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दिल्ली एनसीआर

गुंडे, वन विभाग और पुलिस जब बेच  रहे थे अरावली को, तब कहां थी सरकार

विवेक कुमार फरीदाबाद : अरावली के खोरी इलाके में सैकड़ों बेघर लोग अब अपना घर कभी नहीं बना पायेंगे। खोरी में पिछले कई सालों से स्थानीय गुंडे, वन विभाग के

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लेबर कोर्ट में चढ़ावे के हिसाब से इंस्पेक्टरों को मिलती है जिम्मेदारी

फरीदाबाद (म.मो.) स्टॉफ के अभाव में फरीदाबाद का लेबर कोर्ट मजदूरों को इंसाफ दिलाने की कोशिश में जुटा तो है लेकिन उसे नाकामी ज्यादा मिल रही है। श्रम न्यायालय फरीदाबाद

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आईपीएस अधिकारी ने सीधा सा जवाब दिया कि जब राजा को जनता के हितो से सरोकार नहीं होता तो इसी तरह के हुकुमनामे जारी होते हैं

  मेट्रो तो चलेगी लेकिन जनता की परेशानियां बढ़ाते हुए फरीदाबाद (म.मो.) 24 मार्च से बंद हुई मेट्रो रेल सेवा को जनता के सिर पर बहुत बड़ा अहसान लादते हुए

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गौरक्षक बने एक लुटेरा गिरोह ने बीते शुक्रवार लुकमान नामक एक मीट व्यापारी का पीछा कर, उसका अपहरण किया और बहुत बेरहमी से पीटा। पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा तो खुद भी पिटी।

रंगदारी के लिए मीट व्यापारी पर जानलेवा हमला, गौ गुंडे पुलिस से भी बेखौफ भिड़े गुडग़ांव (म.मो.) संघ एवं भाजपा से प्राप्त दीक्षा एवं प्रेरणा पाकर गौरक्षक बने एक लुटेरा

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नशे का व्यापारी भोंडसी जेल का डिप्टी जेलर आखिर हुआ गिरफ्तार

क्राइम ब्रांच वाले निकले तो थे खरगोश पकडऩे, पकड़ा गया शेर मज़दूर मोर्चा ब्यूरो गुडग़ांव पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कभी ख्वाबों-ख्यालों में भी नहीं सोचा था कि वे भोंडसी

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कानून सबके लिये बराबर है, यही दुनिया का सबसे बड़ा झूठ है, बल्कि यह तो मकड़ी का वो जाला है जिसमे कीड़े मकौड़े तो फंस जाते हैं पर बड़े जानवर इसे तोड़ कर बाहर हो जाते हैं…

पैसा है तो पसंदीदा धारा लगवाइये … पलवल पुलिस से ग्राउंड जीरो से विवेक कुमार  देश के प्रधानमन्त्री ने जनता से कहा आत्मनिर्भर बनो, हालाँकि उनके ऐसा कहने से पहले

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निगमायुक्त से मुलाकात दिखा कर कब तक बहकायेंगी विधायक त्रिखा फरीदाबाद (म.मो.) बडख़ल विधानसभा क्षेत्र में पडऩे वाले गली-मुहल्लों में उफनते सीवर, टूटी सडक़ों व पेयजल की आपूर्ति को लेकर

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चार रोज पहले ही वह भौंचक्के रह गए जब देखा कि कंपनी ने उनके बैंक खाते में मात्र 30 हजार रुपया ही बतौर वेतन जमा किया है जबकि वेतन डेढ़ लाख रुपये है।

वर्क फ्रॉम होम से वर्क ऑफ होम तक विवेक कुमार, ग्राउंड रिपोर्ट भाई मजा आ रहा है न? “वर्क फ्रॉम होम” से सीधा “वर्क ऑफ होम” हो गया? ललित ने

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वैन जो बतौर एम्बुलेन्स आई उसमे पहले से ही चार लोग बैठे थे जिसमे एक टीबी का मरीज था और वो भी तब जब कोरोना फ़ैला है? ड्राईवर ने कहा एम्बुलेंस मिल गई ये कोई कम है?

अस्पताल बस कोरोना मरीज ही देखेंगे;  बीमारी कोई भी हो मरना पड़ेगा कोरोना के नाम से ही… ग्राउंड जीरो से विवेक कुमार की रिपोर्ट   कोरोना काल में क्या अन्य

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