फरीदाबाद (म.मो.) किसी भी मेडिकल कॉलेज के लिये ग्रामीणक्षेत्र में अपना एक ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करना अनिवार्य होता है। इसी नियम के अनुसार एम्स दिल्ली ने 65 वर्ष पूर्व बल्लबगढ़ में अपना अस्पताल कायम किया था। इसके बाद इन्हीं के द्वारा दयालपुर व छांयसा में ग्रामीण ट्रेनिंग सेंटर चलाये जा रहे हैं। फिलहाल एनएच तीन स्थित ईएसआई मेडिकल कॉलेज ने पाली गावं में एक फर्जी सा सेंटर खोला हुआ है जिसका क्षेत्रवासियों को कोई विशेष लाभ नहीं है।
किसी भी ग्रमीण सेंटर में दो महीने के लिये प्रशिक्षु (इंटर्न)डॉक्टरों को लगाया जाता है। वे डॉक्टर जिन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली हो तथा मरीजों को देखने लायक हो गये हों उन्हें प्रशिक्षु डॉक्टर कहा जाता है। मेडिकल कॉलेज से निकलने वाले कुल प्रशिक्षु डॉक्टरों का 20 प्रतिशत एक बार में, दो माह के लिये ऐसे सेंटरों पर भेजे जाते हैं। ईएसआई के इस मेडिकल कॉलेज से अभी तक ऐसे 100 प्रशिक्षु डॉक्टर प्रति वर्ष निकल रहे हैं जो शीघ्र ही 150 हो जायेंगे। इस हिसाब से 30 प्रशिक्षु डॉक्टर सदैव ही इस तरह के सेंटर में रहा करेंगे। इन प्रशिक्षु डॉक्टरों के साथ कम से कम दो प्रोफेसर (डॉक्टर) तथा आवश्यकता पडऩे पर अन्य प्रोफेसर भी वहां विजिट करेंगे। इन डॉक्टरों के लिये वहां चौबीसों घंटे रहना अनिवार्य होगा इसलिये वहां पर कम से कम 32 कमरों का एक हॉस्टल बनाया जाता है। डॉक्टर सातों दिन चौबीसों घंटे मरीजों को उपलब्ध होते हैं। ये डॉक्टर ईएसआई कवर्ड मरीजों के अलावा अन्य मरीजों को भी देखते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिये शुरू से लेकर प्रसव तक पूरी चिकित्सा सेवायें निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। आवश्यकता पडऩे पर मेडिकल कॉलेज से या तो विशेषज्ञ डॉक्टर को बुलाया जाता है या फिर मरीज को ईएसआई की एम्बुलेंस द्वारा मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है।
विदित है कि ततारपुर (पृथला) क्षेत्रों में 20 हजार से अधिक तो केवल ईएसआई कवर्ड मज़दूर रहते हैं। इनके लिये फिलहाल पृथला में एक टूटी-फूटी सी डिस्पेंसरी है जो लगभग न होने के बराबर है क्योंकि वहां न तो पर्याप्त स्टाफ है न ही आवश्यक साजो सामान। किराये की जर्जर बिल्डिंग में बिजली की व्यवस्था भी केवल नाम मात्र की ही है।
क्षेत्र के इन 20 हजार बीमाकृत परिवारों को सही मायनों में डिस्पेंसरी की सेवायें देने के लिये इसी सेंटर के साथ डिस्पेंसरी तथा लोकल ऑफिस भी बनाये जाने का सुझाव दिया गया है। इसके लिये गांव ततारपुर की पंचायत करीब तीन एकड़ का भूखंड जो राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 1300 मीटर दूर है, बहुत ही मामूली कीमत पर देने को तैयार हो गयी है।
मेेडिकल कॉलेज अधिकारियों ने मौका मुआयना करके विस्तृत रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिया है। जैसा कि मुख्यालय में बैठा जीडीएमओ गिरोह की आदत हर अच्छे काम में अड़चनें खड़ी करने की है, वे इसमें भी अवश्य ही अपने फितरत का प्रदर्शन करेंगे। लेकिन महानिदेशक मुखमीत सिंह भाटिया से भरपूर आशायें हैं कि वे इस गिरोह को दरकिनार करते हुए उक्त सेंटर को शुरू कराने में कोई कोर-कसर न छोड़ेंगे। वैसे भी डबल इंजन की सरकार के चलते इस प्रोजेक्ट में अधिक प्रशासनिक रुकावट नहीं आनी चाहिये। इस सेंटर के द्वारा स्वास्थ्य सम्बन्धित तमाम राष्ट्रीय कार्यक्रमों, जैसे टीवी, मलेरिया, डेंगू इत्यादि की रोक-थाम के लिये टीकाकरण करने के अभियान चलाया जायेगा। कम्यूनिटी मेडिसन के प्राफेसरों द्वारा पूरे क्षेत्र में होने वाली बीमारियों व उनके कारणों का विस्तृत अध्ययन करके भविष्य की योजनायें तैयार की जायेंगी।