मोटे तौर पर दिल्ली सरकार की इस योजना के पीछे उसकी मन्शा पूरी तरह सराहनीय है। लेकिन दिल्ली की ही नहीं, हमारे सभी राज्यों और केंद्र की सरकार ने क्या कभी सोचा कि हमारी शिक्षा और नौकरियों में अंग्रेजी की अनिवार्यता ने भारत का कितना बड़ा नुकसान किया है?
इसमें जरा भी शक नहीं है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई नई और अच्छी पहल की हैं। उसकी नई शिक्षा पद्धति को देखकर कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी काफी प्रभावित हुई हैं। अब दिल्ली सरकार ने घोषणा की है कि वह 50 केंद्रों में एक लाख ऐसे बच्चे तैयार करेगी, जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोल सकें। अंग्रेजी की अनिवार्य पढ़ाई तो भारत के सभी विद्यालयों में होती है लेकिन अंग्रेजी में संभाषण करने की निपुणता कम ही छात्रों में होती है। इसी वजह से वे न तो अच्छी नौकरियां ले पाते हैं और वे जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी हीनता-ग्रंथि से ग्रस्त रहते हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान गरीब और पिछड़े परिवारों के छात्रों को होता है। उन्हें घटिया पदों और कम वेतनवाली नौकरियों से ही संतोष करना पड़ता है। ऐसे छात्रों को जीवन में आगे बढऩे का मौका मिले, इसीलिए दिल्ली सरकार अब 12वीं पास छात्रों को अंग्रेजी बोलने का अभ्यास मुफ्त में करवाएगी। शुरु में वह उनसे 950 रुपए जमा करवाएगी ताकि वे पाठ्यक्रम के प्रति गंभीर रहें। यह राशि उन्हें अंत में लौटा दी जाएगी। यह पाठ्यक्रम सिर्फ 3-4 माह का ही होगा। 18 से 35 साल के युवकों के लिए यह अंग्रेजी बढिय़ा बोलो अभियान खुला रहेगा।