महिला गार्ड ने रेप को बनाया ब्लैकमेलिंग का हथियार? लपेटे में ईएसआई मेडिकल कॉलेज के 6 अधिकारी

महिला गार्ड ने रेप को बनाया ब्लैकमेलिंग का हथियार?  लपेटे में ईएसआई मेडिकल कॉलेज के 6 अधिकारी
May 04 15:46 2022

फरीदाबाद (म.मो.) ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज की पूर्व महिला गार्ड रानी (बदला हुआ नाम) ने दिनांक 22/4/22 को थाना कोतवाली में सामूहिक बलात्कार का एक मुकदमा दर्ज कराया। भारतीय दंड संहिता की धारा 376डी, 328 व 120 बी के तहत मुकदमा नम्बर 249 दर्ज किया गया।

महिला द्वारा दी गई शिकायत को पढऩे मात्र से ही समझ में आ जाता है कि मामला पूरी तरह से बेबुनियाद एवं फर्जी है। शिकायत में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ही एक नर्सिंग अधिकारी रंजू त्रिपाठी उसे बहला-फुसला कर 4/4/20 को रात के 10 बजे लोहा मंडी ले गई। वहां से उसे रोनाल्ड होटल में ले गई जहां पहले से मेडिकल कॉलेज के ही वीरेन्द्र सिंह दहिया, हरी सिंह, जय प्रकाश, सुखबीर व देवी सिंह मौजूद थे और शराब के नशे में धुत्त थे। जब रानी ने इस पर आपत्ति की तो रंजू उसको बगल वाले दूसरे कमरे में ले गई। वहां उसे कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश कर दिया।

जब उसको होश आया तो सुबह के तीन बज चुके थे। उस वक्त उपरोक्त 6 लोग वहां खड़े ठहाके लगा कर हंस रहे थे और कह रहे थे कि उनहोंने उसके साथ किये गये रेप की वीडियो बना ली है। वहां खड़ी रंजू भी मुस्कुरा रही थी और अपने हाथ में किये हुए टैब में से उसको वीडियो दिखा रही थी। इसी को आधार बना कर उसने रंजू को बतौर साजिशकर्ता आरोपी बनाया। अब समझने वाली बात यह है कि दो वर्ष पूर्व यानी 4/4/20 को शहर भर में सम्पूर्ण लॉक-डाउन के चलते कफ्र्यू जैसी स्थिति बनी हुई थी। ऐसे में शहर भर में कोई भी होटल व रेस्तरां अथवा ढाबा नहींं खुला था। जाहिर है कि ऐसे में होटल के रेकॉर्ड में इन लोगों की एंट्री की कोई भी सम्भावना नहीं हो सकती।

दूसरे, चार अप्रैल 2020 को रंजू की ड्यूटी आईसीयू में प्रात: आठ बजे से दोपहर एक बजे तक थी। ड्यूटी पूरी करके वह अपने घर चली गई थी। उधर रानी की ड्यूटी प्रात: आठ बजे से सायं चार बजे तक इमरजेंसी वार्ड में थी। विदित है कि इमरजेंसी ग्राउंड फ्लोर पर व आईसीयू चौथे फ्लोर पर; यानी कि रानी व रंजू की ड्यूटी एक दूसरे से बहुत दूर थी। सवाल यह भी बनता है कि रानी चार बजे ड्यूटी खत्म करने के बाद रात के 10 बजे तक अस्पताल में क्या कर रही थी? यदि वह घर चली गई थी तो रात के 10 बजे अस्पताल में क्या लेने आई थी? तीसरे, 34 वर्षीय एवं बाल-बच्चेदार रानी इतनी छोटी बच्ची भी नही जो उसे कोई बहला-फुसला कर किसी होटल में ले जाए। इतना ही नहीं, यदि उस दिन कोई वारदात उसके साथ हो भी गई थी तो वह पूरे दो वर्ष तक किस बात का इंतजार करती रही, तुरन्त, आधा किलो मीटर दूर स्थित थाने में क्यों नहीं गई?

रानी ने 22 अक्टूबर 2018 को इस अस्पताल में, ठेके पर बतौर गार्ड की नौकरी शुरू की थी। मार्च 2022 में ठेकेदार बदल गया तो नये ठेकेदार ने तमाम पुराने कर्मचारियों को पुन: नौकरी पर बहाल करने से पहले उनके दस्तावेज एवं प्रमाणपत्र आदि मांगे तो रानी ने दस्तावेज पेश नहीं किये और 31 मार्च को नौकरी छोड़ दी। जानकार बताते हैं कि रानी ने जिन दस्तावेजों के आधार पर यह नौकरी पाई थी वे फर्जी थे। उसे डर था कि फर्जी दस्तावेज पेश करना उसे भारी पड़ सकता है। इसलिये उसने नौकरी में पुन: बहाल होने के लिये यह सारा षडय़ंत्र रचा है।

संदर्भवश सुधी पाठक जान लें कि आरोपित वीरेन्द्र सिंह दहिया इस मेडिकल कॉलेज में बतौर सहायक निदेशक एक प्रशासनिक अधिकारी हैं। हरी सिंह व जय प्रकाश सहायक नर्सिंग अधिक्षक हैं। सुखबीर व देवी सिंह सिक्योरिटी सुपरवाइजर हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार रानी ने अपने संदेशवाहकों के द्वारा आरोपियों को कह भेजा कि वह नौकरी बहाल हो जाने पर केस वापस ले लेगी। जानकार बताते हैं कि रानी की सिफारिश करने वालों में पूर्व डीप्टी मेयर मुकेश शर्मा व केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर के निजी सहायक भी हैं। लेकिन प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए ब्लैकमेलिंग के इस मामले को पूरी सख्ती के साथ निपटने का निर्णय किया है। कॉलेज की भीतरी जानकारी रखने वालों के अनुसार रानी ने 5 मई 2020 को बाकायदा प्रशासन को लिखित आवेदन करके ड्यूटी के बाद भी अस्पताल में ही रहने की परमिशन मांगी थी जिसे प्रशासन ने ठुकरा दिया था।

लेकिन इसके बावजूद भी सूत्र बताते हैं कि ड्यूटी के बाद भी काफी देर-देर तक उसे अस्पताल की पुरानी वीरान बिल्डिंग के आस-पास घूमते देखा जाता था। जानकार तो यह भी बताते हैं कि अनखीर गांव में रहने वाली इस महिला ने वर्षों पहले अपने पति को छोड़ दिया था। पुलिस को दी अपनी शिकायत में रानी ने उक्त आरोपितों पर जाति सूचक टिप्पणियां करने का आरोप भी लगाया ताकि उसे अनुसूचित जाति अधिनियम का लाभ भी मिल सके।

फ़िलहाल कोतवाली पुलिस गम्भीरता से मामले की जांच कर रही है। कोई उचित एवं पुख्ता सबूत मिलने पर आगामी कार्रवाई की जायेगी। इसी तफ्तीश के दौरान तमाम आरोपियों व शिकायतकर्ता के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच से भी मामले का खुलासा करने में काफी मदद मिलेगी।

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Mazdoor Morcha
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