कोरोना पाबंदी: शाम 6 बजे बाजार बंद, शराब पर पुलिस ‘टैक्स’

कोरोना पाबंदी: शाम 6 बजे बाजार बंद, शराब पर पुलिस ‘टैक्स’
January 17 04:32 2022

फरीदाबाद (म.मो.) कोरोना पाबंदी के नाम पर पहले रात में कफ्र्यू और दिन में रैलियों का सिलसिला चला, चुनाव आयोग ने पांच चुनावी राज्यों में 15 जनवरी तक के लिये रैलियों पर रोक लगा दी। इधर हरियाणा सरकार ने दुकानों पर 6 बजे के बाद खुले रखने पर रोक लगा दी, यानी जिसे जो क्रय-विक्रय करना है सायं 6 बजे तक कर ले। इसके चलते यदि सायं 4-5 बजे भीड़ की मारामारी अत्याधिक बढ़ती है तो कोरोना को कोई दिक्कत नहीं क्योंकि कोरोना तो शाम के 6 बजे के बाद ही अपने बिल से बाहर निकल कर आता है, शायद कोरोना वायरस ने यह सूचना गुप्त रूप से खट्टर सरकार को दे दी है।

अन्य दुकानदार तो जैसे-तैसे काम चला लेंगे, असल मुसीबत शराब ठेकों की है, जिन्होंने भारी-भरकम रकम देकर ठेके खरीदे हैं। सर्वविदित है कि शराब की बिक्री तो शुरू ही शाम को होती है और शाम को ‘कोरोना बंद’ लगा दिया जाय तो कहां तो पीने वाले जायेंगे और कहां पिलाने वाले? लेकिन इस ‘महान एवं ‘भ्रष्टाचार-मुक्त’ देश में हर समस्या का समाधान बड़ा सरल है, समय पश्चात शराब बिक्री के एवज में बस थोड़ा सा ‘शुल्क’ पुलिस को देना है, फिर कोरोना वायरस कुछ नहीं कहेगा।

बीते शनिवार, नहर पार सेक्टर 82 के एक निवासी ने अमोलिक चौक स्थित एक ठेके से दो बोतल ओल्ड मांक की खरीदनी चाही तो देखा कि ठेके का शटर डाउन है, लेकिन उसके सामने 8-10 लोग खड़े हैं। पूछने पर, वहां खड़े ठेकेदार के सेल्ज़मैन ने बताया कि थोड़ी देर रुको, जब सामने खड़ी पीसीआर जिप्सी चली जायेगी तो बोतलें मिल जायेंगी। 5-10 मिनट में जिप्सी चली भी गयी तो सेल्ज़मैन ने झट-पट सभी ग्राहकों को निपटा दिया, लेकिन जो बोतल 400 रुपये की थी, वह 500 की हो गयी, कीमत बढोत्तरी पूछने बाबत पर सेल्ज़लमैन ने बताया कि पुलिस खर्चा भी तो लगेगा।

अब आ जाइये मैट्रो रेल सेवा पर। कोरोना के नाम पर मैट्रो रेलों में सीटों की संख्या आधी करने व मास्क की अनिवार्यता की बात तो समझ आती है, लेकिन स्टेशनों के भीतर प्रवेश व निकास द्वारों की संख्या घटाने की बात समझ से परे है। सामान्य स्थिति में प्रत्येक मेट्रो स्टेशन पर इस तरह के चार-चार द्वार होते हैं ताकि यात्रियों की भीड़ न लगे। इसके विपरीत कोरोना के दौरान गेटों की संख्या घटा कर मात्र एक या दो कर दी जाती है। क्या यह उपाय भीड़ घटाने का है या भीड़ बढाने का?

इन तमाम प्रश्नों को लेकर इस संवाददाता ने अनेकों डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों से बात-चीत कर समझना चाहा कि सरकार द्वारा किये जा रहे इन उपायों बल्कि प्रतिबंधों का क्या औचित्य है? सभी ने एक स्वर में कहा कि ये सब बेहूदा काम है।

ये काम केवल इसलिये किये जा रहें हैं ताकि सरकार यह कह सके कि वह कोरोना की रोक-थाम के लिये कितनी चिंतित व सक्रिय है, क्योंकि सरकार के पास इसके अलावा करने-धरने को तो कुछ है नहीं। अंधे को भी स्पष्ट दिख रहा है कि इन प्रतिबंधों से न केवल जनता की मुसीबतें बढ़ रही हैं बल्कि सामाजिक दूरी रखने में भी कठिनाई आ रही हैं।

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Mazdoor Morcha
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