July 04 06:37 2020

योगी का यूपी : एनकाउंटर स्पेशलिस्टों का हो गया एनकाउंटर

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो

माफ कीजिए ! ये राम राज्य नही है यह जंगलराज है और यही असली जंगलराज है। हम यूपी की बात कर रहे हैं जहाँ कानपुर के बिठूर थाना क्षेत्र में कल रात एक 25 हजार के इनामी बदमाश को पकडऩे गए पुलिस दल पर हमला होता है और एक डीएसपी, तीन सब इंस्पेक्टर, ओर चार सिपाहियों को अपराधियों का गैंग गोलियो से भून देती है। यानी इस हौलनाक घटना में 8 पुलिस कर्मियों की मौत हुई है। इसके अलावा स्थानीय थाना प्रभारी समेत 6 पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल है ओर जिस तरीके से हमला हुआ, उससे आशंका है कि  बदमाशों को पुलिस की दबिश की भनक मिल गई थी। जिस कारण उन्होंने तैयारी करके पुलिस पर हमला किया। पुलिस को रोकने के लिए बदमाशों ने पहले से ही जेसीबी वगैरह से रास्ता रोक रखा था। अचानक छत से फायरिंग शुरू कर दी गई। अब तक जो फिल्मो ओर वेबसीरिज आदि में देखा था अब वह प्रत्यक्ष घटित हो रहा है

जिस भाजपा नेता विकास दुबे को ये गिरफ्तार करने गए थे वह कोई छोटा मोटा अपराधी नही था विकास दुबे उत्तरप्रदेश का कुख्यात बदमाश है। उसने 2001 में थाने में घुसकर भाजपा नेता और राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की थी। वह पहले भी थाने में घुसकर पुलिसकर्मी समेत कई लोगों की हत्या कर चुका है। विकास पर 60 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। वह प्रधान और जिला पंचायत सदस्य भी रह चुका है। इसके खिलाफ 52 से ज्यादा मामले यूपी के कई जिलों के थानों में चल रहे हैं।

विकास दुबे की यूपी के सभी राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ बताई जाती है, संतोष शुक्ला के मर्डर के बाद पुलिस इसके पीछे पड़ गई। कई माह तक ये फरार रहा और तब सरकार ने इसके सिर पर पचास हजार का इनाम घोषित कर दिया। पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के डर के चलते ये अपने खास भाजपा नेताओं की शरण में गया। जहां उन्होंने अपनी कार में बैठाकर इसे लखनऊ कोर्ट में सरेंडर करवाया। कुछ माह जेल में रहने के बाद इसकी जमानत हो गई विकास दुबे वर्तमान में भाजपा के साथ ही जुड़ा था, लेकिन इसी दल के एक विधायक से इसकी नहीं पट रही थी। आश्चर्य की बात तो यह है कि 2017 में लखनऊ में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया था लेकिन यूपी सरकार की लापरवाही की वजह से इसे फिर से जमानत मिल गयी और जेल से निकलने के बाद वह फिर से बड़े बड़े  अपराध करने लगा, विकास दुबे के खिलाफ कानपुर के राहुल तिवारी ने हत्या के प्रयास का केस दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस उसे पकडऩे के लिए बिकरू गांव गई थी जहाँ कल रात को यह लोहमर्षक घटना हुई है।

अब देखिए…योगी के आदेश पर पुलिस विकास दूबे जैसों को पकडऩे की बजाय राजनीतिक लोगों को रात में उठा ले जाती है, जैसे वो कोई बहुत बड़े अपराधी हों। हाल ही में कांग्रेस नेता शाहनवाज़ आलम को उनके घर से पुलिस आधी रात को उठाकर ले गई। लखनऊ में सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को बेवजह गिरफ्तार कर रहा है। शिया मौलाना यासूब अब्बास के घर पुलिस भेज दी गई। डॉ कफ़ील खान पहले ही गिरफ्तार हैं। एएमयू (अलीगढ़)में बेकसूर छात्र नेताओं की गिरफ़्तारी  सिर्फ योगी के अहम को संतुष्ट करने के लिए की गई है।

यूपी का एक सामान्य पुलिस वाला खुद दुखी है। उसे यह समझ आ चुका है कि मलाई या तो उसके आला अफ़सर काट रहे हैं या फिर भाजपा के छोटे से लेकर बड़े नेता काट रहे हैं। उसे विकास दूबे जैसों से लड़ते हुए जान देनी पड़ती है। बड़े पुलिस अफ़सर आपराधिक छवि वाले नेताओं पर फूलों की बारिश कर तरक़्क़ी पा जाते हैं। …और नेता सत्ता पाते ही सबसे पहले अपने खिलाफ दर्ज दर्जनों मुक़दमे वापस ले लेता है।

विकास दूबे सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा पैदा किया गया आतंकी है । पुलिस अफ़सर भाजपा के दूसरे गुट का दबाव पडऩे पर सक्रिय हुए थे। हो सकता है कानपुर पुलिस ग़ुस्से में आज कुछ अपराधियों को मार दे लेकिन क्या डीएसपी देवेंद्र त्रिपाठी समेत आठ पुलिसकर्मियों की क़ीमती जिन्दगी वापस मिलेगी? उनके घरों में छाए अंधेरे के लिए सत्ता ही जिम्मेदार है।

क्या पुलिस….क्या योगी….क्या भक्तों में आज विकास दूबे को आतंकी कहने की हिम्मत है, जिसके खिलाफ हर श्रेणी के 60 केस दर्ज हैं??

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Mazdoor Morcha
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