निगमायुक्त से मुलाकात दिखा कर कब तक बहकायेंगी विधायक त्रिखा
फरीदाबाद (म.मो.) बडख़ल विधानसभा क्षेत्र में पडऩे वाले गली-मुहल्लों में उफनते सीवर, टूटी सडक़ों व पेयजल की आपूर्ति को लेकर बीते मंगलवार को विधायक सीमा त्रिखा नगर निगम के आयुक्त से मिलीं, न केवल मिली बल्कि मुलाकात की फोटो भी प्रचार-प्रसार हेतु मीडिया को पहुंचाई गयी। मुलाकात के दौरान कोरोना काल में अस्त-व्यस्त हो चुकी निगम की तमाम सेवाओं को व्यवस्थित करने की बात कही गयी। विदित हो कि इस निकृष्ट निगम की तमाम सेवायें इस कोरोना काल से पहले कौनसी व्यवस्थित एवं सुचारू थी?
बीते 6 साल, यानी जब से सीमा विधायक बनी हैं तब से यही हाल है बल्कि उससे पहले से ही यही है विधायक बनने से पहले सीमा निगम पार्षद भी तो रह चुकी हैं, तब भी सडक़ें यूं ही टूटी पड़ी थी, सीवर उफन कर सडक़ों पर बहा करते थे, पानी की आपूर्ति को लेकर उस वक्त भी प्यासी जनता यूं ही आक्रोशित होकर प्रदर्शन किया करती थी,आज भी कर रही है। सीमा ने उक्त मुलाकात का प्रोपेगेंडा करके जनता को यह बताने का प्रयास किया है कि वह उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिये किस कदर सक्रिय है।
दरअसल सीमा, बेशक किसी लहर के चलते, विधायक बन तो गयी परंतु उनका मानसिक स्तर एवं सोच आज भी किसी निगम पार्षद के स्तर से ऊपर नहीं उठ पाई है। अपनी नाकाबीलियत के चलते उन्हें अपने क्षेत्र का प्रत्येक पार्षद अपना प्रतिद्वन्दी दिखता है। उन्हें हर वक्त यही लगता है न जाने इनमें से कौन सा पार्षद आगामी चुनाव में इनकी विधायकी छीन ले। इसी ओछी सोच के चलते उनका भरसक प्रयास रहता है कि यदि किसी मुहल्ले की नाली भी साफ होनी है तो वह पार्षद के कहने पर न की जाय, कोई भी छोटे से छोटा काम केवल उनके (सीमा के) कहने पर ही किया जाय। किसी गली में यदि दो-चार ईंट भी लगती हैं तो सीमा नारियल फोडऩे पहुंच जाती हैं। जाहिर है इससे तमाम पार्षद उनके विरोध में ही खड़े होंगे।
इस 6 साल की विधायकी में सीमा को अभी तक यह समझ नहीं आ सका कि विधायक को करना क्या होता है? वह अपनी शक्तियों के बल पर क्षेत्र के लिये क्या कर सकती हैं? हां उन्हें इतना ज्ञान जरूर है कि निगम द्वारा खरीदे जाने वाले चल-शौचालयों में मोटा माल कैसे मारना है, ठेकेदारों की पेमेंट निकलवाने के बदले वसूली कैसे करनी है। अवैध कब्ज़े एवं निर्माण कैसे करवाने हैं। विदित है कि क्षेत्र में जितने भी अवैध कब्ज़े एवं निर्माण होते हैं, वे सब निगम अधिकारियों की मिलीभगत व लेन-देन के आधार पर होते हैं और इस लेन-देन में सम्बन्धित पार्षद एवं विधायक अपना हिस्सा कभी नहीं छोड़ते।