90 करोड़ की वसूली बहुत मुश्किल है, 2015 की वसूली अब तक नहीं मजदूर मोर्चा ब्यूरो…

90 करोड़ की वसूली बहुत मुश्किल है, 2015 की वसूली अब तक नहीं  मजदूर मोर्चा ब्यूरो…
February 17 13:23 2020

खट्टर सरकार राइस मिलर्स की डकैती परकर रही है लीपा-पोती

 

चंडीगढ़: हरियाणा में किसान लुटता रहा और खट्टर सरकार तमाशा देखती रही। प्रमुख विपक्षी दल चार महीना  पहले से ही हरियाणा सरकार को बार-बार आगाह कर रहे थे कि अनाज मंडी में धान पहुंचने से लेकर,  उसका समर्थन मूल्य तय किए जाने, राइस मिलर्स द्वारा उन्हें उठाने और स्टॉक कम दिखाने जैसा फर्जीवाड़ा खुलेआम हो रहा है। लेकिन सरकार की कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार बनाने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) जो किसानों से तमाम वादा करके आई थी, उस तक ने आंखें बंद कर लीं। अभी जब फूड सप्लाई विभाग ने 1207 राइस मिलों में 42589 मीट्रिक टन धान घोटाला करा है तो उस पर लीपा-पोती शुरू कर दी गई है। इस मामले का फंडाफोड़ फूड सप्लाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव .के. दास ने किया है।

फूड सप्लाई विभाग की टीम ने 1304 राइस मिलों की खुद जाकर जांच की, 1207 मिलों में धान कम मिला सरकार को इस घोटाले से 90 करोड़ रुपये की चोट  पहुंची है। जांच में पता चला है कि राइस मिलर्स ने बिना धान खरीदे ही या तो सरकार से यह पैसा ले लिया या धान को आगे ज्यादा दामों पर बेच दिया। विभाग ने इसे बड़ा घोटाला माना है। अब खट्टर सरकार का बयान आया है कि 90 करोड़ रुपये राइस मिलर्स से ब्याज सहित वसूला जाएगा।

फूड सप्लाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वीके दास का कहना है कि 6440180.54 मीट्रिक टन के स्टॉक की जांच के लिए सत्यापन किया गया, जिसमें से मिलों में 6400400.28 मीट्रिक टन स्टॉक ही मिला। जिन मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई हैं उनसे नोटिस दे कर जवाब मांगा गया है।

सरकार पर डाली जिम्मेदारी

इस घोटाले में फंसी राइस मिलों पर फूड सप्लाई विभाग सीधे कार्रवाई करने की ताकत रखती है। लेकिन उसने बहुत सधे हुए तरीके से कार्रवाई का फैसला लेने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पर डाल दी है। अतिरिक्त मुख्य सचिव दास ने कहा कि घोटाला करने वालों के खिलाफ सीएम मनोहर लाल व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से निर्देश लेकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। घोटाला करने वाले मिलर्स पर तीन तरह की कार्रवाई बनती है। धान खरीद पर जारी लगभग 90 करोड़ रुपये को ब्याज सहित वसूल किया जाएगा। अनियमितता की संवेदनशीलता के आधार पर एफआईआर दर्ज करने और ब्लैकलिस्ट करने जैसे अन्य विकल्प भी अमल में लाए जाएंगे।

लेकिन यह सब कागजी घोषणाएं हैं। सरकार जब तक इन राइस मिलों के खिलाफ केस नहीं दर्ज कराती है, तब तक इनमें सुधार नहीं आएगा। हकीकत तो यह है कि किसान हर साल धान खरीद के नाम पर राइस मिलों द्वारा ठगे जाते हैं। सरकार हर बार कार्रवाई की बात कहती है लेकिन अंत में कुछ नहीं होता है।

घोटाला सामने आने के बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव वीके दास कह रहे हैं कि स्टॉक को कहीं और ले जाने और फर्जी खरीद से बचने के लिए खरीद तंत्र को और अधिक मजबूत करेंगे। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अब धान को मंडियों से मिल परिसर तक  हुंचाने का कार्य खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग व खरीद एजेंसियां करेंगी। धान की ढुलाई के लिए उपयोग होने वाले ट्रकों को जीपीएस युक्त किया जाएगा ताकि उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके। ट्रकों में मौजूद स्टॉक के सही वजन के लिए धर्मकांटा भी विभाग अपने अधीन लेगा। ऐसे में मुख्य सचिव दास और सरकार से यह सवाल तो पूछा ही जाना चाहिए कि जिन कड़े कदमों को उठाने की बात वे अब कह रहे हैं, वही कदम तो पहले भी उठाए जा सकते थे।

घोटाला ही घोटाला

जांच के दौरान 205 मिलों के स्टॉक में 5 टन तक की कमी मिली है। इसी तरह 134 मिलों के स्टॉक में 5-10 टन तक, 248 मिलों में 10 से 25 टन तक, 325 मिलों में 25 से 50 टन तक और 295 मिलों के स्टॉक में 50 टन से अधिक की कमी मिली है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने माना कि मिलर्स को जो दस दिन मिले, उसमें उन्होंने स्टॉक को  पूरा करने की कोशिश की है। हो सकता है मिलर्स ने दूसरी जगह से धान खरीदा हो या कहीं और रखे हुए धान को लाकर स्टॉक में शामिल किया।

करनाल जिले में सबसे अधिक 284 मिलों के स्टॉक में धान की कमी पाई गई है। उसके बाद कुरुक्षेत्र जिले की 236 मिलों, अंबाला जिले में 185 मिलों, फतेहाबाद में 168, यमुनानगर में 150 और कैथल जिले में 115 मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई है। मिलों में 2808 मीट्रिक टन चावल भी अधिक मिला है, जिससे विभाग का कोई सरोकार नहीं है। हालांकि, सवाल उठता है कि यह चावल कहां से आया।

जांच के दौरान विभाग द्वारा आवंटित धान, मिलों की मिलिंग क्षमता, मिलों के पास चावल की उपलब्धता और एफसीआई को दिए गए चावल और मिलों के पास बचे हुए धान स्टॉक की जांच की गई। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि जांच पर आज तक किसी भी राइस मिलर्स ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई है।

कैथल के एक राइस मिल मालिकों ने 8 करोड़ रु. का धान घोटाला किया। इसमें कुछ अफसरों की मिलीभगत बताई जा रही है, क्योंकि जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कार्यालय में से गारंटर के दस्तावेज गायब मिले हैं। इस पर विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस)  दास ने कैथल के एस पी को आरोपी राइस मिलर, गारंटर व विभाग के कर्मचारी पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। जिन पर एक्शन होना है वे हैं – आरजी इंटर प्राइजेज़ राइस मिलर के मालिक गिरीश मिगलानी व रजनीश मिगलानी, गारंटर निकुंज गर्ग,  प्ररकाशरानी।

सोई रही सरकार, राइस मिलर्स की सीनाजोरी

23 नवंबर 2019 को कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा के नेतृत्व में किसानों ने कुरुक्षेत्र में बड़ा  प्रदर्शन किया। पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश की कई धान मंडियों का दौरा कर सरकार का ध्यान बार-बार इस तरफ खींचा लेकिन सरकार खामोश बनी रही। इनैलो के अभय चौटाला ने भी कई मंचों पर इस मामले को उठाया। राइस मिलर्स ने 19 दिसंबर को कैथल में एक  प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।  कायदे से राइस मिलर्स को सरकार को घेरना चाहिए था, सवाल करने चाहिए थे लेकिन राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान अमरजीत छाबड़ा ने कहा कि हरियाणा का विपक्ष जबरन हम लोगों पर दबाव बना रहा है। हमें चोर कहा जा रहा है। इन हालात में कोई कैसे व्यापार कर सकता है। इन लोगों ने सरकार के राजस्व अधिकारियों और पटवारियों के काम पर सवालिया निशान लगाए।

मिलर्स एसोसिएशन ने कहा कि भौतिक सत्यापन के लिए जिन राजस्व अधिकारियों और पटवारियों को भेजा गया, उन्हें उस काम की जानकारी ही नहीं है। दरअसल, दिसंबर में ही यह घोटाला सामने आ चुका था, अफसर सरकार को अलर्ट कर रहे थे।  मिलर्स को इन सारी बातों की जानकारी थी। इसीलिए उसकी हिम्मत इतनी बढ़ी की उसने विपक्ष को ही इस घोटाले का पर्दाफाश करने पर घेरने की कोशिश की। राइस मिलर्स ने 2015 में भी खट्टर सरकार को इसी तरह करोड़ों का चूना लगाया था लेकिन सरकरा वह पैसा राइस मिलर्स से आजतक नहीं वसूल पाई है।

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Mazdoor Morcha
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