फरीदाबाद (म.मो.) ओल्ड फरीदाबाद चौक व रेलवे स्टेशन के बीच स्थित गरीबों की एक बस्ती है संत नगर। करीब 50 साल पुरानी इस बस्ती में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 2000 घर हैं। यहां के थोड़े-बहुत साधन-सम्पन्न निवासी कुछ न कुछ जोड़-जुगाड़ करके अपने बच्चों को बस्ती से बाहर के किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाने का प्रयास करते हैं। लेकिन जो बिल्कुल ही साधनहीन हैं उनके लिये चुनावों के दौर में आने वाले नेताओं ने करीब चालीस साल पहले इस स्कूल का निर्माण कराया था। समय-समय पर आने वाले चुनावों के दौरान नेताओं ने इसकी मरम्मत आदि भी करवाई थी। इसमें 274 बच्चों के नाम दर्ज हैं।
स्कूल की इस बिल्डिंग के चार कमरे करीब 20 साल पहले व दूसरे चार कमरे 10 साल पहले बनवाये गये थे। ब्यापक भ्रष्टाचार के चलते पहले वाले चार कमरे बीते कुछ सालों से जर्जर हुए पड़े थे। इसके चलते इन कमरों को इस्तेमाल में नहीं लिया जा रहा था। सरकारी अधिकारी इन कमरों को गिरा कर नये बनाने की अपेक्षा मुंह ढक कर सोते रहे और कमरों की छत दो व तीन की मध्य रात्रि में स्वत: गिर गई।
जाहिर है रात के समय गिरने के चलते जान-माल का कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। वैसे हो भी जाता तो यहां किसे परवाह है? राजनेता व सरकारी अ$फसर घटनास्थल पर एक-दो चक्कर लगा जाते, संवेदना के दो-चार शब्द कह जाते और जरूरी होता तो कुछ न कुछ मुआवजा दे जाते। इस व्यवस्था में गरीब की जान की बस इतनी ही किमत होती है। स्कूलों की यह कोई पहली जर्जर ईमारत नहीं थी। इस तरह की अनेकों इमारतें हर समय किसी न किसी हादसे का इंतजार कर रही हैं। छोटे-मोटे हादसे तो एनआईटी के कई स्कूलों में हो भी चुके हैं।
‘मजदूर मोर्चा’ के सुधी पाठकों ने पिछले किसी अंक में गांव सेहतपुर स्कूल की खबर तो जरूर पढ़ी होगी जिसमें एक मास्टर जी ने 70 लाख रुपये खर्च दिखाकर एक ….दो मंजिला इमारत खड़ी कर दी थी। शिकायत होने पर इंजीनियरिंग कॉलेज कुरूक्षेत्र के इंजीनियरों से बिल्डिंग की जांच कराई तो उसे अनुपयोगी घोषित कर दिया गया। परन्तु 15 साल बीत जाने के बावजूद भी न तो उस मास्टर जी को कोई सजा हुई और न ही डकारे गये धन की वसूली।
इस तरह के घोटालों का एक नियमित व संगठित कार्यक्रम हरियाणा के शिक्षा विभाग में आज भी जारी है। आज जिला शिक्षाधिकारी के पद पर तैनात मुनीष चौधरी पर भी इसी तरह 25 लाख डकारे जाने का आरोप कई वर्षों से विचाराधीन चल रहा है। जब किसी घोटालेबाज का कुछ न बिगड़ता हो तो अन्य लोग भी प्रेरित होकर घोटाले करने में जुट जाते हैं।