का पता ही न चला। इसलिये बड़ी सम्भावना है कि बच्चों के इस आविष्कार को प्रयोग में ही न लाया जाय। वैसे यह भी जरूरी नहीं कि चिप द्वारा सूचना मिलते ही मैनहोल पर ढक्कन लग जाये।
उक्त आविष्कार की अपेक्षा पहले से ही अविष्कृत भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं को यदि सही ढंग से पूरा-पूरा इस्तेमाल किया जाय और खुले मैनहोल से होने वाली दुर्घटना के लिये सम्बन्धित अधिकारियों को तुरन्त से पहले हवालात में दे दिया जाय तो कोई भी मैनहोन बिना ढक्कन के नहीं रह पायेगा। हालांकि खोजी बच्चे बधाई के पात्र हैं।