फरीदाबाद (म.मो.) दंगाई प्रवृत्ति के संघी, साम्प्रदायिक दंगा कराने में तो अभी तक सफल नहीं हो पाये हैं। लेकिन प्रयास जारी रखते हुए तीन दिसम्बर को, हरियाणा सरकार द्वारा नवनिर्मित ‘गैरकानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम 2022’ के तहत थाना एसजीएम नगर में एक मुकदमा दर्ज कराया है।
शिकायतकर्ता धीरज कुमार शुक्ला ने थाने में आकर लिखित शिकायत में बताया कि दिनांक 28 अक्टूबर को साढे नौ बजे वह अपनी 22 वर्षीय बेटी संस्कृति शुक्ला को चार्मवुड विलेज स्थित एचडीएफसी बैंक में, जहां वह नौकरी करती है, छोड़ कर आया था। करीब दस बजे बैंक से फोन आया कि संस्कृति डयूटी पर नहीं आई है।
शुक्ला के मुताबिक उसे पता चला कि जिला न्यायालय में उसकी बेटी ने जावेद नामक मुस्लिम लडक़े से शादी कर ली है। जान को खतरा बताते हुए पिता ने सुरक्षा के लिये भी कोर्ट में आवेदन कर दिया है। अपनी शिकायत में पिता ने जावेद, उसके भाई, माता-पिता, तीन गवाह, एक काजी तथा शपथ पत्र सत्यापित करने वाले पब्लिक नोटरी को भी मुल्जिम बनाया है। गवाहों में संस्कृति की दोस्त पायल भी है। कुल 9 मुल्जिमों में से तीन हिन्दू हैं । शिकायत में यह भी कहा गया है कि कुछ माह पहले जावेद के माता-पिता उनके यहां रिश्ते की बात करने आये थे। उनके मना कर देने पर वे धमकी देकर चले गये थे।
प्रथम दृष्ट्या जैसा फर्जी, खट्टर सरकार ने उक्त अधिनियम बनाया है वैसी ही फर्जी शिकायत लडक़ी के पिता शुक्ला द्वारा दर्ज करायी गई है। पहला झूठ तो यह है कि 22 वर्षीय बैंक कर्मचारी बेटी को पिताजी बैंक छोडऩे गये थे जबकि उसी समय पर उन्हें भी सहारा इन्डिया नामक एक प्राइवेट फाइनेन्स कम्पनी में नौकरी पर जाना होता है। दूसरा झूठ 10 बजे बेटी के बैंक से उनको फोन आना, बैंक मैनेजर भला उन्हें क्यों फोन करने लगा? अपनी झूठी कहानी को बल देने के लिये जावेद के माता-पिता पर धमकी देने का आरोप भी लगाया।
धर्म किसी भी व्यक्ति का निजी मामला है। कोईभी व्यक्ति सुबह से शाम तक जितनी बार चाहे कितने ही धर्म बदल सकता है। यह उसका संवैधानिक अधिकार है। इसे खट्टर द्वारा बनाये गये उक्त अधिनियम द्वारा नहीं रोका जा सकता। संदर्भवश इस अधिनियम में कहा गया है कि धर्म बदलने से पहले किसी भी व्यक्ति को डीसी के यहां एक माह का नोटिस देना होगा। उसके बाद डीसी जांच-पड़ताल करेगा कि यह धर्म परिवर्तन किसी दबाव अथवा लालच के वश में तो नहीं हो रहा। इसके बाद संतुष्ट होने पर जिला अधिकारी धर्म परिवर्तन की आज्ञा देगा, तो कहीं जाकर धर्म परिवर्तन हो पायेगा, जो भाजपा राज में कभी नहीं हो पायेगा।
25 वर्षीय जावेद तथा 22 वर्षीय संस्कृति ने बालिग तथा स्वाबलम्बी होने के चलते अपनी शादी व धर्म अपनाने का फैसला लेकर कोई गुनाह नहीं किया है। इसके लिये संविधान के आर्टिकल 21, 25 व 29 प्रतेक नागरिक को पूरा अधिकार देते हैं। संविधान द्वारा प्रदत्त इन मौलिक अधिकारों के सामने खट्टर द्वारा निर्मित उक्त अधिनियम की कोई औकात नही है। हां, 10-20 दिन अथवा महीने दो महीने के लिये नव विवाहित जोड़े के लिये कुछ मुसीबतें जरूर संघी मुस्टंडों द्वारा खड़ी की जा सकती हैं।
दर्ज एफआईआर पर सरसरी नजर डालने से ही पता चल जाता है कि सारा मामला फर्जी है और संघी मुस्टंडों और खट्टर पुलिस की साम्प्रदायिक गठजोड़ का नतीजा है। एफआईआर में सरसरीतौर पर ‘लव-जिहाद’ एक्ट के उल्लंघन का जिक्र भर किया है, जबकि उल्लंघन क्या हुआ है, इसे गोल कर दिया गया है। लडक़ी के बयान के बिना यह एफआईआर और भी संदिग्ध हो जाती है।
सूत्र बताते हैं कि लडक़ी के पिता को भी यही मुस्टंडे घेर-घोटकर थाने में मुकदमा दर्ज कराने को लाये थे। इनका सरगना वही बिट्टू बजरंगी है जिसका मूल धंधा ही साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाना है। यह केवल कमजोर लोगों पर ही हाथ डालता है, शुक्ला की जगह कोई दबंग, लडक़ी का पिता होता तो यह वहां झांकने की भी हिम्मत न कर पाता।
सरकारी संरक्षण में ही चलती है बिट्टू बजरंगी की गुंडईं जावेद-संस्कृति शुक्ला के विवाह मामले को ‘लवजिहाद’ बनाने वाले बिट्टू को तो, कायदे से अब तक जेल में होना चाहिये था। विदित है कि दिनांक 18 नवम्बर को थाना कोतवाली के सामने बनी मजार पर इसने जो हंगामा करने का असफल प्रयास किया था, उसमें पुलिस ने बाकायदा मुकदमा दर्ज कर लिया था। बेशक धारायें कुछ कम लगी थीं, फिर भी जो लगी थीं उनके मुताबिक भी उसकी गिरफ्तारी तो बनती ही थी। फिर भी उसके छुट्टे घूमने का अर्थ, उसे मिला सरकारी संरक्षण ही तो है।
तथाकथित लवजिहाद का मुकदमा दर्ज कराने के उपक्रम में बिट्टू, एसएचओ से मिलने के बहाने उस जमाई कॉलोनी में जा पहुंचा जहां तोडफ़ोड़ चल रही थी। तोडफ़ोड़ के विरोध में जनता जो पथराव कर रही थी उसे भी इस पाखंडी ने अपने ऊपर हुआ पथराव बताकर, वहां मौजूद मुसलमानों पर दोष मढ़ दिया जबकि वह लोग इसे जानते तक नहीं।
गौरतलब है कि जब वह जनता को भडक़ाने एवं उपद्रव करने के लिये मजार पर हनुमान चालीसा का पाखंड कर रहा था तो उसकी सुरक्षा के लिये अच्छा-खासा पुलिस बल वहां मौजूद था। यानी कि पुलिस संरक्षण के बगैर उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह मजार पर बैठकर ऐसे पाखंड कर पाता।
इससे पहले भी इसकी एक काली करतूत ‘मज़दूर मोर्चा’ के 24-30 अप्रैल 2022 के अंक में ‘हिन्दुत्ववादी गुंडों ने उजाड़ा एक मेहनतकश महिला को’ शीर्षक से प्रकाशित हो चुकी है। इस खबर में बताया गया था कि डबुआ कॉलोनी स्थित एक ब्यूटीपार्लर में काम करने वाली लडक़ी को भी इसने ब्लैकमेल करने की नीयत से बेहद परेशान किया था। समाज के जागरूक एवं चैतन्य लोगों को बिट्टू जैसे असामाजिक साम्प्रदायिक तत्वों से सावधान रहने के साथ-साथ अन्य लोगों को भी सचेत करते रहना चाहिये।
मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये ‘लवजिहाद’ जरूरी स्कूलों में मास्टर नहीं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं, नौकरियां देंगे नहीं तो जनाक्रोश को रोकने के लिये हिन्दुत्व-राष्ट्रवाद, पाकिस्तान तथा हिन्दू-मुस्लिम के प्रोपेगेंडे से बेहतर और क्या हो सकता है? यही तो तमाम संघी सरकारें खुल कर कर रही हैं। इसमें खट्टर ने क्या नया कर दिया? ‘लवजिहाद’ भी इसी खेल का एक हिस्सा मात्र है।
मजे की बात तो यह है कि ‘लवजिहाद’ का यह हथियार केवल गरीब और कमजोर लोगों पर ही इस्तेमाल होता है। दबंग एवं साधन सम्पन्न लोगों पर तो इसके इस्तेमाल का सोचा भी नहीं जा सकता। संदर्भवश पाठक जान लें कि कितने ही संघी एवं हिन्दुत्ववादी नेताओं ने अपनी बेटियां मुसलमानों में ब्याह रखी हैं।
सबसे ताजातरीन उदाहरण भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री रामलाल का है जिन्होंने करीब डेढ़ दो साल पहले अपनी बेटी मुसलमानों में धूमधाम से ब्याही, जिसमें भाजपा एवं संघ के वरिष्ठ लोग शामिल हुए थे।