मज़दूर मोर्चा ब्यूरो चंडीगढ़ झज्जर के प्रदीप शर्मा ने हरियाणा कर्मचारी आयोग पर आरोप लगाते हुए पंजाब एवं हरियायाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। प्रदीप का आरोप है कि हरियाणा पुलिस कमांडो में भर्ती के लिये उसने जो आवेदन किया था, उसमें कर्मचारियों ने हेरा-फेरी करके उसके असली कद को घटा कर दर्ज किया। उसकी यह पैमायश 9 जून 2021 को की गई थी।
हाई कोर्ट ने पीडि़त की याचिका इस धमकी के साथ स्वीकार की कि शिकायत झूठी पाये जाने पर उसे एक लाख रुपये जुर्माना भुगतना पड़ेगा। इतना ही नहीं जुर्माने की यह राशि अग्रिम ही हाई कोर्ट में जमा करानी होगी। जाहिर है हाई कोर्ट को यह पसंद नहीं आया कि कोई पीडि़त हरियाणा सरकार के किसी आयोग के विरुद्ध कोई याचिका दायर करे। याचिकाकर्ता पर तो हाई कोर्ट ने पहले ही एक लाख की चोट मार दी, लेकिन शिकायत सच्ची पाये जाने पर दोषी अधिकारियों के विरुद्ध हाई कोर्ट क्या करेगी, इसका कोई जिक्र नहीं है। कायदे से तो हेरा-फेरी करने वाले तमाम अधिकारियों को जेल की सज़ा होनी चाहिये तथा पीडि़त को तमाम हर्जे-खर्चे सहित उचित मुआवजा दिया जाना चाहिये। इतना ही नहीं मुआवजे की रकम भी सम्बन्धित अधिकारियों से वसूली जानी चाहिये। परन्तु दुर्भाग्य इस देश का यह है कि न्यायपालिका ऐसा कभी कुछ करती नहीं है। इसी के चलते हेरा-फेरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों के हौंसले बुलंद होते रहते हैं और वे न्यायपालिका की कोई परवाह न करते हुए खुला खा रहे हैं। और नंगे नहा रहे हैं।