बीके अस्पताल में 29 एम्बुलेंस, 87 के बजाय नियुक्त 31 ड्राइवरों में से भी 3 ड्राइवर अफसरों की सेवा में

बीके अस्पताल में 29 एम्बुलेंस, 87 के बजाय नियुक्त 31 ड्राइवरों में से भी 3 ड्राइवर अफसरों की सेवा में
December 29 02:52 2021

फरीदाबाद (म.मो.) जि़ले का सबसे बड़ा सरकारी बीके अस्पताल है। इसमें इलाज़ कम और रैफर ज्यादा होते हैं। रैफर भी मूलत: दिल्ली के लिये होते हैं क्योंकि निजी अस्पतालों के लिये रैफर नहीं किया जा सकता। वह बात अलग है कि मरीज स्वत: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में भटकते हुए अपनी जान गवांने से बचने के लिये स्थानीय निजी अस्पतालों में पहुंच जाये।

रैफर होकर जाने वाले मरीज़ों व गंभीर रूप से घायलों को घटना स्थल से उठा कर लाने के लिये राज्य सरकार ने यहां 29 एम्बुलेंस दे रखी हैं। इनमें से कुछ नेशनल हैल्थ मिशन फंड से हैं इन 29 एम्बुलेंसों के लिये, प्रत्येक पर तीन के हिसाब से 87 ड्राइवरों की जरूरत होती है। इन्हीं में से साप्ताहिक अवकाश व अन्य छुट्टियों को भी समाहित करना होता है। लेकिन इस वक्त यहां मात्र 31 ड्राइवर हैं। ये तमाम गाडिय़ां व ड्राइवर पूरे जि़ले भर के लिये हैं, यानी बल्लबगढ़ का सिविल अस्पताल व तमाम छोटे-बड़े हैल्थ सेंटर भी इन्हीं के द्वारा कवर किये जाते हैं।

जाहिर है ऐसे में बमुश्किल चन्द एक मरीज ही जुगाड़बाज़ी करके सरकारी एम्बुलेंस ले पाते हैं। शेष सभी को प्राइवेट गाडिय़ों व तिपहियों का सहारा लेना पड़ता है। इसी लिये अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड के बाहर प्राइवेट गाडिय़ों व तिपहियों का जमावड़ा लगा रहता है। ये गाडिय़ां प्राइवेट अस्पतालों की दलाली का काम भी करती हैं।

वेतन खर्च बचाने की नीयत से खट्टर सरकार द्वारा ड्राइवरों की भर्ती न करके एम्बुलेंस गाडिय़ों को बेकार खड़ा कर दिया है। लगता है कि एम्बुलेंस गाडिय़ों की खरीद, केवल खरीदारी पर मिलने वाले कमीशन के लिये ही की गई थी। ड्राइवरों की इस कमी रूपी कोढ में खाज का काम करने में जि़ले के उच्चाधिकारी भी पीछे नहीं रहना चाहते। ड्राइवरों की कमी को दूर करने का कोई उपाय करना तो दूर, खुद इस कमी को और बढ़ाने के लिये उक्त 31 डा्रइवरों में से एक ड्राइवर चंद्रशेखर को मंडलायुक्त संजय जून ने अपनी निजी कार के लिये काबू कर रखा है तो दूसरे ड्राइवर निकुंज शर्मा को उपायुक्त जितेन्द्र यादव ने अपनी निजी गाड़ी पर लगा रखा है।

ऐसे में भला सिविल सर्जन साहब क्यों पीछे रहने लगे, उन्होंने भी रामराज नामक ड्राइवर को अपनी गाड़ी पर लगा लिया है। बेशक सिविल सर्जन ने रामराज को अपनी सरकारी गाड़ी पर लगाया है लेकिन एम्बुलेंस के ड्राइवर को इस तरह से लगाना अवैध है। इसी तरह, उपरोक्त दोनों उच्चाधिकारियों के पास भी दो-दो सरकारी ड्राइवर पहले से ही मौजूद हैं।

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Mazdoor Morcha
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