इस बार राजमार्ग जलभराव से बच सकता है

इस बार राजमार्ग जलभराव से बच सकता है
June 19 12:46 2022

फरीदाबाद (म.मो.) देर से ही सही परन्तु एनएचएआई वालों को समझ तो आई कि जल भराव से कैसे निपटना है? उन्हें समझ आ गया है कि नगर निगम के भरोसे हाईवे को जल भराव से मुक्त नहीं रखा जा सकता। इसके लिये उन्होंने बीते करीब दो सप्ताह से सडक़ किनारे रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है।

हाईवे निर्माण का सारा काम देश की नामी-गिरामी कंपनी लार्सेन एन्ड टूब्रो द्वारा किया गया था। लेकिन अब रेन हार्वेस्टिंग का प्रोजेक्ट एक अन्य अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त क्यूबिक कम्पनी को दिया गया है। इस कंपनी की साख को देखते हुए बखूबी समझा जा सकता है कि यह प्रोजेक्ट व इसका लक्ष्य सफल होगा।

दूसरी ओर नगर निगम की ओर से इस दिशा में कोई प्रयास होते नजर नहीं आते। उनका तो वही राग पुराना यानी टेंडर जारी करना और कमीशन खाना, चल रहा है। यही स्थिति स्मार्ट सिटी लिमिटेड व एफएमडीए की ही है, क्योंकि इन दोनों संगठनों में वही नालायक, अनपढ़ व लुटेरे इंजीनियर भरे पड़े हैं जो पहले नगर निगम की ऐसी-तैसी कर चुके हैं। इसलिये इनसे भी किसी प्रकार की उमीद रखना अपने आप को धोखा देने जैसा है।

स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनी जनता के पैसे से किस तरह जनता की ऐसी-तैसी करने पर जुटी हैे उसका एक छोटा सा उदाहरण सेक्टर 21 ए बी व सेक्टर डी की विभाजक सडक़ है। इस सडक़ पर बीते करीब चार साल में कम्पनी ने हज़ारों करोड़ रुपया बर्बाद कर दिया है।

पानी निकासी के लिये बनाये गये नाले कोई काम नहीं आये। जिसके चलते सडक़ पर दो-दो फीट पानी खड़ा हो जाता है। कम्पनी ने सडक़ के दोनो ओर ऊंचा फुटपाथ बना कर यह भी इन्तजाम कर दिया है कि पानी की कोई बूंद सडक़ से बह कर दायें-बायें न जा सके। लगभग यही स्थिति सेक्टर 21ए व बी की कुछ बड़ी सडक़ों की भी है। यहीं पर स्थित जीवा स्कूल की हालत हल्की सी बरसात में ऐसी हो जाती है कि न कोई स्कूल में आ सके न जा सके।

‘हूडा’, नगर निगम, स्मार्ट सिटी व एफएमडीए द्वारा किये गये तमाम कामों का हाल लगभग एक जैसा ही है क्योंकि इन सबके इंजीनियर एक ही थाली  के चट्टे-बट्टे हैं और इन सबका उद्देश्य भी लूट-मार तक ही सीमित है। अब समझ नहीं आता कि उपायुक्त महोदय अपने तमाम प्रशासनिक अधिकारों के बल पर ऐसा कौन सा मंत्र मारेंगे जो शहर का सारा पानी निकल जाये। वे 25 की जगह 50 मैजिस्ट्रेट भी तैनात कर सकते हैं। पटवारी से लेकर तहसीलदार तक तथा सिपाही से लेकर डीसीपी तक को ‘बाढ़ ड्यूटी’ बताकर तैनात तो कर सकते हैं, लेकिन ये सब मिलकर पानी को कैसे भगा पायेंगे? हां, वे बरसात में खड़े-खड़े शहर की दुर्दशा पर अपना सिर धुनने के साथ-साथ उन तमाम इंजीनियरों व अफसरों को कोसते रहेंगे जो इसके लिये जिम्मेवार हैं।

विदित है कि शहर में उपायुक्त, अतिरिक्त उपायुक्त, निगमायुक्त, अतिरिकत निगमायुक्त, स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी, एफएमडीए में मुख्य कार्यकारी तथा ‘हूडा’ प्रशासक के रूप में सात आईएएस अधिकारी तैनात हैं। इनमें से एक तो अति वरिष्ठ आईएएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) भी हैं। इनके नीचे एचसीएस अधिकारियों की भी अच्छी-खासी नफरी है। इस सबके बावजूद शहर की स्थिति बद् से बद्तर होती जा रही है।

उपायुक्त शहर के तीन अंडरपास ही चालू रखवा सकें तो बड़ी बात होगी ।

विदित है कि शहर में जब भी चार बूंद पानी बरसता है तो शहर के तीनों रेलवे अंडरपास पानी में डूब जाते हैं जिनके द्वारा रेलवे लाइन के इस और उस पार के शहर को जोड़ा हुआ है। एक बार डूबने के बाद दो-दो दिन तक इनका पानी नहीं निकल पाता। ऐसे में मजबूरन शहर वासी ऊपरगामी पुलों से आवागमन करते हैं जिससे वहां ट्रेफिक  का दबाव अत्यधिक बढ़ जाने से प्राय: जाम की स्थिति बनी रहती हैं। पैदल आने-जाने वाले खास कर स्कूली बच्चों के लिये यह जलभराव बड़ी भारी मुसीबत बन जाता है। सब के लिये दो-चार किलोमीटर का चक्कर काटना आसान नहीं होता। इस चक्कर से बचने के लिये कई लोग रेलवे लाईन एवं दीवार आदि फांदने का प्रयास करते हुए अपनी जान से भी हाथ धो बैठे हैं। लेकिन प्रशासन को इससे रत्ती भर भी शर्म नहीं।

शहर को जलभराव से मुक्त करा सकें या नहीं लेकिन यदि उपायुक्त महोदय इन तीन अंडरपासों को जलभराव से बचा सकें तो बड़ी मेहरबानी होगी।

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Mazdoor Morcha
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