सरकार ने फरीदाबाद में चालान से कमाये 4 करोड़, सडक़ों पर फिर गड्ढे क्यों?

सरकार ने फरीदाबाद में चालान से कमाये  4 करोड़, सडक़ों पर फिर गड्ढे क्यों?
November 20 07:35 2020

 

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: शहर में पिछले आठ महीनों में करीब 4 करोड़ 25 लाख रुपये सिर्फ चालान के जरिए फरीदाबाद ट्रैफिक पुलिस ने वसूले। इसमें बिना मास्क पहने गाड़ी चलाने वालों का चालान भी शामिल है। लेकिन इन पैसों को अगर शहर की सडक़ों पर और ट्रैफिक व्यवस्था को और बेहतर बनाने पर खर्च किया जाता तो शहर के हालात कुछ न कुछ जरूर सुधरते। हालांकि इन पैसों को खर्च करने का अधिकार न तो पुलिस को है और न ही जिला प्रशासन को। चालान के ये पैसे सिर्फ हरियाणा सरकार ही सडक़ों के रखरखाव या अन्य मदो पर खर्च कर सकती है।

इस संबंध में दायर एक आरटीआई से पता चला है कि जनवरी 2020 से लेकर 8 अक्टूबर तक ट्रैफिक पुलिस ने फरीदाबाद में 62 हजार 295 चालान काटे हैं। इसमें व्यावसायिक वाहनों के अलावा बिना मास्क वाले ड्राइवरों का भी चालान शामिल हैं।

मार्च महीने में सबसे पहले जनता कर्फ्यू लागू किया गया और उसके बाद लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। मार्च महीने में ट्रैफिक पुलिस को चालान के जरिये  69 लाख से ज्यादा रकम मिली। इसी तरह अप्रैल-मई-जून में पचास  लाख से ज्यादा, जुलाई अगस्त में 80 लाख से ज्यादा पैसे चालान के मद में आये। जुलाई ऐसा महीना था जब फरीदाबाद ट्रैफिक पुलिस ने सबसे ज्यादा 18,170 चालान काटे थे।

शहरों की सडक़ों की हालत किसी से छिपी नहीं है। फरीदाबाद नगर निगम के अफसर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हैं। नेता कमीशन लेता है। नतीजा यह निकल रहा है कि या तो सडक़ें बन नहीं रही हैं या फिर जो बन रही हैं, वो चंद महीनों में टूट जाती है। हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि ट्रैफिक चालान में मिले पैसे सडक़ों पर खर्च किये जाते हों लेकिन फरीदाबाद पुलिस अपनी तरफ से ऐसा तो कर ही सकती है कि जहां उसे गड्ढे दिखाई पड़ें, उन गड्डों को वो इन पैसों से भरवा दे। सितम्बर महीने में हार्डवेयर चौक से प्याली चौक जाने वाली सडक़ पर युवा मैनेजर सचिन शर्मा की एक गड्ढे की वजह से मौत हो गई थी। अगर वो गड्ढा भरा होता तो सचिन की जान बच सकती थी। लेकिन इस हादसे से न तो एमसीएफ और न ही फरीदाबाद ट्रैफिक पुलिस को कोई सबक मिला। फरीदाबाद की सडक़ों पर गड्ढों की वजह से सडक़ों की हालत बदतर होती जा रही है। लेकिन इस तरफ दोनों ही एजेंसियों का ध्यान नहीं है।

फरीदाबाद ट्रैफिक पुलिस भी चाहे तो चालान के एवज में मिले पैसों का इस्तेमाल ज्यादा होमगार्ड तैनात करने या पेड वॉलंटियर्स की मदद ले सकती है। शहर में ऐसे तमाम प्वाइंट हैं, जहां ट्रैफिक की हालत बदतर है और जनता को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इन पैसों का इस्तेमाल फरीदाबाद के ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए किया जा सकता है। सडक़ों पर आवारा जानवर बढ़ते ही जा रहे हैं। अधिकांश गोवंश के होने की वजह से जनता उन्हें मारपीट कर भगाती नहीं है। अगर कोई मारता-पीटता है तो तिलकधारी गोरक्षक उन्हें बचाने के लिए फौरन सामने आ जाते हैं। इंसान की जान की कीमत तिलकधारी गोरक्षकों के सामने कुछ भी नहीं है। हाल ही में ओल्ड फरीदाबाद की एक चक्की पर काम करने वाले बिहार के एक मजदूर ने जब गेहूं खा रही एक गाय को भगाया तो चश्मे की दुकान पर काम करने वाला एक गोरक्षक वहां पहुंच गया। उसने उस मजदूर को बाकायदा गाली देते हुए गाय को न भगाने के लिए कहा। चक्की मालिक अपने मजदूर के लिए कुछ नहीं बोला और तमाशा देखता रहा। इस तरह की घटनाएं फरीदाबाद में आम होती जा रही हैं। लेकिन फरीदाबाद पुलिस और ट्रैफिक पुलिस का ध्यान इस तरफ नहीं है।

 

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