चंडीगढ (म.मो.) हरियाणा सरकार के जिन कर्मचारियों को हर पहली तारीख को वेतन या पेंशन मिल जाया करती थी, इस माह नहीं मिली। अब यह श्रेणीबद्ध सात तारीख से 20 तारीख तक मिलने की संभावना है। पहले सप्ताह में डी ग्रुप व अस्थाई कर्मचारियों को, 16 तारीख तक पेंशन वालों को तथा 20 तारीख तक शेष अधिकारियों को मिला करेगी। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इस लॉक-डाउन से अब तक राज्य सरकार को करीब 9000 करोड़ का राजस्व का नुक्सान हो चुका है। यदि यही लॉक-डाउन लम्बा चलता रहा तो इस सरकार का क्या हाल होगा?
हाल तो केन्द्र सरकार का भी पतला ही है जो पहले से ही रिजर्व बैंक के सुरक्षित फंड से रुपये निकाल-निकाल कर काम को घसीट रही थी, उसका क्या होगा क्योंकि राजस्व हानि तो उसकी भी बड़े पैमाने पर हो ही रही है। अभी तो सांसदों का 30 प्रतिशत वेतन और सांसद की पांच-पांच करोड़ की विकास निधि ही काटी है। देश भर के तमाम कर्मचारियों का एक-एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। अति शीघ्र ‘देश हित’ में तमाम कर्मचारियों के वेतन व भत्तों में भी भारी कटौती की जा सकती है। यह सब तो तब है जब 30-35 रुपये प्रति लिटर का डीजल व पेट्रोल 60-70 रुपये के भाव बेच कर सरकार मोटी लूट कर रही है।
यदि वित्तीय इमरजेंसी घोषित हो गयी तो फिर न पूछिये क्या-क्या होगा? फिर वह सब होगा जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। पहले से ही देश की जीर्ण क्षीर्ण अर्थव्यवस्था में कोरोना कोढ में खाज की तरह आया है।