एशियन अस्पताल ने मरीज़ को मौत का भय दिखा कर लूटा था, अब केस दर्ज करने के बजाय पुलिस चक्कर कटा रही है

एशियन अस्पताल ने मरीज़ को मौत का भय दिखा कर लूटा था, अब केस दर्ज करने के बजाय पुलिस चक्कर कटा रही है
August 31 18:59 2021

फरीदाबाद (म.मो.) बीते दिसम्बर एशियन अस्पताल द्वारा ठगी गयी मरीज की और से जिला प्रशासन व सीएम विंडो पर लगातार गुहार किये जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नही हुई। कार्रवाई के नाम पर जिले के सिविल सर्जन को केस भेज दिया गया। जो इसकी जांच के नाम पर समय गुजार रहे हैं।सिविल सर्जन डा. विनय गुप्ता से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसा कोई अख्तियार नहीं है कि वह ऐसे अस्पतालों द्वारा वसूले गये अनुचित बिलों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकें, वे तो केवल अपनी जांच द्वारा यह बता सकते हैं कि इलाज में कोई लापरवाही हुई या न हुई।

5 दिसम्बर 2020 को अचानक तबियत बिगडऩे पर 18 सेक्टर निवासी आरडी यादव अपनी पत्नी आशा देवी को लेकर एशियन अस्पताल पहुंचे। उनका मेडिक्लेम देखते ही अस्पताल वालों ने कहा कि आप बड़े सही वक्त पर आ गये हो, थोड़ी सी भी देर हो जाती तो मरीज़ का बचना असम्भव था। यह कहते हुये मरीज़ को तुरन्त आईसीयू में डाल दिया। मेडिक्लेम होने के बावजूद 50000 रुपये नकद भी जमा करवा लिये क्योंकि मेडिक्लेम पॉलिसी की तस्दीक कराने में कुछ समय तो लगता ही है।

 

 

आईसीयू में दाखिल करने के बाद अस्पताल वालों का इलाज के नाम पर ड्रामा शुरू हो गया; कभी पोर्टेबल एक्सरे तो कभी अल्ट्रासाऊंड। बिल का मीटर तेजी से चलते देख यादव जी घबराये, उन्होंने डॉक्टरों से अनुरोध किया कि उन्हें आईसीयू से निकाल कर जनरल वार्ड में शिफ्ट करें। डॉक्टरों ने मरीज़ की जिंदगी और मौत का मामला बताते हुये उनका अनुरोध ठुकरा दिया। लेकिन दो दिन बाद जब बिल काफी बढ़ गया तो यादव जी ने कुछ कड़ा रुख अख्तयार करते हुये डॉक्टरों से कहा कि उन्हें तुरन्त वार्ड में शिफ्ट किया जाय। इस पर जनरल वार्ड की बजाय मरीज़ को स्पेशल वार्ड में शिफ्ट कर दिया। यहां आने के बाद फिर से वही एक्सरे व अल्ट्रासाऊंउ का सिलसिला शुरु हो गया; कभी पोर्टेबल मशीनों से तो कभी स्थिर मशीनों से। कुल छ: दिन में पांच एक्सरे दो अल्ट्रासाऊंड तथा आखिरी दिन निकलते-निकलते भी पैट सिटी स्कैन कर डाला। इतना ही नहीं छ: बार किडनी फंक्शनिंग व चार बार लीवर फंक्शनिंग टेस्ट भी कर डाले। विदित है कि फेफड़े के इस रोग में इन दोनों टेस्टों की कतई आवश्यकता नहीं थी, जाहिर है ये टेस्ट केवल वसूली करने के लिये किये गये थे।

यादव जी ने बताया कि छ: दिन के भीतर अस्पताल ने 2 लाख 82 हज़ार 631 रुपये का बिल उन्हें थमा दिया। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि 16 हजार 250 रुपये तो डॉक्टरों की विजिटिंग $फीस यानी डॉक्टरों द्वारा मरीज़ को बेड पर देखने के लिये दिखाई गई है। एक-एक दिन में तीन-तीन डॉक्टर 900 रुपये प्रति विजिट चार्ज कर रहा था। जबकि वास्तव में बमुश्किल दिन भर में एक बार डॉक्टर आता था, यानी बिल में फर्जीवाड़ा।

अस्पताल की इस तरह की बदमाशियां देख कर यादव जी ने हाथ जोड़ लिये और डॉक्टरों से कहा कि हमें डिस्चार्ज करो। लेकिन शिकंजे में फंसे शिकार को भला यह अस्पताल क्यों छोडऩे लगा? डॉक्टरों ने उन्हें डराया कि मरीज़ की जान को भारी खतरा है, वे डिस्चार्ज नहीं कर सकते। यादव जी नहीं माने तो डॉक्टरों ने मरीज़ को डॉक्टरी सलाह के विरुद्ध, अपने जोखिम पर घर जाने दिया।

अस्पताल द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर बनाया गया उक्त बिल जब मेडिक्लेम कंपनी के पास पहुंचा तो कंपनी ने मात्र 1 लाख 56 हज़ार का बिल ही मंजूर किया। यानी इससे ऊपर का जितना भी बिल ठगों के इस अस्पताल ने बनाया था वह काट दिया। अस्पताल को अपनी ठगी का व बिल के कटने का अनुमान पहले से ही था इसलिये उन्होंने यादव जी से पहले ही अतिरिक्त नकद भुगतान वसूल कर लिया था।

अस्पताल से आने के करीब तीन दिन बाद यानी 14 दिसम्बर को यादव जी मरीज़ को महरौली स्थित टीबी इस्टीट्यूट अस्पताल ले गये। वहां के डॉक्टरों ने तुरन्त एक्सरे किया, एशियन अस्पताल की फाइल देखी और अपना माथा पीट लिया। उन्होंने बताया कि मरीज़ को प्लूर्सी यानी फेफड़ो में पानी है। यह कोई बहुत गंभीर रोग नहीं है, उन्होंने दवा लिख दी और एक सप्ताह बाद पुन: आने को कहा। इस एक सप्ताह में मरीज़ को काफी आराम मिला। दोबारा जाने पर वहां के डॉक्टरों ने बताया कि यह दवा उन्हें बीके अस्पताल से मुफ्त मिलेगी जिसे वे लगातार नियमित रूप से नौ महीने तक लेते रहेंगे। इलाज कारगर सिद्ध हुआ और खबर लिखे जाने तक मरीज़ लगभग ठीक हो चुकी है।

एशियन अस्पताल द्वारा मरीज की मौत का भय दिखा कर इलाज के नाम पर इस तरह से लूटना एक आपराधिक मामला बनता है। इसे लेकर यादव जी ने थाने से लेकर पुलिस कमिश्नर तक काफी चक्कर लगाये लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सुनवाई हो भी कैसे सकती है जब पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह के पिता व ससुर सहित अनेकों रिश्तेदारों का इलाज इसी एशियन अस्पताल में चलता हो तो इनसे कोई इंसाफ की क्या उम्मीद कर सकता है? जानकरों के मुताबिक इस अस्पताल की ठगी व बिलों के फर्जीवाड़े को देखते हुये अनेकों मेडिक्लेम कंपनियों ने इसे ब्लैक लिस्ट कर दिया है। यह भी पता चला है कि ईएसआई कार्पोरेशन ने भी पिछले दिनों इनका फर्जीवाड़ा पकड़ कर इन्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया था। लेकिन अस्पताल ने फिर से कोई जुगाड़बाज़ी करके ईएसआई कार्पोरेशन से नाता जोड़ लिया है। दरअसल इलाज के नाम पर इस तरह की जालसाज़ी करने वालों का इलाज मात्र ब्लैकलिस्ट करना नहीं, बल्कि ऐसे लोगों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमे दर्ज करके इन्हें जेल भेजा जाना चाहिये।

 

 

 

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Mazdoor Morcha
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