पोप ने पूंजीवाद को नकारा
इसाईयों के सबसे बड़े धार्मिक नेता और धर्मगुरू पोप ने पूंजीवाद को नाकाम घोषित किया है। कोविड महामारी के बाद के विश्व पर ‘सभी भाई हैं’ नाम से जारी अपने दृष्टि पत्र में पोप फ्रांसिस ने कहा है कि कोविड महामारी ने यह साबित कर दिया है कि ‘बाजार पूंजीवाद’ के चमत्कारिक सिद्धांत नाकाम हो गये हैं। उन्होंने कहा कि विश्व को एक नये तरह की राजनीति की जरूरत है जो वार्ता एवं एकजुटता को बढावा दे तथा हर कीमत पर युद्ध को खारिज करे।
बड़े आश्चर्य की बात है कि जब पूंजीवादी को कम्युनिज्म के खात्मे की घोषणा कर रहे थे और उन्हीं के खेमे के सिपहसालार पोप ने पूंजीवाद को ही निकम्मा घोषित करके एक तरह से उसके खात्मे का आह्वान कर दिया। फिर भी पोप में शायद कुछ ईमानदारी या इन्सानियत बची है जो ऐसा कह गये, हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरूओं को तो अपने चेलों को जाहिलपने में धकेलने से अब भी फुर्सत नहीं है।
एक और नोबेल पुरस्कार वाले ने मोदी को लताड़ा
नोबेल पुरस्कार प्राप्त विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जोसेफ स्टिग्लिट्ज ने मोदी को कोविड से निपटने में असफलता, अर्थव्यवस्था के सत्यानाश और धर्म के आधार पर लोगों को लड़ाने की राजनीति करने के लिये लताड़ा है। वो मंगलवार को फिक्की के पश्चिम बंगाल काउंसिल के एक वेबीनार में बोल रहे थे। उन्होंने अचानक और बिना योजना के मोदी द्वारा लागू किये गये लॉकडाउन की आलोचना की और कहा कि महामारी से सही तरीके से निपटे बिना अर्थवयवस्था को भी नहीं सुधारा जा सकता। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मोदी बांटने की राजनीति कर रहे हैं ओर हिन्दू मुसलमान को आपस में लड़ा कर देश में वैमनस्य का माहौल पैदा कर रहे हैं, इससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता। उन्होंने ये भी कहा कि कोविड महामारी से निपटने और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये मोदी को देश के धनाढय़ों-अरबपतियों पर टैक्स लगाना चाहिए और गरीब वर्ग को आर्थिक राहत देनी चाहिए। ताकि सरकार की आय भी बढे और गरीब लोगों के खर्च करने से देश भी आर्थिक रफ्तार पकड़े।
जोसेफ साहब को याद दिला दें कि उनसे पहले ही देश के 15-20 नौजवान आईआरएस अफसरों ने अपनी एसोसिएशन के माध्यम से सरकार को एक प्रस्ताव अमीरों पर टैक्स का दिया था। सरकार ने तुरन्त उन अफसरों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया था। और खुद उनका भाषण करवा रही संस्था फिक्की क्यों चुप बैठी है। वह जोसेफ साहब के ये सुझाव सरकार को क्यों नहीं भेजती। मोदी जी को पता है जब तक मुस्लिम घृणा से लबरेज करके लोगों को मूर्ख बनाये रखा जा सकता है तो वो अपने दोस्तों अडाणी-अम्बानी व अन्य को क्यों तंग करें। उन पर क्यों टैक्स लगायें। मोदी जी तो ‘हाई वर्क’ में विश्वास रखते हैं हावर्ड या नोबेल में नहीं। ऐसे नोबेल प्राइज वाले कितने ही भौंकते रहो मोदी जी की बला से।
बबीता फोगाट ने फिर चोला बदला
हरियाणा की बबीता फोगाट पहलवान ने एक बार फिर चोला बदल लिया है। पहले वह लड़-झगड़ और अंत में चापलूसी करके हरियाणा पुलिस में डीएसपी लगी थी। फिर सत्ता और पैसे की भूखी बबीता नौकरी छोडक़र चुनाव में कूद पड़ी और 2019 में भाजपा के टिकट पर इसने चरखी दादरी से एमएलए का चुनाव लड़ा। वहां लोगों ने इसको धूल चटा दी तो ये भभकती घूमती रही। इसी दौर में ये एक मार्किट कमेटी के कर्मचारी को पीटने के कारण सुर्खियों में आयी। वो मुकदमा अभी इन पर चल रहा है। अभी दो महीने पहले ये फिर खट्टर के आगे हाथ-पांव जोउक़र खेल विभाग में डिप्टी उायरेक्टर लगी थी। लेकिन अभी उन्होंने इस पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
बबीता जैसी घमंडी और बड़बोली शायद ही भाजपा को रास आती है। जो अपने बयानों से घृणा $फैलाती रहती हैं। बबीता अपने व्यक्तित्व के कारण भाजपा को खूब रास आती है। भविष्य में वो भाजपा की राजनीति में जरूर ऊपर उठेगी लेकिन हरियाणा के लोगों में उनकी इज्जत कम ही होगी।
आखिरी मिसरा-
वो पास से गुजरते हैं तो दिल अब भी बहकता है।
पहले ‘डियो’ की खूशबू आती थी
अब सेनिटाइजर महकता