दिल्ली (म.मो.) बीते बुद्धवार को दिल्ली पुलिस के संरक्षण में आये करीब 200-250 संघी गुंडों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास पर चढ़ाई कर दी। तमाम बैरिकेड व सीसी टीवी कैमरे तोड़ दिये और उनके गेट पर भगवारोगन पोत दिया। गुंडों की यह भीड़ घर के भीतर घुसने का दिखावटी प्रयास भी कर रही थी। यदि यह वास्तविक प्रयास होता तो दिल्ली पुलिस की बची-खुची साख भी समाप्त हो जाती। वहां जो पुलिस की तैनाती थी उसका नियंत्रण सीधे तौर पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हाथों में रहता है। वर्ना गुंडों की इस भीड़ को खदेडऩे के लिये पुलिस के 10 लाठी धारी जवान ही पर्याप्त होते।
संघी गुंडों की इस गुंडागर्दी का कारण केजरीवाल द्वारा विधानसभा में कश्मीर फाइल्स नामक फिल्म को लेकर भाजपा पर की गई टिप्पणी था। भाजपाईयों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने केवल इतना कहा था कि भाजपाई तो इस फिल्म के पोस्टर लगाते रह गए और निर्माता अग्निहोत्री करोड़ों कमा गया। उन्होंने इसे टैक्स फ्री करने से इन्कार करते हुए कहा कि फिल्म को यूट्यूब पर डाल दो, फिर सब फ्री ही फ्री है। गुडग़ांव के एक विधायक द्वारा इस फिल्म को खुले में फ्री प्रदर्षित करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निर्माता ने तुरन्त हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को फोन करके कहा कि वे विधायक को ऐसा करने से रोकें। हमलावर संघियों को कश्मीरी पंडितों के दुख दर्द से कोई लेना-देना नहीं था। उन्हें इस बात से भी कोई सरोकार नहीं था कि 6 साल रही अटल बिहारी की सरकार और आठ साल से चल रही मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों को क्या दिया? अपने इस हमले के दौरान भी उनकी मांग केवल फिल्म को टैक्स फ्री कराने तक ही थी ताकि फिल्म निर्माता अधिक से अधिक धन लूट सके।
संघियों की इस कवायद का सीधा और स्पष्ट संदेश यही है कि केवल उनकी विधारधारा ही ठीक है, अन्य किसी को उसका विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है। जो विरोध करेगा उसके ऊपर इसी तरह के घातक हमले किये जायेंगे। इसी को फासीवाद कहते हैं। इसी फासीवाद ने हिटलर के नेतृत्व में न केवल जर्मनी को आग में झोंक दिया बल्कि उसकी लपटें पूरे यूरोप व जापान तक फैल गई। यदि समय रहते भारत में फैल रही इस फासीवादी विचारधारा पर अंकुश न लगा तो फिर पछताने का समय भी नहीं मिलेगा।