फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 11 जनवरी को इंकलाबी मज़दूर केन्द्र व अन्य कई यूनियनों एवं संगठनों ने, एनएच तीन स्थित ईएसआई मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट पर करीब चार घंटे धरना देकर प्रदर्शन किया और डीन को ज्ञापन सौंपा।
यह प्रदर्शन खट्टर सरकार के निर्देशन पर जि़ला प्रशासन द्वारा मज़दूरों के इस अस्पताल के कोविड के नाम पर कब्जा लेने के विरुद्ध किया गया। विदित है कि बीते दो सालों में आई दो कोरोना लहरों के चलते जि़ला प्रशासन ने मज़दूरों के इस अस्पताल को उनसे छीन कर अपने सिफारशी एवं चहेते कोरोना पीडि़तों के लिये कब्ज़े में ले लिया था। उस दौरान इस अस्पताल में उन मज़दूरों का प्रवेश बिल्कुल बंद कर दिया गया था जिनके पैसे से इसे बनाया व चलाया जा रहा है।
इस अस्पताल में प्रति दिन करीब 3500 मरीज़ ओपीडी में आते हैं और 500-600 विभिन्न प्रकार के मरीज़ यहां दाखिल रहते हैं। कोविड के नाम पर महामारी कानून लगा कर इन तमाम मज़दूरों को यहां से खदेड़ दिया गया था। समझा जा सकता है कि उन मज़दूरों के ऊपर क्या बीती होगी जिनसे ईएसआई कॉर्पोरेशन ने अग्रिम भुगतान लेकर उन्हें सम्पूर्ण इलाज का भरोसा दिया था।
बहुत से लोगों को, यहां तक कि बड़े सरकारी अफसरों तक को यह वहम है कि ईएसआई अस्पताल आम सरकारी है। इस प्रदर्शन के माध्यम से मज़दूरों ने तमाम लोगों को यह समझाने का प्रयास किया कि यह अस्पताल न तो सरकारी है और न ही प्राईवेट है। यह भारत की संसद द्वारा पारित ईएसआई एक्ट 1952 के तहत बनाये गये कॉर्पोरेशन द्वारा चलाया जाता है। कॉर्पोरेशन के भीतर मज़दूरों, उद्योगपतियों व सरकार के प्रतिनिधि होते हैं।
कॉर्पोरेशन में सारा पैसा मज़दूरों एवं उद्योगपतियों की ओर से आता है। मौजूदा स्थिति में 21000 मासिक वेतन पाने वाले श्रमिकों से वेतन का साढे चार प्रतिशत कॉर्पोरेशन वसूलती है, जो एक वर्ष पूर्व तक साढे 6 प्रतिशत होता था। इसके अलावा सरकार की ओर से कॉर्पोरेशन को कोई पैसा नहीं दिया जाता बल्कि सरकार के तमाम अफसरों के हर तरह के खर्च कॉर्पोरेशन वहन करता है।
ईएसआई एक्ट के मुताबिक, कॉर्पोरेशन की कोई भी सुविधा गैर अंशदाता नहीं ले सकता। यदि लेता है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। यानी कि ईएसआई कॉर्पोरेशन की तमाम सेवायें केवल उन्हीं श्रमिकों के लिये निर्धारित हैं जिनके वेतन से नियमित अंशदान वसूला जाता है। इस व्याख्या के आधार पर हरियाणा सरकार से, उन तमाम लोगों पर ईएसआई अस्पताल द्वारा कोरोना इलाज के नाम पर खर्च किया गया पैसा वसूल किया जाना चाहिये।
कोरोना की तीसरी लहर चलते ही जि़ला प्रशासन ने फिर से अपना रंग दिखाते हुए मज़दूरों के इस अस्पताल में सेंध मारी करने का प्रयास किया है। मज़दूर संगठनों ने इसकी भनक लगते ही सशक्त विरोध प्रदर्शन का रास्ता अख्त्यार किया है। इस बार वे अपने मज़दूर साथियों को पहले की तरह खदेड़े जाने का पुरज़ोर विरोध करेंगे। वे किसी भी कीमत पर मज़दूरों को इस अस्पताल की सेवाओं से वंचित नहीं होने देंगे। प्रशासन से सीधे टकराव को टालने के लिये अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं कॉर्पोरेशन की सदस्य कॉमरेड अमरजीत कौर ने दिनांक 4 जनवरी 2022 को इस बाबत एक विस्तृत पत्र ईएसआई महानिदेशक तथा केन्द्रीय श्रम सचिव को भी लिख दिया है। इसके बावजूद भी यदि जि़ला प्रशासन धींगामुश्ती पर उतरता है तो उसके परिणामों के लिये वह खुद ही जिम्मेदार होगा।