मज़दूर मोर्चा ब्यूरो जिस सरकार ने जुमलेबाज़ी के दम पर ही जनता को बेवकूफ बनाना हो तो उसके लिये कागजी घुड़दौड़ व मीडिया में हेड लाइंज बनाते रहना आवश्यक होता है। वर्ष 2009 हरियाणा के नारनौल में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया गया था। इसका शिलान्यास तत्कालीन शिक्षामंत्री अर्जुन सिंह द्वारा किया गया था। कांग्रेस राज में स्थापित इस संस्थान में बहुत कुछ तो वह सरकार भी नहीं कर पाई थी, लेकिन 2014 के बाद आई भाजपाई सरकार ने तो इसमें एक तिनके भर की भी बढोत्तरी नहीं की। परिणामस्वरूप आज यहां न तो आवश्यक बिल्डिंग और न ही पर्याप्त फेकल्टी व अन्य स्टाफ है।
इसके बावजूद, मात्र चर्चा में बने रहने के लिये स्थानीय सांसद धर्मवीर ने मीडिया में बयान प्रकाशित करवाये हैं कि इस विश्वविद्यालय में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिये सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। जरूर कर दी होगी क्योंकि कागज पर स्वीकृति प्रदान करने में कोई खर्चा नहीं लगता। हां, यदि सांसद महोदय कहते कि सरकार ने इस काम के लिये हजार-पांच सौ करोड़ रुपये प्रदान कर दिये हैं और कल से ही यहां काम शुरू हो जायेगा, तब तो कोई बात समझ में आती। अब कागजी स्वीकृति को लेकर स्थानीय लोग इसे ओढ़ेंगे या पहनेंगे?
गौरतलब है कि सरकार के पास मौजूदा विश्वविद्यालय एवं मेडिकल कॉलेज आदि चलाने के लिये पर्याप्त फंड नहीं हैं। हरियाणा सरकार ने तमाम विश्वविद्यालयों को बैंकों से बड़ी मात्रा में कर्ज दिलवाये हैं, जिनके भुगतान हेतु इन सबको बेच दिया जायेगा।