सारा खेल निगमायुक्त और स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा की मिलीभगत एवं हिस्सा पत्ती के बिना तो खेला नहीं जा सकता।

सारा खेल निगमायुक्त और स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा की मिलीभगत एवं हिस्सा पत्ती के बिना तो खेला नहीं जा सकता।
August 15 06:07 2020

नगर निगम का बड़ा कारोबार, अवैध कब्जे व  निर्माण

कराना, तोडऩे का भय दिखा कर कमाना

फरीदाबाद (म.मो.) नगर निगम स्थानीय स्वयात्त शासन का एक बहुत ही वीभत्स रूप बन चुका है। अब यह न तो स्थानीय रह गया है और न ही स्वायत्त शासन। कुछ बचा है तो केवल लूटतंत्र। नगर वासियों की सुविधा एवं शहरी जीवन को सुखमय बनाने के लिये जो नियम व कानून आदि बनाये गये थे, उनका खुला दुरूपयोग अब केवल जनता को लूटने के लिये अफसर तो कर ही रहे हैं, उसमें हिस्सा बंटाने के लिये जनप्रतिनिधि भी शामिल हो गये हैं। जी हां, जिन प्रतिनिधियों को पार्षद, विधायक तथा सांसद बना कर जनता ने अफसरों की नकेल कसने को चुना था वे खुद लूट में हिस्सा लेने लगे।

शहर में होने वाले तमाम निर्माणों को व्यवस्थित एवं करीने से बनाये रखने के लिये नक्शे पास करने का कानून बनाया गया है लेकिन निगम अधिकारी नक्शे पास करने की बजाय अवैध निर्माण कराते हैं और फिर तोड़-फोड़ का भय दिखा कर बहुत मोटी-मोटी वसूलियां करते हैं। जो वसूली देने से इनकार करे या कम दे अथवा कोई अफसर या राजनेता उससे नाराज हो तो उसका बना-बनाया करोड़ों का निर्माण पलक झपकते ही मटियामेट कर दिया जाता है। हां, जिससे वसूली होने की उम्मीद हो तो उसका निर्माण इस तरह थोड़ा सा तोड़ा जाता है जिसे वह आसानी से ठीक कर सके।

एनआईटी के नम्बर पांच के ई ब्लॉक के बंगला प्लॉट नम्बर 40 पर पांच मंजिला बिल्डिंग सभी नियमों को ताक पर रख कर बनी खड़ी है। इसमें एक फ्लैट शहर की मेयर की पीए पूजा नागपाल को भी दिया गया है। लेकिन इसी के बगल में ही बन रही बिल्डिंग अभी चौथी मंजिल तक ही पहुंची थी कि बीते सप्ताह निगम वाले तोड़ गये। सूर्या ऑथोपेडिक्स अस्पताल के निकट बनी इन बिल्डिंगों की मार्केट वेल्यू 10-15 करोड़ बताई जाती है। जाहिर है इतने कीमती निर्माणों को वैध या अवैध बनाने का खेल भी लाखों-करोड़ों में ही खेला जाता है। यह सारा खेल निगमायुक्त और स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा की मिलीभगत एवं हिस्सा पत्ती के बिना तो खेला नहीं जा सकता।

 

 

 

नगर निगम का बड़ा कारोबार, अवैध कब्जे व  निर्माण

कराना, तोडऩे का भय दिखा कर कमाना

 

फरीदाबाद (म.मो.) नगर निगम स्थानीय स्वयात्त शासन का एक बहुत ही वीभत्स रूप बन चुका है। अब यह न तो स्थानीय रह गया है और न ही स्वायत्त शासन। कुछ बचा है तो केवल लूटतंत्र। नगर वासियों की सुविधा एवं शहरी जीवन को सुखमय बनाने के लिये जो नियम व कानून आदि बनाये गये थे, उनका खुला दुरूपयोग अब केवल जनता को लूटने के लिये अफसर तो कर ही रहे हैं, उसमें हिस्सा बंटाने के लिये जनप्रतिनिधि भी शामिल हो गये हैं। जी हां, जिन प्रतिनिधियों को पार्षद, विधायक तथा सांसद बना कर जनता ने अफसरों की नकेल कसने को चुना था वे खुद लूट में हिस्सा लेने लगे।

शहर में होने वाले तमाम निर्माणों को व्यवस्थित एवं करीने से बनाये रखने के लिये नक्शे पास करने का कानून बनाया गया है लेकिन निगम अधिकारी नक्शे पास करने की बजाय अवैध निर्माण कराते हैं और फिर तोड़-फोड़ का भय दिखा कर बहुत मोटी-मोटी वसूलियां करते हैं। जो वसूली देने से इनकार करे या कम दे अथवा कोई अफसर या राजनेता उससे नाराज हो तो उसका बना-बनाया करोड़ों का निर्माण पलक झपकते ही मटियामेट कर दिया जाता है। हां, जिससे वसूली होने की उम्मीद हो तो उसका निर्माण इस तरह थोड़ा सा तोड़ा जाता है जिसे वह आसानी से ठीक कर सके।

एनआईटी के नम्बर पांच के ई ब्लॉक के बंगला प्लॉट नम्बर 40 पर पांच मंजिला बिल्डिंग सभी नियमों को ताक पर रख कर बनी खड़ी है। इसमें एक फ्लैट शहर की मेयर की पीए पूजा नागपाल को भी दिया गया है। लेकिन इसी के बगल में ही बन रही बिल्डिंग अभी चौथी मंजिल तक ही पहुंची थी कि बीते सप्ताह निगम वाले तोड़ गये। सूर्या ऑथोपेडिक्स अस्पताल के निकट बनी इन बिल्डिंगों की मार्केट वेल्यू 10-15 करोड़ बताई जाती है। जाहिर है इतने कीमती निर्माणों को वैध या अवैध बनाने का खेल भी लाखों-करोड़ों में ही खेला जाता है। यह सारा खेल निगमायुक्त और स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा की मिलीभगत एवं हिस्सा पत्ती के बिना तो खेला नहीं जा सकता।

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Mazdoor Morcha
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