निकिता हत्याकांड की आड़ में संघी, भाजपाइयों ने खेला लव-जिहाद कार्ड हत्या की आड़ में खेल रहे जहरीली राजनीति

निकिता हत्याकांड की आड़ में संघी, भाजपाइयों ने खेला लव-जिहाद कार्ड  हत्या की आड़ में खेल रहे जहरीली राजनीति
November 07 16:19 2020

बल्लबगढ़ (म.मो.) अग्रवाल कॉलेज बल्लबगढ़ के पास निकिता तोमर हत्याकांड ने ओछी राजनीति का रूप ले लिया है। अगर इस मामले में निकिता के माता-पिता ने ओरापी तौसीफ के खिलाफ शिकायत वापस न ली होती तो आज निकिता जिंदा होती और तौसीफ सलाखों के पीछे होता। भाजपा के जो नेता अब इस मामले को अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए साम्प्रदायिक नफरत में बदलना चाहते हैं, वे 2018 में कहां थे? जब निकिता के परिवार पर दबाव डालकर तौसीफ के खिलाफ शिकायत वापस कराई गई थी। बीते सोमवार को निकिता की हत्या के पांच घंटे के भीतर बल्लबगढ़ पुलिस ने मुख्य आरोपी तौसीफ और रेहान को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद हरियाणा सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी भी बना दी। इसके बावजूद भाजपा और उसके संगठन उल्टा पुलिस के खिलाफ एक्शन और अन्य तरह-तरह गैरकानूनी मांगे उठा रहे हैं।

बीते सोमवार को अग्रवाल कॉलेज बीकॉम फाइनल की छात्रा निकिता परीक्षा देकर बाहर निकली तो तौसीफ नामक युवक ने उसे अपनी कार में जबरदस्ती बैठाना चाहा, इन्कार करने पर युवक ने उसे देसी तमंचे से गोली मार दी। मौके  की उपलब्ध फुटेज से पता चलता है कि लडक़ी ने बचने के लिये काफी कोशिश की थी, वह इधर-उधर भागी थी लेकिन बच नहीं पाई।  पहली नज़र में इस दुखद और निंदनीय घटना के लिये लचर सुरक्षा व्यवस्था जिम्मेवार है। हर वक्त और हर जगह न सही लेकिन छुट्टी के समय तो स्कूलों, कॉलेजों के बाहर पुलिस और कॉलेज स्टाफ की ओर से निगरानी हो सकती है। परन्तु आम आदमी की सुरक्षा को सरकार ने अपने एजेंडे में रखा ही कब था।

इस तरह के मामलों में लडक़ी के परिजन प्राय: पुलिस पर आरोप लगाते हैं कि लडक़ा का$फी समय से छेड़छाड़ कर लडक़ी को परेशान कर रहा था, बार-बार शिकायत करने पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। परन्तु इस मामले में ऐसा नहीं है, करीब ढाई वर्ष पहले लडक़ी के पिता की शिकायत पर इसी तौसीफ के विरुद्ध बल्लबगढ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 365 के तहत एफआईआर नंबर 717/18 दर्ज कर ली थी। पुलिस अपनी कार्रवाई कर ही रही थी कि लडक़ी के परिजन न केवल शपथपत्र लेकर आ गये बल्कि मैजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 में बयान दर्ज कराया कि उसका कोई अपहरण नहीं हुआ था, वह अपनी मर्जी से अपने दोस्त तौसीफ के साथ कार में घूमने गयी थी।

यदि लडक़ी के परिजन, जो आज इतना हो-हल्ला मचा रहे हैं, यदि उस वक्त पुलिस को अपना काम कर लेने देते तो यही तैसीफ आज जेल में सज़ा काट रहा होता और बेचारी निकिता को अपनी जान से हाथ न धोने पड़ते। दरअसल ऐसे मां-बाप ही ‘इज्जत’ के नाम पर बेटियों को इतना कमज़ोर बना देते हैं कि वे दब कर व डर कर रहने में ही अपनी भलाई समझने लगती हैं।

नितिका की हत्या के लिये अपराधियों को सज़ा मिलनी ही चाहिये, परन्तु किसी की लाश पर निहित स्वार्थी लोगों को अपनी गंदी राजनीति नहीं खेलनी चाहिये। अपराधी केवल अपराधी है न कि हिन्दू या मुसलमान। इस दुखद घटना को लव जिहाद का नाम देकर हिन्दू-मुस्लिम दंगे कराने की फिराक में सक्रिय तत्व जहरीले प्रचार द्वारा जनता को बहका रहे हैं कि तौसीफ ने अपना हिन्दू नाम रख कर निकिता को धोखे में रखा था। भला यह कोई मानने की बात है जब ये दोनों पांचवीं से 12वीं तक रावल स्कूल में साथ-साथ पढे हों तो यह झूठ-फरेब कैसे चल सकता था? खुद मां-बाप ने स्वीकार किया है कि निकिता उसकी कार में अपनी सहेलियों सहित बैठती रही है।     अब, जिसका कोई सबूत नहीं है। कहा जा रहा है कि तौसीफ उसका धर्म परिवर्तन करा कर शादी करना चाहता था। भाजपाई गृहमंत्री अनिल विज को तो यह जुमला बहुत ही भा गया है। उन्होंने अपनी पुलिस को आदेश भी दे दिये कि धर्म परिवर्तन के एंगल से जांच को आगे बढाया जाय। पुलिसिया कार्यशैली को जानने वाले विज के इस आदेश का निहितार्थ बखूबी समझते हैं। तौसीफ के बयान में लिख दिया जायेगा कि वह वास्तव में निकिता को मुसलमान बनाना चाहता था, लेकिन कोर्ट में आकर वह इस बयान से साफ मुकर जायेगा।

इस दर्दनाक घटना से पीडि़त परिवार भले ही शोकग्रस्त हो, लेकिन राजनीति की शतरंज बिछाये लोग एक से एक बेहूदा एवं वाहियात बयान देने में जुटे हैं। कहते हैं हत्यारों को फांसी दो, उनका एनकाऊंटर कर दो, यूपी पुलिस जिंदाबाद, हरियाणा पुलिस मुर्दाबाद आदि-आदि। नादान इतना भी नहीं जानते कि फांसी देना पुलिस का काम नहीं है चाहे कितने ही धरने-प्रदर्शन कोई कर ले और न ही कोई पुलिस वाला एनकाउंटर के नाम पर अपराधियों को गोली मारने जा रहा। इस तरह की वाहियात मांग वहीं मूर्ख लोग कर सकते हैं जिन्हें देश के कानून एवं संवैधानिक संस्थाओं पर भरोसा न हो।  इसी के परिणामस्वरूप आज यूपी पुलिस एक अच्छे-खासे गुंडा गिरोह का रूप ले चुकी है। जिससे फिलहाल हरियाणा पुलिस काफी हद तक हिचकती और बची रही है। एनकाऊंटर में भाजपाई कुलदीप सेंगर सरीखे आततायी अपराधी कभी नहीं मारे जाते, इसमें केवल बुटाना-जींद के गरीब ही मारे जाते हैं।

मूर्खतापूर्ण मांग

कुछ महामूर्ख नेताओं ने बढ़-चढ़ कर बोलने की होड़ में बल्लभगढ़ के एसएचओ को गिरफ्तार व सीपी को सस्पेंड करने तक की मांग भी खड़ी कर दी। ऐसी मांग से यदि उनको राजनीति में बढ़त मिलती है तो फिर एसएचओ व सीपी के साथ-साथ डीजीपी, गृह सचिव, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी की भी मांग कर देनी चाहिये थी, मांगने में क्या जाता है, चार बेवकूफ श्रोता तालियां बजा ही देते। समझ में नहीं आता कि यूपी में हर रोज़ एक से बढ कर एक कांड हो रहे हैं वहां तो किसी एसएचओ, सीपी आदि की गिरफ्तारी की मांग नहीं उठाई। और विचित्र बात यह है कि राजस्थान और महाराष्ट्र में छोटी-छोटो घटनाओं पर वहां के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग करने वाले संघी संगठन हरियाणा में सरकार का इस्तीफा मांगने की बजाय इस जघन्य अपराध को लव जिहाद क रंग देने में लगे हैं।

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Mazdoor Morcha
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